गुरुग्राम: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की सदस्य कुमारी शैलजा सिरसा संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अपने प्रतिद्वंद्वी अशोक तंवर से 42102 वोटों से आगे चल रही हैं.
तंवर और शैलजा 2019 में कांग्रेस के साथ थे और उन्होंने क्रमशः सिरसा और अंबाला लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. भाजपा की सुनीता दुग्गल ने तंवर को 2 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था, जबकि कुमारी शैलजा अंबाला से भाजपा के रतन लाल कटारिया से 3.40 लाख से अधिक मतों से हार गई थीं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय चौधरी दलबीर सिंह की बेटी कुमारी शैलजा ने अपने पिता की मृत्यु के बाद 1988 में उपचुनाव के साथ राजनीति में कदम रखा. हालांकि, वह जनता दल के हेत राम से हार गईं.
1989 के चुनावों में टिकट न मिलने के बावजूद उन्होंने 1991 और 1996 के लोकसभा चुनावों में सिरसा सीट जीती. 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव सरकार में वे शिक्षा और संस्कृति राज्य मंत्री बनीं.
1998 और 1999 में सिरसा से इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के सुशील इंदौरा से चुनाव हारने के बाद शैलजा ने अपना आधार अंबाला स्थानांतरित कर लिया और 2004 और 2009 में इस सीट से निर्वाचित हुईं.
2009 में 15वीं लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद, वे 2009 से 2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं. इसके बाद वे 2014 और 2019 में अंबाला से भाजपा के रतन लाल कटारिया से चुनाव हार गईं.
कांग्रेस पार्टी के भीतर महिलाओं और दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रमुख हस्ती के रूप में, शैलजा के समर्थक उन्हें आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों में संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे हैं.
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