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Sunday, 22 December, 2024
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MP में राम मंदिर का चंदा इक्ट्ठा कर रहे स्वयंसेवकों ने संघ और विहिप के निर्देशों को ताक पे रखा

स्वयंसेवकों को बताया गया था कि वे कौन से नारे लगा सकते हैं लेकिन भोपाल में हुई रैली में उन्होंने औरंगजेब और बाबर का नाम उछाला और बस्तियों का सफाया कर डालने की बातें कहीं.

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भोपाल: विवाद पैदा न करें, राजनीतिक चर्चा से बचें और सबके साथ समान व्यवहार करें—ये कुछ ऐसे नियम हैं जो क्या करें और क्या नहीं वाली उस सूची में शामिल हैं जिसे संघ, विहिप और अन्य प्रमुख संगठनों के नेताओं ने मध्यप्रदेश में 15 जनवरी से राम मंदिर चंदा अभियान शुरू होने के पहले इसके लिए प्रशिक्षित किए गए स्वयंसेवकों के लिए जारी किया था.

हालांकि, स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिए जाने के छह दिन बाद ही 10 जनवरी को भोपाल में हुई रैली को लेकर दिप्रिंट के विश्लेषण के मुताबिक इन नियम-कायदों का जमीनी स्तर पर अमल होते दिखाई नहीं दे रहा है.

स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण का फैसला पिछले महीने राज्य में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद लिया गया था जो उस समय भड़की थी जब स्वयंसेवक 27 फरवरी तक चलने वाले चंदा अभियान के लिए जागरूकता अभियान चला रहे थे.

दिसंबर के अंतिम सप्ताह में राज्य में विहिप, बजरंग दल और अन्य हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के नेतृत्व में राम मंदिर के लिए चंदा अभियान के बाबत जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित रैलियों–25 दिसंबर को मंदसौर जिले में, और फिर 29 दिसंबर को उज्जैन और इंदौर में—के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इंदौर में रैली में शामिल लोगों ने कथित तौर पर एक मस्जिद को क्षति पहुंचाने की कोशिश की थी और उसके परिसर के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ी थी.

बहरहाल, निधि समर्पण अभियान के सह-संयोजक और ‘मध्य भारत प्रांत’ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रचार प्रमुख ओम प्रकाश सिसोदिया ने बताया कि स्वयंसेवकों को संघ या विहिप के कार्यकर्ता के नाते नहीं बल्कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से दान अभियान से संबद्ध व्यक्ति के तौर पर क्या करें और क्या न करें का प्रशिक्षण दिया गया है.

सिसोदिया ने कहा, ‘हम सभी एक लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य राम मंदिर के लिए अधिकतम योगदान सुनिश्चित करना है. संघ, विहिप और अन्य समान विचारधारा वाले संगठन और लोग श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं. इसके लिए हमने 4 जनवरी को स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया था.’

मध्यप्रदेश के कुल 53,000 गांवों में ‘मध्य भारत प्रांत’ के तहत 21,000 गांवों तक पहुंचने की जिम्मेदारी संभाल रहे सिसोदिया ने कहा, ‘हमने उन्हें बताया कि वास्तव में यह अभियान क्या है, स्वयंसेवकों से क्या अपेक्षा की जाती है और उन्हें क्या-क्या करना है और किन बातों से बचना है. हमारा उद्देश्य अधिक से अधिक गांवों तक पहुंचना है.’


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भोपाल रैली

प्रशिक्षणकर्ताओं ने लगभग 18 नारों की आधिकारिक सूची बना रखी थी जो स्वयंसेवक अभियान, जागरण और अन्य कार्यक्रमों के दौरान लगा सकते हैं. इनमें से कुछ भारत माता की जय, गौ माता की जय, धर्मांतरण बंद हो आदि हैं. हालांकि, स्वयंसेवकों को किसी भी उकसावे पर प्रतिक्रिया से बचने की चेतावनी दी गई है जिससे टकराव की स्थिति आए और अंततः चंदा अभियान प्रभावित हो सकता हो.

फिर भी, भोपाल जिले के खजूरी गांव में 10 जनवरी को हुई रैली, जिसमें दिप्रिंट भी मौजूद था, में शामिल हुए लोगों की तरफ से उत्तेजक नारे लगाए गए.

भगवा झंडे, जबर्दस्त म्यूजिक और भारी भीड़ की मौजूदगी वाली यह रैली शाम लगभग चार बजे शुरू हुई. इसमें आयोजकों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और यहां तक कि एक खुली जीप में बैठे बच्चे भी चंदा अभियान के बारे में लोगों को बता रहे थे. डीजे पर भक्ति गीत चल रहे थे.

लेकिन जल्द ही भक्ति संगीत की जगह ‘जो छेड़ेगा हिन्दुओं की हस्ती को, मिटा डालेंगे उसकी हर बस्ती को’ जैसे नारों ने ले ली. रैली में भाग लेने वालों ने लोगों को आगाह किया कि मुगल बादशाह औरंगजेब और बाबर की तरह न बनें, ‘अन्यथा हम उन्हें मिट्टी में मिलेंगे.’

गली-गली से होकर गुजरती रैली के दौरान स्थानीय पुलिस मौजूद थी. स्थानीय निवासी भगवती ने कहा, ‘उन्होंने राम जी की यात्रा निकाली, इसलिए हम भी इसमें शामिल हुए. जो भी सहायता हम दे सकते हैं, जरूर देंगे.’

स्वयंसेवकों का ट्रेनिंग मॉड्यूल

दिप्रिंट के पास मौजूद स्वयंसेवकों के ट्रेनिंग मॉड्यूल के मुताबिक इसमें राम मंदिर आंदोलन और ‘इससे संबंधित संघर्ष’ के बारे में जानकारी दी गई है और उन्हें ऐसे प्रभावशाली स्थानीय लोग तलाशने को कहा गया है जो चंदा अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने में मददगार हों.

उन्हें रात भर जागरणों के आयोजन और सुबह भगवान राम के नाम पर प्रभातफेरी और फ्लैग मार्च निकालने के साथ-साथ राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेने वालों का पता लगाने और उनसे बातचीत करने के लिए भी कहा गया.

मॉड्यूल में ‘सावधानी’ नामक एक खंड भी है, जो स्वयंसेवकों और विहिप कार्यकर्ताओं को किसी विवाद में न पड़ने को कहता है. साथ ही बताता है कि आम सहमति बनाएं, राजनीतिक चर्चाओं में शामिल न हों, सबके साथ समान व्यवहार करें, व्यय को लेकर सावधानी बरतें और आक्रामक कार्यक्रमों से बचें.

दस्तावेज को पांच हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें स्वयंसेवकों को बताया गया है चंदा कैसे जुटाना, उसे कैसे संभालना है, किससे संपर्क करना है और जागरण और अन्य कार्यक्रमों का संचालन कैसे करना है.

सूत्रों के अनुसार, चंदा अभियान पर काम करने वाली टीम ने राज्य में रहने वाले हिंदू परिवारों की पहचान की है और स्वयंसेवकों से योगदान के लिए उनसे संपर्क करने को कहा है, साथ ही उन्हें इन परिवारों के साथ समय बिताने और उनके साथ भोजन करने की सलाह भी दी गई है.

विहिप नेता ने कहा कि पांच स्वयंसेवकों की एक टीम प्रत्येक गांव में जाएगी, जिनके पास 10 रुपये, 100 रुपये और 1,000 रुपये के प्रिंट वाले कूपन होंगे, जिसके माध्यम से लोग राम मंदिर के लिए योगदान दे सकते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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