मोदी और पलानीस्वामी की बैठक से पता चलता है कि बीजेपी तमिलनाडु में सभी रास्ते खुले रखना चाहती है, लेकिन गुटबाज़ एआईएडीएमके के लिए ईपीएस ही मुख्य नेता हैं.
नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इडापड्डी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) की सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में बीजेपी ने एक संदेश भेजने का प्रयास किया है कि दक्षिणी भारत की जटिल और खंडित राजनीति में सभी दलों के लिए रास्ता खुला है.
बीजेपी ने यह भी संकेत दिया है कि तमिलनाडु के सत्तारूढ़ एआईएडीएमके में गुटबाजी के बावजूद, मुख्यमंत्री ही हैं जिन्हें पार्टी मुख्य नेता मानती है.
के पलानीस्वामी, को मुख्यमंत्री के रूप में लोकप्रिय माना जाता है. के पलानीस्वामी मोदी से सोमवार को मिले और भूतपूर्व तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के लिए भारत रत्न की मांग की. हालांकि, बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बैठक के पीछे का विचार यह दिखाना था कि कैसे 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले “तमिलनाडु में सभी हितधारकों के लिए रास्ते खुले हैं.” सत्तारूढ़ एआईएडीएमके के साथ-साथ विपक्षी द्रमुक के लिए भी रास्ते खुले है.
तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें हैं. यह काफी महत्वपूर्ण हिस्सा है. बीजेपी राज्य में अपने गठबंधन को सही तरीके से आगे बढ़ाना चाहेगी, ताकि 2014 के चुनावों के दौरान होने वाले घाटे की भरपाई कर सके.
मोदी का संदेश
एआईएडीएमके की आंतरिक राजनीति घिस चुकी है, के पलानीस्वामी, उपमुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम और बहिष्कृत नेता टीटीवी दिनाकरन सहित सब लोग पार्टी पर अपना हक़ जमाना चाहते हैं. हालांकि, हाल के दिनों में पनीरसेल्वम से बात न करके और दिनाकरन से मुलाकात न करके, मोदी ने यह बताने का प्रयास किया है कि “के पलानीस्वामी को बीजेपी एआईएडीएमके बॉस के रूप में मानती है.”
दो दिन पहले, ओ पनीरसेल्वम ने बताया कि पिछले साल दिनाकरन के साथ बैठक आयोजित की थी, पार्टी को बिना बताये जिससे राज्य राजनीति में तूफान आ गया था, कई सवाल उठते हैं कि क्या यह के पलानीस्वामी की अगुआई वाली सरकार को खत्म करने का प्रयास था.
बीजेपी के एक सूत्र ने कहा, “एआईएडीएमके के भीतर अंतर्निहित आंतरिक विरोधाभासों को देखते हुए, ईपीएस के साथ पीएम की बैठक यह भी दिखाने का एक तरीका था कि वह बीजेपी के साथ समझौता करेगी.
इस बीच, मोदी ने द्रमुक के साथ अपने रिश्ते को भी बनाये रखा है, पिछले साल नवंबर में, प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रमुक के पितामाह एम करुणानिधि के निवास पर उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए बिना कार्यक्रम के रुक गए थे. अनुभवी नेता और उनके बेटे एमके स्टालिन से मुलाकात भी की. मोदी किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए राज्य में गए थे.
प्रधानमंत्री ने अगस्त में करुणानिधि के अंतिम संस्कार में भी भाग लिया और उन्हें चार ट्वीट्स के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
अगस्त-अंत में द्रमुक के प्रमुख नेता के रूप में प्रभारी पद ग्रहण करते हुए स्टालिन ने बीजेपी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि उनकी पार्टी मोदी सरकार को सबक सिखाएगी. हालांकि, भले ही एआईएडीएमके नेताओं ने निंदा की लेकिंन 17 सितंबर को मोदी के जन्मदिन पर, द्रमुक नेता ट्विटर पर बधाई देने के लिए तत्पर थीं.
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