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Wednesday, 8 May, 2024
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जालंधर कैंट के ‘इलेक्शन ओलंपिक’ में कांग्रेस के परगट सिंह की टक्कर आप प्रत्याशी हॉकी खिलाड़ी सोढ़ी के साथ है

हॉकी में डिफेंस खेलने वाले जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह (कांग्रेस) का मुकाबला सेंटर-फॉरवर्ड अटैकर हॉकी खिलाड़ी सुरिंदर सिंह सोढ़ी (आप) के साथ है. सोढ़ी कहते हैं, ‘लोहा ही लोहे को काटता है.’

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जालंधर कैंट: पंजाब चुनाव में जालंधर कैंट विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों की सूची यह जानकारी देने वाली गाइड की तरह है कि भारतीय हॉकी में किसकी भूमिका क्या रही है.

कांग्रेस की तरफ से जाने-माने हॉकी डिफेंडर, मौजूदा विधायक और राज्य कैबिनेट में मंत्री परगट सिंह मैदान में हैं, जो लगातार तीसरी बार यह सीट बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी (आप) प्रत्याशी और पूर्व सेंटर-फॉरवर्ड अटैकर सुरिंदर सिंह सोढ़ी हैं. यही नहीं एक और हॉकी खिलाड़ी भी मैदान में है और ये हैं संयुक्त समाज मोर्चा के जसविंदर संघा जो यूनिवर्सिटी लेवल पर खेल चुके हैं.

तीनों लायलपुर खालसा कॉलेज जालंधर के पूर्व छात्र हैं. भाजपा उम्मीदवार और पूर्व अकाली विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ जरूर यहां से ऐसे प्रत्याशी है जिनकी पृष्ठभूमि खेल से जुड़ी नहीं है.

साथी हॉकी खिलाड़ी सोढ़ी की उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर परगट सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘मैं ट्रेंडसेटर हूं और मैंने खुद को अच्छी तरह स्थापित कर लिया है.’ वहीं, सोढ़ी की प्रतिक्रिया थोड़ी तीखी थी, ‘लोहा ही लोहे को काटता है, तो काट देंगे.’

जालंधर छावनी के जंडियाला गांव में प्रचार करते कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री परगट सिंह (नीली पगड़ी में) | प्रवीण जैन | दिप्रिंट[/कैप्शन]
57 वर्षीय परगट सिंह और 64 वर्षीय सुरिंदर सिंह सोढ़ी दोनों ही प्रभावशाली हॉकी खिलाड़ी रहे हैं. दोनों ने अपने-अपने ड्राइंग रूम में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार (खेल रत्न के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा खेल सम्मान) सजा रखा है. साथ ही महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार भी उनके घर की शोभा बढ़ा रहा है, जो पंजाब सरकार की तरफ से खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है.

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सेंटर फॉरवर्ड प्लेयर सोढ़ी ने 1980 के ओलंपिक के दौरान रिकॉर्ड 15 गोल किए थे, जिसमें भारत ने स्वर्ण पदक जीता था. वहीं, परगट सिंह फुल बैक की स्थिति में खेलते रहे हैं और उन्हें इस खेल में एक प्रमुख डिफेंडर के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने दो ओलिंपिक (1992 बार्सिलोना और 1996 अटलांटा) में भारतीय टीम की कप्तानी भी की और फिर 1998 में पुरुष टीम के कोच बने.

दोनों ने राज्य पुलिस को अपनी सेवाएं दी हैं. सोढ़ी 2016 में सेवानिवृत्त होने से पहले महानिरीक्षक के पद पर पहुंचे, जबकि परगट सिंह ने 2012 में राजनीति में शामिल होने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के अपने पद को छोड़ दिया.

हालांकि, इन दोनों में से परगट सिंह का करियर करीब एक दशक के राजनीतिक अनुभव के साथ अधिक प्रभावशाली रहा है. वह दो बार जालंधर कैंट के विधायक के तौर पर जीत हासिल कर चुके हैं (2012 में शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर और 2017 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर) और कैबिनेट मंत्री के रूप में शिक्षा, खेल और एनआरआई मामलों के विभागों को संभाल चुके हैं.

वहीं, सोढ़ी का सियासी करियर थोड़ा उतार-चढ़ाव वाला रहा है: 2016 में वह आप में शामिल हुए लेकिन कुछ महीने बाद ही कांग्रेस के साथ आ गए. पिछले साल फरवरी में वह फिर से आप में शामिल हो गए.

इसमें दो राय नहीं कि सोढ़ी का चुनावी अभियान परगट सिंह के खिलाफ जनभावनाओं पर टिका है और वे दुकानदारों की शिकायतें दूर करने और खेलों पर ध्यान केंद्रित करने का भरोसा दिला रहे हैं.

दुकानें और स्पोर्ट्स सोढ़ी के मुख्य चुनावी वादे

जालंधर कैंट के कई दुकानदार बदलाव के इच्छुक नजर आ रहे हैं. जब दिप्रिंट ने जालंधर कैंट मार्केट का दौरा किया, तो एक दुकानदार ने पुरजोर तरीके से कहा कि वह सुरिंदर सिंह सोढ़ी को ही वोट देगा. जब पूछा गया कि क्यों, तो उसका साफ कहना था, ‘मैं तो आम आदमी पार्टी को वोट दूंगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके टिकट पर मैदान में कौन है.’

जूते की दुकान चलाने वाले एक अन्य दुकानदार ने कहा कि उसने अभी तक यह तय नहीं किया है कि किसे वोट देना है, लेकिन सोढ़ी के चुनाव पूर्व वादों से आश्वस्त जरूर नजर आया. उन्होंने कहा, ‘सोढ़ी ने वादा किया है कि हमारी दुकानें हमारे नाम पर हो जाएंगी. मौजूदा विधायक हमें केवल तभी अपना चेहरा दिखाते हैं जब उन्हें वोट की जरूरत होती है.’

जालंधर कैंट के मुख्य बाजार में एक आम शिकायत यह है कि दुकानदारों को दुकानें अपने नाम पर पंजीकृत कराने की अनुमति नहीं होती और सेना को किराया देना पड़ता है. उन्हें अपनी दुकानों में कोई बदलाव करने से पहले सेना से अनुमति भी लेनी पड़ती है. सोढ़ी ने वादा किया है कि वह यथास्थिति को बदलेंगे और छावनी क्षेत्र में दुकानदारों को अधिक अधिकार दिलाएंगे.

सोढ़ी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि पंजाब में खेलों का रुतबा फिर से बढ़ाना भी उनका सपना है. उन्होंने कहा, ‘एक समय पंजाब में खेलों को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती थी, अब यह कहीं नहीं है.’

सोढ़ी के मुताबिक, राज्य में कुछ ‘क्षेत्र’ हैं जहां अलग-लग खेलों पर ध्यान दिया जाता हैं और इन्हें लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘जालंधर, गुरदासपुर, अमृतसर में हॉकी पर ध्यान दिया जाता है, इसके अलावा लुधियाना, फिरोजपुर में भी यह खेल थोड़ा लोकप्रिय है. जब आप कपूरथला जाएंगे तो वहां आपको बास्केटबॉल खिलाड़ी मिलेंगे. संगरूर में मुक्केबाजों, भारोत्तोलकों का बोलबाला है. वॉलीबॉल खिलाड़ी बंगा और उसके आसपास के क्षेत्र की पहचान हैं और मालपुर में फुटबॉल खिलाड़ी मिलेंगे…मैं यही बात ध्यान में रखकर विभिन्न क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा दूंगा.’

सोढ़ी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ सुविधाओं का निर्माण ‘उन हिस्सों में नहीं किया जहां यह खेल खेला जाता है’, बल्कि बठिंडा में ऐसा किया, जहां ये खेल इतना लोकप्रिय नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यह पैसे की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है. अब वे खिलाड़ियों को खेलने के लिए जालंधर से बठिंडा ले जाते हैं. असल में टर्फ वहां विकसित करने की जरूरत है जहां खेल लोकप्रिय है.’


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परगट सिंह को रिपोर्ट कार्ड और भविष्य की योजनाओं पर भरोसा

परगट सिंह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि वह ‘जालंधर कैंट को योजनाबद्ध तरीके से विकसित कर रहे हैं’ और विधायक के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान हुए सुधार स्पष्ट तौर पर नजर आ रहे हैं.

कांग्रेस विधायक परगट सिंह | प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

परगट सिंह ने दावा किया, ‘जब मैंने कार्यभार संभाला, जालंधर कैंट में बहुत सारे अनधिकृत ढांचे थे. मैंने उस समस्या का समाधान किया.’ साथ ही दावा किया कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में सबसे ज्यादा ध्यान ‘सड़क, सीवेज, पानी और बिजली’ पर केंद्रित किया है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने जालंधर के आसपास के 11 गांवों को शहर का हिस्सा बनाया है और तीन-चार प्रमुख सड़कें बनवाई हैं. हमने शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर एक नाले की जगह ली और उस पर सड़कें और एक जॉगिंग ट्रैक बनाया. मैंने यहां पर एक कॉलेज खोला है और ग्रीन बेल्ट भी विकसित की है.’

हालांकि, शिक्षा मंत्री के तौर पर उनके कामकाज को लेकर कुछ मुश्किलें सामने आती रही हैं. नवंबर में जालंधर में शिक्षकों ने राज्य में नौकरियों की कमी के विरोध में कई बार उनके आवास के सामने प्रदर्शन किया.

सोढ़ी के इस सीट से चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हम एक ही पेशे (पुलिस) से आए हैं, लेकिन एक बहुत बड़ा अंतर है. मैं खुद को अच्छी तरह स्थापित कर चुका हूं. आप जाकर उनसे पूछें कि जब वह एसएसपी थे तब क्या कर रहे थे. जब आप चुनाव लड़ते हैं तो पूरी तरह बेनकाब हो जाते हैं.’

जब दिप्रिंट ने यह पूछा कि वह क्या कह रहे थे तो परगट सिंह का कहना था, ‘आप पत्रकार हैं. आप खुद जाकर पता करिए.’

चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे कई पूर्व खिलाड़ी

जालंधर कैंट पंजाब के दोआबा क्षेत्र में आता है, और राज्य की 117 में से 23 विधानसभा सीटें इसी क्षेत्र की हैं. इस बार बड़ी संख्या में खेल से जुड़ी हस्तियां इस क्षेत्र के चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही हैं.

परगट सिंह और सुरिंदर सिंह सोढ़ी के अलावा दो अन्य अर्जुन पुरस्कार विजेता भी चुनाव मैदान में हैं—पूर्व हॉकी कप्तान अजीत पाल सिंह (पंजाब लोककांग्रेस, नकोदर सीट से) और बास्केटबॉल खिलाड़ी सज्जन एस. चीमा (आम आदमी पार्टी, सुल्तानपुर लोधी).

राज्य के बाकी हिस्सों में भी विभिन्न दलों ने कई पूर्व खिलाड़ियों को टिकट दिया है. इनमें पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू (कांग्रेस, अमृतसर पूर्व), कबड्डी खिलाड़ी गुरनाल घनौर (आप, घनौर), शूटर राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी (भाजपा, फिरोजपुर शहर) और बास्केटबॉल खिलाड़ी गुरदित शेखों (आप, फरीदकोट) आदि शामिल हैं.

सोढ़ी के मुताबिक, एक बात तो एकदम साफ है ‘खिलाड़ी अपन खून-पसीना बहाकर ख्याति अर्जित करते हैं. वे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसका गौरव बढ़ाते हैं. आज भी जब मैं किसी से मिलता हूं तो उन्हें मेरे खेल करियर के बारे में बातें याद आ जाती हैं और वे 40 साल पहले के खेलों के सुनहरे दिन याद करते हैं. यदि आप चर्चित रहे हैं तो आपको वोट मिलते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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