नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कहा कि यह जरूरी है कि नेता और कार्यकर्ता आगे बढ़ें और चुनौतियों का सामने कर रही पार्टी के लिए अपना कर्ज चुकाएं.
सोनिया गांधी ने यह बात कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान यह बातें कहीं. इसमें 13 से 15 मई तक उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर के एजेंडे समेत पार्टी को दोबारा जीवित करने पर चर्चा की गई.
उन्होंने कार्यकर्ताओं को पार्टी के लिए प्रतिबद्ध होने की नसीहत देते हुए कहा कि चुनावी सफलता के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है.
सोनिया ने पार्टी नेताओं से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उदयपुर में पार्टी के चिंतन शिविर से आने वाला एकमात्र संदेश ‘एकता, एकजुटता, दृढ़ संकल्प और पार्टी को जल्दी रिवाइव करने के लिए प्रतिबद्धता’ है.
इसके साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं और नेताओं से पार्टी की दृढ़ता और लचीलेपन के लिए सामूहिक उद्देश्य की भावना के साथ, निस्वार्थ कार्य और अनुशासन का आह्वान किया.
कांग्रेस प्रमुख ने आगे कहा कि आत्म-आलोचना की जरूरत है लेकिन इसे इस तरह से न किया जाए जिससे आत्मविश्वास कम हो.
सोनिया ने यह भी कहा कि चिंतन शिविर को एक पुनर्गठित संगठन की शुरुआत करनी चाहिए ताकि पार्टी के सामने आने वाले कई वैचारिक, चुनावी और प्रबंधकीय कामों को पूरा किया जा सके.
उन्होंने चुनावी हार के बाद पार्टी के सामने खड़ी हुई राजनीतिक चुनौतियों का भी जिक्र किया. इस साल की शुरुआत में कांग्रेस पांच विधानसभा चुनाव हार गई थी, वहीं पिछले आठ सालों में उसे कई हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा पार्टी के कुछ प्रमुख चेहरों ने कई राज्यों में पार्टी छोड़ दी है.
सोनिया ने कहा, ‘कोई जादू की छड़ी नहीं हैं. निस्वार्थ कार्य, अनुशासन और लगातार सामूहिक उद्देश्य की भावना से ही हम अपनी पकड़ और लचीलेपन को दिखा सकते हैं. पार्टी हम सबके जीवन का केंद्र रही है.’
उन्होंने आगे कहा कि अब, जब हम एक अहम पड़ाव पर हैं तो यह जरूरी है कि हम आगे बढ़ें और पार्टी को अपना कर्ज पूरी तरह से चुकाएं.
जानकारी के लिए बता दें कि यह चिंतन शिविर 13 से 15 मई तक उदयपुर में हो रहा है और इसमें करीब 400 कांग्रेसी नेता शामिल होंगे.
इसमें पार्टी राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक न्याय, किसानों, युवाओं और संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करेगी और उदयपुर नव संकल्प को अपनाएगी.
हमें बिल्कुल आत्म-आलोचना की जरूरत है लेकिन इसे इस तरह से नहीं किया जाना चाहिए जिससे आत्मविश्वास और मनोबल का कम हो जाए और इससे निराशा का माहौल बना रहे. इसकी बजाए, हम अपने विचारों को एक साथ रखें और मिलकर इन चुनौतियों को दूर करें.’