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Friday, 29 March, 2024
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अगर उत्पल BJP कार्यकर्ता थे, तो उन्हें वैकल्पिक सीट स्वीकार करनी चाहिए थी: प्रमोद सावंत

एक खास इंटरव्यू में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि बीजेपी गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में 22 से अधिक सीटों के साथ सत्ता में आएगी.

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पणजी: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि पणजी से उत्पल पर्रिकर को उम्मीदवार न बनाने का मतलब, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का अनादर करना नहीं है और अगर जूनियर पर्रिकर वास्तव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ता हैं, तो उन्हें उस विकल्प को स्वीकार कर लेना चाहिए था, जो पार्टी ने उन्हें पेश किया था.

दिप्रिंट से बात करते हुए सावंत ने कहा कि बीजेपी ने पणजी सीट की उम्मीदवारी- जिसे मनोहर पर्रिकर का तैयार किया हुआ बीजेपी गढ़ माना जाता है- जीतने की क्षमता के देखते हुए सिटिंग विधायक अतानासियो मोनसेराटे को देने का फैसला किया है.

सावंत ने कहा, ‘ऐसा नहीं है (पर्रिकर की विरासत का अनादर करना). उत्पल पर्रिकर को तीन अलग-अलग जगह से चुनाव लड़ने की पेशकश की गई थी. वो सिर्फ पणजी सीट से लड़ना चाह रहे हैं. ये निर्णय भी केंद्रीय नेतृत्व ने लिया है. फिलहाल मोनसेराटे पणजी से सिटिंग विधायक हैं और उनके जीतने की संभावना भी है.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए अगर हम मोनसेराटे के साथ ही जा रहे हैं, तो हम उत्पल से एक दूसरी सीट से लड़ने के लिए कह रहे हैं, और अगर वो एक नेता हैं, बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, तो उन्हें दूसरी सीटों से लड़ना चाहिए’.

14 फरवरी के चुनाव पहले विधानसभा चुनाव होंगे, जो बीजेपी 2019 में पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर की मौत के बाद, गोवा में लड़ रही है और उनके बेटे उत्पल पर्रिकर ने पार्टी से अनुरोध किया था कि उन्हें पणजी से चुनाव लड़ने दिया जाए.

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उनकी बजाय पार्टी ने सिटिंग विधायक मोनसेराटे को टिकट दिया है, जिन्होंने एक उपचुनाव में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार जीत हासिल की थी, जब 2019 में एक लंबी बीमारी के बाद पर्रिकर का निधन हो गया था. बाद में मोनसेराटे उसी साल पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गए. उत्पल अब पणजी सीट से ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.


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‘हमारे लिए पार्टी पहले है, लोबो के लिए पत्नी पहले थीं’

40 सदस्यीय विधानसभा के लिए उम्मीदवारों के नामांकनों पर, बीजेपी के फैसलों ने एक तरह की अंदरूनी बगावत को जन्म दे दिया है और कई नेताओं ने जिनमें कुछ पुराने लोग भी शामिल हैं, निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ने के लिए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. इन नेताओं में शामिल हैं माइकल लोबो जो सावंत सरकार में मंत्री थे, पूर्व सीएम लक्ष्मीकांत पारसेकर और डिप्टी सीएम चंद्रकांत कावलेकर की पत्नी सावित्री कावलेकर.

सावंत ने इन तमाम इस्तीफों की परवाह न करते हुए कहा, ‘माइकल लोबो ने पार्टी इसलिए छोड़ दी, कि उनकी पत्नी को पार्टी टिकट नहीं दिया गया. पार्टी इस सिद्धांत पर चलती है कि पहले राष्ट्र, फिर पार्टी और उसके बाद हम. माइकल लोबो ‘पहले पत्नी’ वाले नेता हैं. इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी’.

सावंत ने कहा, ‘लक्ष्मीकांत पारसेकर को टिकट नहीं मिला. केंद्रीय पार्टी उनसे बात कर रही है. वो सिर्फ मांड्रेम सीट से टिकट चाहते हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी. ये सारे फैसले हमारे केंद्रीय नेतृत्व ने लिए हैं’.

बतौर सीएम, सावंत ने अंदरूनी कलह और स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे के साथ समस्याओं का भी सामना किया है, जो 2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. कोविड महामारी की दूसरी लहर में ये टकराव ज़ाहिरी तौर पर देखा जा सकता था.

दिप्रिंट से बात करते हुए सावंत ने राणे के साथ किसी भी तरह के टकराव को ज़्यादा अहमियत नहीं दी. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मेरा अपने मंत्रियों के साथ कोई टकराव नहीं है’.


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‘अपने दम पर बहुमत हासिल करने का विश्वास’

2017 में बीजेपी गोवा की सत्ता में आ गई, हालांकि 40 में से 17 सीटें जीतकर, कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. गठबंधन सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने क्षेत्रीय संगठनों- महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा फॉर्वर्ड पार्टी (जीएफपी) के साथ हाथ मिला लिया.

आहिस्ता-आहिस्ता बीजेपी ने सरकार में अपनी स्थिति मज़बूत कर ली, जिसके लिए उसने कांग्रेस से 12 और एमजीपी से दो विधायकों को दलबदल कराकर अपने पाले में कर लिया और एमजीपी तथा जीएफपी नेताओं को सरकार में मलाईदार पदों से हटाकर, बाहर का रास्ता दिखा दिया.

विपक्षी कांग्रेस ने उसका जनादेश चुराने और दलबदल कराने के लिए बीजेपी की आलोचना की है लेकिन सावंत ने कहा कि इस आरोप का आगामी चुनावों में बीजेपी की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

सावंत ने, जो संक्वेलिम से विधायक हैं, कहा, ‘फिर भी पिछले तीन वर्षों में हमने अच्छा शासन दिया, हमने इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं बनाईं और हमारी डबल इंजन सरकार ने गोवा प्रांत में बहुत अच्छा काम किया है, इसलिए इस बार हम सिर्फ बीजेपी के साथ पूर्ण बहुमत हासिल करेंगे’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हम 22 से अधिक सीटें जीतेंगे और हम एक बार फिर सत्ता में वापस आ रहे हैं’.

सावंत ने कहा कि राजनीतिक दलबदल गोवा में ऐतिहासिक रूप से आम रहे हैं, क्योंकि ये एक छोटा प्रांत है जहां लोग पार्टी से ज़्यादा उम्मीदवार पर भरोसा करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘इस बार हम गोवा के लोगों से कह रहे हैं कि सरकार बनाने के लिए वो पार्टी को वोट दें, इसलिए इस बार निश्चित रूप से, लोग सरकार बनाने के लिए पार्टी के लिए वोट करेंगे, ना कि सिर्फ विधायक के लिए’.


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‘हर कोई मेरी तुलना मनोहर पर्रिकर से करता है’

48 वर्षीय सावंत ने मार्च 2019 में सीएम का पदभार संभाला था, जब लंबे समय तक पैंक्रिएटिक कैंसर की बीमारी से जूझने के बाद सीएम मनोहर पर्रिकर का निधन हो गया था.

उस समय कई लोग सीएम पद के लिए दावेदार थे, जिनमें विश्वजीत राणे भी थे लेकिन जिस चीज़ ने सावंत को सबसे लोकप्रिय पसंद बनाया, वो ये थी कि पर्रिकर की तरह वो भी खालिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आदमी हैं, जो बीजेपी के अंदर ही ऊपर चढ़े हैं. वो उत्तरी गोवा के संक्वेलिम से दो बार के विधायक हैं और 2017 में गोवा विधानसभा के स्पीकर चुने गए थे.

सावंत ने कहा कि जब उन्होंने कार्यभार संभाला, तो हर किसी ने उनकी तुलना पर्रिकर से करनी शुरू कर दी.

उन्होंने कहा, ‘हर कोई मेरी तुलना मनोहर पर्रिकर से करने लगा था. उनके साथ तुलना संभव नहीं है. लेकिन हम फिर भी, मनोहर पर्रिकर की विरासत को आगे बढ़ाए हुए हैं’.

उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन वर्षों से मैं एक बहुत मुश्किल दौर से गुज़र रहा हूं, पहले कोविड, फिर ताउते चक्रवात और उसके बाद बाढ़. लेकिन फिर भी हमने स्थिति को अच्छे से संभाला है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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