scorecardresearch
Thursday, 26 September, 2024
होमराजनीतिJ&K चुनाव विकास के एजेंडे पर लड़ रहा हूं, अपने भाई अफज़ल गुरु के नाम पर नहीं : एजाज़ अहमद

J&K चुनाव विकास के एजेंडे पर लड़ रहा हूं, अपने भाई अफज़ल गुरु के नाम पर नहीं : एजाज़ अहमद

सोपोर से चुनाव लड़ रहे एज़ाज़ अहमद गुरु ने दिप्रिंट से कहा कि अनुच्छेद-370 राजनेताओं के लिए मुद्दा है, न कि उनके जैसे किसी आम कश्मीरी के लिए.

Text Size:

सोपोर: जम्मू-कश्मीर चुनाव में सोपोर से चुनाव लड़ रहे एजाज़ अहमद गुरु ने कहा कि उनका अपने छोटे भाई, 2001 के संसद हमले के दोषी अफज़ल गुरु से अलग नज़रिया है और वे विकास और शांति के एजेंडे में विश्वास करते हैं और उसी पर चुनाव लड़ रहे हैं.

दिसंबर 2001 में संसद भवन पर हमले की साजिश रचने के आरोप में अफज़ल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी.

सोपोर में अपने घर से खास इंटरव्यू में एजाज़ ने दिप्रिंट को बताया कि कश्मीर, खासकर सोपोर को पिछले कई सालों से भारत विरोधी के तौर पर देखा जाता रहा है, लेकिन वे अपने चुनावी अभियान के जरिए इसे बदलना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “सोपोर को इस तरह से पेश किया गया कि ऐसा लगे कि हमने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है. इस चुनाव के ज़रिए मैं कहना चाहता हूं कि हम भारत विरोधी नहीं हैं.”

वे बदलाव का संदेश भी देना चाहते हैं. उन्होंने कहा, “जीतना या हारना मायने नहीं रखता. मैं एक संदेश देने के लिए ये चुनाव लड़ रहा हूं. बदलाव का संदेश, शांति का संदेश और विकास का संदेश. इन चुनावों के ज़रिए मैं यह बताना चाहता हूं कि मैं कश्मीर में नई पीढ़ी के लिए खड़ा हूं और जो बीत गया वे केवल इतिहास है.”

बेरोज़गारी, एजेंडे में जेल में बंद युवा

अपने चुनावी मंच के बारे में बात करते हुए ठेकेदार एजाज़ ने कहा कि वह उन लोगों, खासकर युवाओं के लिए लड़ेंगे, जो “तुच्छ” आरोपों में जेलों में सड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा, “मेरा अपना बेटा (शोएब) पिछले नौ महीनों से जेल में सड़ रहा है. यह पूरी तरह से मनगढ़ंत मामला है और न केवल मेरे बेटे के लिए बल्कि मैं उन सभी लोगों के लिए प्रशासन के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगा जो अभी भी सलाखों के पीछे हैं. यह कश्मीर में एक बड़ा खतरा है.”

एजाज़ के बेटे को दिसंबर 2023 में बारामूला पुलिस ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (PITNDPS) एक्ट के तहत अवैध तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. वे जम्मू की कोट-भलावल जेल में बंद है.

बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ते हुए एजाज़ ने चुनाव में बेरोज़गारी को एक प्रमुख मुद्दा बताया.

उन्होंने कहा, “हमारे युवा बेरोज़गार हैं, कई आत्महत्या कर रहे हैं. ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हमें ध्यान केंद्रित करना चाहिए. हमें विकास पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है, लेकिन राजनीतिक दल केवल राजनीति के बारे में बात करने पर आमादा हैं.”

एजाज़ ने अपने भाई के नाम का इस्तेमाल अपनी “गंदी राजनीति” के लिए करने के लिए राजनीतिक दलों पर भी निशाना साधा. चुनाव मैदान में मुख्य पार्टियां इंडिया ब्लॉक की नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हैं,.

उन्होंने कहा, “ये लोग जो उसका नाम लेते रहते हैं, उन्हें अब ऐसा करना बंद कर देना चाहिए. मेरे भाई का नाम अपनी राजनीति में घसीटना बंद करें. जो कुछ भी हुआ वो इतिहास है. अपनी गंदी राजनीति में उसका नाम क्यों इस्तेमाल करना है? ये चुनाव विकास के एजेंडे पर लड़ें, मेरे भाई अफजल गुरु के नाम पर नहीं.”

उन्होंने कहा कि एनसी नेता उमर अब्दुल्ला से लेकर पीडीपी की महबूबा मुफ्ती तक, उन्हें भी कश्मीरियों के नाम पर राजनीति करना बंद कर देना चाहिए.

जब उनसे अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बारे में पूछा गया, जो चुनावों में एक बड़ा मुद्दा है, तो एजाज़ ने कहा, “ठीक है, मुझे इस मुद्दे पर पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है. इस मसले से मुझे क्या करना है? यह बड़े राजनीतिक दलों का मुद्दा है, मेरे जैसे किसी व्यक्ति का नहीं जो सिर्फ एक आम कश्मीरी की बात कर रहा है.”

A semblance of normalcy is returning to the streets of Kashmir post-2019, he said. | Praveen Jain | ThePrint
उन्होंने कहा कि 2019 के बाद कश्मीर की सड़कों पर सामान्य स्थिति बहाल हो रही है | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

यह भी पढ़ें: ‘लोग करीब आने से कतराते हैं’ — पांव में GPS बांधकर चुनाव प्रचार क्यों कर रहे हैं हाफिज़ सिकंदर


‘कश्मीर की सड़कों पर शांति’

उन्होंने कहा कि 2019 के बाद कश्मीर की सड़कों पर सामान्य स्थिति लौट रही है.

उन्होंने कहा, “चीज़ें धीरे-धीरे बदलने लगी हैं. कश्मीर की सड़कों पर थोड़ी शांति दिख रही है और इस शांति की वजह से मेरा भी मन बदला और मैंने सोचा कि जैसे घाटी में शांति लौट रही है, मुझे राजनीति में आने के बारे में भी सोचना चाहिए क्योंकि इससे पहले मैंने कभी इसकी कल्पना नहीं की थी.”

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि 10 साल के अंतराल के बाद हो रहे चुनाव इस क्षेत्र के लिए अहम हैं.

एजाज़ ने कहा, “एक आम कश्मीरी से लेकर सेना और पुलिस तक, जम्मू-कश्मीर ने सभी का खून बहाया है. अब वक्त आ गया है कि शांति की ओर बढ़ा जाए और विकास के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया जाए.”

उन्होंने उन लोगों पर भी निशाना साधा जिन्होंने उनके जैसे निर्दलीय उम्मीदवारों को भाजपा का “प्रॉक्सी उम्मीदवार” कहा है. इन चुनावों में 2008 के बाद से दूसरे सबसे ज़्यादा संख्या में स्वतंत्र उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया है — 365 — जब 468 स्वतंत्र उम्मीदवार मैदान में थे.

उन्होंने कहा, “मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि कई लोग मुझे उनमें से (प्रॉक्सी बीजेपी उम्मीदवारों) में गिन रहे हैं. यह सब बचकानी बातें हैं. मैं शांति में यकीन करता हूं और इसलिए मैं सभी कश्मीरियों की ओर से एक प्रतीकात्मक इशारे के रूप में ये चुनाव लड़ रहा हूं.”

‘हमें आगे बढ़ना चाहिए’

एजाज़ ने कहा कि उनका परिवार सरकार से अनुरोध करेगा और साथ ही अदालत से भी गुहार लगाएगा कि उन्हें अपने भाई की कब्र पर जाने की अनुमति दी जाए. अफजल को तिहाड़ जेल परिसर में दफनाया गया था.

उन्होंने कहा, “हमें कब्र (अफज़ल गुरु की) पर जाने और दुआ पढ़ने करने की इजाज़त नहीं दी गई. उस समय सभी नेताओं ने हमें तिहाड़ न जाने की सलाह दी थी क्योंकि इससे अशांति पैदा हो सकती है. मैं भारत सरकार से अनुरोध करना चाहता हूं कि वह हमें अब अनुमति दे.”

उन्होंने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वे अदालत का भी दरवाजा खटखटाएंगे.

हालांकि, एजाज़ ने तुरंत कहा कि उनकी और उनके भाई की सोच में बहुत फर्क है.

उन्होंने कहा, “चीज़ों के बारे में उनकी धारणा अलग थी. मैं थोड़ा अधिक उदार हूं. वो साजिश का शिकार हो गया, लेकिन मैं अभी इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता. कई साल बीत गए हैं. हमें आगे बढ़ना चाहिए. परिवार के सदस्यों के रूप में, स्वाभाविक रूप से हमें दुख होता है जब हमारे भाई का नाम अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल किया जाता है.”

एजाज़ ने कहा कि हालांकि, उनका परिवार कश्मीर का सबसे बड़ा पीड़ित है, लेकिन “हमें अपनी नई पीढ़ी के लिए आगे बढ़ना होगा. मुझे नहीं लगता कि हमें हर वक्त इस बारे में बात करनी चाहिए. जब भी हम परिवार के बारे में बात करते हैं तो मेरे भाई पर ही क्यों ध्यान दिया जाना चाहिए? मैं अफज़ल गुरु की विचारधारा का समर्थन नहीं करता; हमारी पहचान अलग-अलग है.”

जम्मू और कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव 18 सितंबर से शुरू हुए. सोपोर में तीसरे चरण में एक अक्टूबर को मतदान होगा और नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: पहाड़ी लोगों को ST का दर्जा देना J&K चुनाव में BJP को बैकफायर करेगा? गुज्जर-बकरवाल वोटों पर सभी की निगाहें


 

share & View comments