नई दिल्ली: अयोध्या में चल रहे विकास कार्यों में तेज़ी लाना, बीजेपी कार्यकर्त्ताओं के ग़ुस्से को शांत करना, कोविड प्रभावित परिवारों के पास जाना, और बोर्ड्स तथा निगमों में रिक्तियों को भरना- ये हैं कुछ क़दम जो उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, पिछले शुक्रवार दिल्ली से लौटने के बाद उठाए हैं.
कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर आलोचनाएं झेल रहे आदित्यनाथ ने, राष्ट्रीय राजधानी के अपने दो-दिवसीय दौरे के दौरान, गृहमंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात की थी. उन्हें अपने कामकाज को बेहतर करने, और राज्य में 2022 में होने वाले विधान सभा चुनावों से पहले, विरोधी-लहर से कारगर ढंग से निपटने का निर्देश दिया गया.
बीजेपी नेताओं ने कहा, कि एजेण्डे में सबसे प्रमुख हैं- अयोध्या में इनफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना और राम मंदिर निर्माण की गति में तेज़ी लाना.
शनिवार को, दिल्ली से लौटने के एक दिन के बाद, सीएम ने अयोध्या विज़न डॉक्युमेंट कमेटी की मीटिंग की अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने शहर के लिए प्रस्तावित, 1,100 एकड़ की विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की.
इन योजनाओं में अयोध्या में एक श्री राम हवाई अड्डे का निर्माण, सौर ऊर्जा से सुसज्जित एक टाउनशिप, सरयू नदी के किनारे का विकास, एक अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय, एक पर्यटन भवन, कई सड़कें, और द्वार शामिल हैं, जो सब रामायण की थीम पर आधारित होंगे.
बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा, कि मुख्यमंत्री ने नोडल इकाई अयोध्या विकास प्राधिकरण को, हवाई अड्डे तथा कुछ अन्य परियोजनाओं के लिए मंज़ूरी दे दी. लेकिन, सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ समीक्षा बैठक के बाद ही, नक़्शे को अंतिम रूप दिया जाएगा.
एक अधिकारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री स्वयं शीघ्र ही एक समीक्षा बैठक लेंगे, जिसमें नए अयोध्या शहर की योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा’. उन्होंने आगे कहा, ‘राज्य सरकार ने अपनी सहमति दे दी है, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) इसकी प्रगति पर नज़र बनाए हुए है. दो से तीन सप्ताह के भीतर, पीएम विज़न प्लान की समीक्षा करेंगे, जिसकी शुरूआती अनुमानित लागत, लगभग 20,000 करोड़ आएगी. बदलाव के मुताबिक़ ये बाद में बढ़ सकती है’.
मीटिंग के बाद आदित्यनाथ ने, सोमवार को अयोध्या के लिए कुछ और विकास योजनाओं का ऐलान किया, जिनमें सैलानियों के लिए 400 करोड़ रुपए की लागत से, एक एकीकृत बस टर्मिनल का निर्माण भी शामिल है. उसी दिन, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने अयोध्या-सुल्तानपुर मार्ग से नए हवाई अड्डे तक, चार लेन के एक हाईवे को भी मंज़ूरी दे दी.
ऊपर हवाला दिए गए अधिकारी ने कहा, ‘नए शहर के लिए कुछ और योजनाएं भी तैयार की गई हैं, जिनकी घोषणा प्रधानमंत्री के उन्हें अंतिम रूप देने के बाद की जाएगी’.
शनिवार को जब आदित्यनाथ अयोध्या विज़न प्लान की समीक्षा कर रहे थे, तो राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष, और पूर्व पीएमओ अधिकारी नृपेंद्र मिश्रा ने अयोध्या में एक बैठक की, जिसमें राम मंदिर निर्माण को गति देने के उपायों पर चर्चा की गई.
बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने कहा, ‘निर्माण कार्य में लगी एजेंसी से कहा गया कि किसी भी स्थिति में, अक्तूबर तक नींव का काम पूरा हो जाना चाहिए’. अधिकारी ने आगे कहा, ‘ऐसा इसलिए है कि दीपोत्सव (वो समारोह जो राज्य सरकार दीवाली पर अयोध्या में हर साल करती है) के दौरान, जब मुख्यमंत्री दौरा करेंगे, तो वो मंदिर में जाकर पूजा कर सकें’.
यूपी बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘बीजेपी ने राम मंदिर का वादा पूरा कर दिया है, इसलिए स्वाभाविक है कि ये एक बड़ी उपलब्धि होगी, जिसे चुनाव प्रचार के दौरान चमकाया जाएगा. श्रद्धालुओं को अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए, निर्माण कार्य में गति लाना आवश्यक है.राम विकास का प्रतीक हैं, जिसे प्रचार के दौरान प्रदर्शित किया जाएगा’.
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कोविड को लेकर गुस्से को शांत करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश बीजेपी भी लोगों के ग़ुस्से को, शांत करने की कोशिश में है, जो सरकार के कोविड प्रबंधन से बेहद नाराज़ हैं.
पहले क़दम के तौर पर प्रदेश इकाई ने, उन पार्टी कार्यकर्त्ताओं के परिवारों में जाना शुरू किया है, जो दूसरी लहर के दौरान मारे गए, खासकर वो जिन्हें बेड्स और ऑक्सीजन के लिए जूझना पड़ा. लोगों की शिकायतें हैं कि सरकार ने, उनकी कोई सहायता नहीं की.
लेकिन ये प्रक्रिया आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे से पहले ही शुरू हो चुकी है.
जून के आरंभ से, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने,राज्य के 15 ज़िलों में, बीजेपी कार्यकर्त्ताओं के प्रभावित परिवारों का दौरा किया है. कुछ मामलों में पार्टी ने आर्थिक सहायता भी पहुंचाई है.
बीजेपी सूत्रों ने कहा कि सोमवार को कैबिनेट बैठक के दौरान, आदित्यनाथ ने मंत्रियों से कहा कि अपने अपने चुनाव-क्षेत्रों में, कोविड-प्रभावित परिवारों से जाकर मिलें, ज़मीन पर राज्य सरकार की स्कीमों की समीक्षा करें, और उनके कार्यान्वयन के खिलाफ मिलने वाली, शिकायतों की सूची बनाएं.
उन्होंने मंत्रियों से ये भी आग्रह किया, कि बीजेपी कार्यकर्त्ताओं और ब्लॉक मंडल पदाधिकारियों से मुलाक़ात करें, और इसके अलावा आंगनवाड़ी तथा अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स से मिलने के लिए,स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों का दौरा करें.
मंत्रियों से ये भी कहा गया है, कि अपने मंडलों में, कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) राशन दुकानों का दौरा करें, और जांच करें कि राशन तथा अन्य स्कीमों के वितरण में, कोई ख़ामियां तो नहीं हैं.
सरकार और पार्टी के बीच रिश्तों को व्यवस्थित करने के, दिल्ली के सुझाव के मामले में, मुख्यमंत्री ने सिविल सर्वेंट्स से कहा है, कि सरकारी फंड्स, और कोविड या किसी भी अन्य स्कीम से जुड़े वितरण के मामले में, चुने हुए सदस्यों को ज़्यादा महत्व दिया जाना चाहिए, जिनमें ज़िला पंचायत अध्यक्ष से लेकर, विधायक, और सांसद तक शामिल हैं.
बीजेपी नेता और फैज़ाबाद सांसद, लल्लू सिंह ने दिप्रिंट को बताया, कि पार्टी के चुने हुए पदाधिकारियों की ये एक बड़ी शिकायत थी. सिंह ने कहा, ‘अधिकारी लोग चुने हुए सदस्यों की सुनते ही नहीं हैं. अयोध्या के विकास के बारे में भी, उन्हें मुझसे अधिक मालूम है. वो प्लानिंग और विकास में ज़्यादा शामिल हैं’.
नाराज़ कार्यकर्त्ताओं और नेताओं को जगह देना
2022 चुनावों से पहले नाराज़ कार्यकर्त्ताओं और नेताओं को समायोजित करने के लिए, मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी ने विभिन्न मंडलों, निगमों, और आयोगों में, रिक्त पद भरने का काम शुरू कर दिया है.
शासन से लेकर मीडिया तक, पार्टी के बहुत से प्रकोष्ठों के अंदर भी, रिक्तियां मौजूद हैं.
एक दूसरे वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘तात्कालिक चिंता विधान सभा चुनाव हैं, इसलिए कई इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं लाईं गईं हैं. नया अयोध्या शहर न सिर्फ हमें धार्मिक एकीकरण में फायदा पहुंचाएगा, बल्कि रोज़गार भी पैदा करेगा, जिसकी यूपी को सख़्त ज़रूरत है’.
उन्होंने ये भी कहा कि दिल्ली में, आलाकमान की सबसे बड़ी चिंता राज्य में कोविड-19 से आई तबाही थी. उन्होंने कहा, ‘इसलिए मंत्रियों को निर्देश दिया गया है, कि प्रभावित परिवारों से मिलें, और सकारात्मक भावनाएं पैदा करें. चूंकि पीएम का ज़ोर कोविड की तीसरी लहर की तैयारियों पर है, इसलिए हमें कहा गया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर, कमियों का पता लगाएं, और ज़मीनी स्तर पर धारणाओं को संभालें’.
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