मुंबई: संभावित लोकसभा उम्मीदवारों की पहचान करना, घर-घर जाकर प्रचार करना और वोटरों तक पहुंचना- पिछले साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा दोनों में कमजोर हुई शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले खुद को फिर से मजबूत करने के लिए यही कर रही है. पार्टी के नेताओं ने दिप्रिंट को इस बात की जानकारी दी.
लोकसभा चुनावों के अलावा, राज्य में अगले साल एक नई विधानसभा का चुनाव भी होना है.
बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने वाले महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री शिंदें ने जून 2022 में शिवसेना में विद्रोह का नेतृत्व किया था, जिसके बाद 40 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी था. इसकी वजह से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई. लोकसभा में उसके 18 में से 13 सांसद भी शिंदे गुट में शामिल हो गए.
पार्टी नेताओं के अनुसार, ठाकरे ने शिवसेना (यूबीटी) की जिला इकाइयों से अगले साल के चुनावों से पहले मतदाताओं तक पहुंचने में मदद करने के लिए घर-घर अभियान चलाने के लिए कहा है. इसके अलावा, पार्टी उन नेताओं की पहचान कर रही है जिन्हें चुनाव में उतारा जा सकता है, और अपने संदेश को फैलाने में मदद करने के लिए नागरिक समाज के सदस्यों तक भी पहुंच रही है.
शिवसेना (यूबीटी) के कोल्हापुर नगर प्रमुख सुनील मोदी ने दिप्रिंट के सामने स्वीकार किया कि यह कार्य चुनौतीपूर्ण था.
एनसीपी का गढ़ माने जाने वाले कोल्हापुर जिले से दो सांसद हैं और दोनों शिंदे की शिवसेना से हैं – कोल्हापुर से संजय मांडलिक जो कि पहले कांग्रेस के नेता थे और हटकनंगले से एनसीपी की पूर्व नेता निवेदिता माने के बेटे धैर्यशील माने.
उन्होंने कहा, ‘हम जमीनी स्तर पर उनकी ताकत से इनकार नहीं कर सकते और उनका वोट बैंक उनके परिवारों की वजह से लंबे समय से है. लेकिन जिला पदाधिकारियों ने उनकी जगह लेने के लिए पहले ही 3-4 लोगों की पहचान कर ली है.’ उन्होंने कहा कि ठाकरे ने चार महीने पहले ही पार्टी को चुनाव की तैयारी करने का निर्देश दिया था.
नासिक, औरंगाबाद और ठाणे जैसे अन्य जिलों में भी इसी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं.
हालांकि, पार्टी की अधिकांश योजनाएं शिवसेना के गठबंधन सहयोगियों – कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) पर टिकी हैं. हालांकि इन तीनों पार्टियों नवंबर 2019 से जून 2022 तक एक साथ मिलकर सरकार चलाई है लेकिन तीनों दलों ने अभी तक एक साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा है.
सोमवार को, एमवीए ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों के लिए सीटों के बंटवारे पर बातचीत की और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं का कहना है कि उनके अधिकांश प्रयास इन वार्ताओं के परिणाम पर निर्भर करेंगे.
पार्टी को फिर से खड़ी करना
पिछले साल शिंदे के गुट में शामिल होने वाले 13 सांसदों में से केवल तीन – माने, मांडलिक और हिंगोली के सांसद हेमंत पाटिल – पहली बार सांसद बने थे. पार्टी के अनुभवी नेताओं के इस पलायन से जो खालीपन आया था उसे पार्टी अब भरना चाह रही है.
शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं के अनुसार, पार्टी के पुनर्निर्माण के तरीकों पर चर्चा करने के लिए ठाकरे ने पिछले साल विभिन्न जिला-स्तरीय प्रमुखों के साथ कई बैठकें की हैं.
सुझावों में डोर-टू-डोर वोटर आउटरीच से लेकर विशिष्ट क्षेत्रों के लिए अभियानों को तैयार करना तक शामिल था.
उदाहरण के लिए, नासिक में, पार्टी की स्थानीय इकाई ने प्रत्येक पदाधिकारी को 100 मतदाताओं की एक सूची दी है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं. सेना (यूबीटी) के नासिक शहर के प्रमुख सुधाकर बडगुजर के अनुसार, ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रत्येक व्यक्ति को पार्टी के मतदाता के रूप में बदला जा सके.
उन्होंने कहा, “अगर कोई नकारात्मकता है, तो हम सकारात्मक बदलाव करने की दिशा में काम करेंगे ताकि हमें वोट मिल सकें.”
शिवसेना के गढ़ औरंगाबाद में, पार्टी की योजनाएं और ज्यादा विस्तृत हैं. पार्टी के पूर्व एमएलसी और पार्टी के जिलाध्यक्ष किशनचंद तनवानी के मुताबिक, 1 जून से 15 जुलाई तक पार्टी घर-घर संपर्क अभियान शुरू करने की योजना बना रही है.
उन्होंने कहा, “हम जनता के साथ अपना संपर्क बढ़ाने के लिए घर-घर जा रहे हैं ताकि हम उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बता सकें और समझ सकें कि वे क्या चाहते हैं और उन्हें मौजूदा सरकार की योजनाओं की समस्याओं के बारे में भी समझा सकते हैं.”
वह सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें कहा गया था कि हालांकि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का जून 2022 में विश्वास मत हासिल करने का फैसला अवैध था, लेकिन अदालत ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं कर सकती थी क्योंकि उन्होंने विश्वास मत का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
इस बीच, कोल्हापुर में, पार्टी ने जिले में सिविल सोसायटी के 500 लोगों – जैसे प्रमुख डॉक्टरों, वकीलों और उद्योगपतियों – को अपने अभियान में मदद करने की योजना बनाई है.
कोल्हापुर के सुनील मोदी ने कहा, “19 जून से हम बैठकें करेंगे और अभियान चलाकर उन्हें अपना पक्ष बताएंगे और अदालत के फैसले के बारे में बताएंगे. हम मानते हैं कि वे हमारे लिए इन्फ्लुएंसर की तरह काम कर सकते हैं.”
सीएम एकनाथ शिंदे के गढ़ माने जाने वाले ठाणे में भी पार्टी को बिल्ड करने की इसी तरह की कोशिशें की जा रही हैं. शिवसेना (यूबीटी) के जिला प्रवक्ता अनीश गादवे के मुताबिक, यहां पार्टी अपने कमजोर क्षेत्रों की पहचान कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘हम पार्टी को फिर से खड़ी करने पर जोर दे रहे हैं, जो लगभग पूरा हो चुका है. अब हमें हर आखिरी आदमी तक पहुंचना है, जिसमें सीएम एकनाथ शिंदे के घर के ठीक सामने वाले घर में रहने वाला व्यक्ति भी शामिल है.’
दूसरी पंक्ति की लीडरशिप
नेताओं के मुताबिक, शिवसेना (यूबीटी) की जिला इकाइयों ने पहले ही ऐसे नेताओं की पहचान कर ली है जो बागी सांसदों और विधायकों की जगह ले सकते हैं.
उदाहरण के लिए, औरंगाबाद में, जहां शिवसेना के छह मौजूदा विधायकों में से पांच अब शिंदे के गुट के साथ हैं, जिला प्रमुख तनवानी के अनुसार, पार्टी के पास पहले से ही पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेता नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं.
सुनील मोदी ने कहा कि इसका मतलब यह भी है कि शिवसेना के पुराने नेताओं को आगे लाया जाए, जैसे कि कोल्हापुर के जिला प्रमुख विजय देवाने, जिन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव लड़ा था, भले ही वह हार गए थे.
हालांकि, स्थानीय नेता स्वीकार करते हैं कि इनमें से ज्यादातर योजनाएं सहयोगी दलों कांग्रेस और एनसीपी के साथ सीटों के बंटवारे की बातचीत पर निर्भर करेंगी. यह औरंगाबाद और कोल्हापुर जैसी जगहों के लिए विशेष रूप से सच है जहां दोनों पार्टियों के पास मजबूत स्थानीय नेता हैं.
मोदी ने कहा, “हम नहीं जानते कि यह सीट [कोल्हापुर लोकसभा सीट] हमारी झोली में आएगी या नहीं. यहां तक कि एनसीपी और कांग्रेस के पास हसन मुश्रीफ (एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री) जैसे मजबूत स्थानीय नेता हैं, इसलिए हमें विश्वास है कि, किसी भी तरह से माने और मांडलिक हमें नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे.”
नासिक के सिटी हेड बडगुजर के मुताबिक, अब पार्टी के लिए चीजें होंगी.
“हर तूफान के साथ, एक अवसर भी अवश्य आता है. शिवसेना सबसे निचले पायदान पर है. अब इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता. “तो, जो होगा अच्छे के लिए होगा.”
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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