मुंबई: पिछले महीने एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के पद छोड़ने और एमएलसी शशिकांत शिंदे के नए अध्यक्ष बनने के बाद युवा विधायक रोहित पवार अब पार्टी में और अहम भूमिका निभा रहे हैं.
39 साल के रोहित पवार, जो एनसीपी (एसपी) के संस्थापक शरद पवार के भतीजे हैं, उनको पार्टी का महासचिव बनाया गया है और सभी फ्रंट सेल्स की जिम्मेदारी भी दी गई है. इस पदभार संभालने के बाद से—मंत्रियों के कथित कदाचार उजागर करने से लेकर जन आंदोलनों में शामिल होने तक उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर हमले तेज़ कर दिए हैं.
पार्टी में रोहित की बढ़त मानो उन्हें सरकार के खिलाफ खुलकर बोलने की छूट दे रही है. करीब 10 दिन पहले उन्होंने राज्य के मंत्री और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के करीबी माणिकराव कोकटे का एक वीडियो साझा किया, जिसमें वे विधानसभा के अंदर कथित तौर पर ‘रम्मी’ खेलते दिख रहे थे.
यह वीडियो सबसे पहले रोहित ने ही पोस्ट किया था. इसके बाद मामला तूल पकड़ गया और महायुति सरकार को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. अंततः कोकटे को कृषि मंत्री पद से हटाकर खेल मंत्रालय में भेज दिया गया.
पिछले महीने पवार मुंबई के आज़ाद मैदान में शिक्षकों के रातभर चले धरने में उनके समर्थन में पहुंचे. उन्होंने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता आरती साठे को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाए जाने पर भी सोशल मीडिया पर आलोचनात्मक पोस्ट डाले.
कई लोगों का मानना है कि जयंत पाटिल और रोहित पवार के बीच ठंडी जंग चल रही थी. अब जब पाटिल प्रदेश अध्यक्ष नहीं हैं, रोहित खुलकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं.
सुप्रभात!#हुंकार_आंदोलन, आझाद मैदान, मुंबई.
लढा शिक्षकांच्या हक्काचा, शिक्षण क्षेत्राला वाचवण्याचा! pic.twitter.com/CFHLMzFfxr
— Rohit Pawar (@RRPSpeaks) July 9, 2025
रोहित पवार के करीबी एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा, “ऐसा नहीं कि कोई ठंडी जंग थी, लेकिन जेपी (जयंत पाटिल) के समय उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं दी गई थी और वे पीछे थे, लेकिन अब वे अपनी क्षमताएं दिखा पा रहे हैं.”
सरकार के खिलाफ हर मुद्दे पर खुलकर मोर्चा लेने के बारे में वही पदाधिकारी ने कहा, “पिछले अध्यक्ष स्वभाव से नरम और शालीन थे, मुद्दों पर बोलते हुए भी चोट को हल्का कर देते थे, लेकिन रोहित दादा ऐसे नहीं हैं. उन्हें पता है कि वे कहां खड़े हैं और क्या सही है, क्या गलत और इसमें वे हिचकिचाते नहीं.”
दिप्रिंट ने रोहित पवार से फोन के जरिए संपर्क करने की कोशिश की है. उनका जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
आक्रामक अंदाज़
अक्सर कैज़ुअल शर्ट और जीन्स में नज़र आने वाले रोहित पवार, करजत-जामखेड सीट से दूसरी बार विधायक बनने के बाद से और ज्यादा मुखर हो गए हैं. पहली बार विधायक रहते हुए भी उन्होंने 2023 में एनसीपी के विभाजन के बाद पार्टी में अपनी भूमिका को केंद्र में लाने की कोशिश की थी.
2023 के दूसरे हिस्से में उन्होंने युवाओं और उनके मुद्दों को उठाने के लिए पुणे से नागपुर तक युवा संघर्ष यात्रा निकाली.
हाल में उन्होंने सरकार को घेरने के लिए जो मुद्दा उठाया, वह था—दहीहांडी कार्यक्रम प्रो-गोविंदा लीग को ‘रैपिडो’ द्वारा प्रायोजित किया जाना. यह कार्यक्रम परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक के बेटे ने आयोजित किया था, जबकि कुछ हफ्ते पहले ही सरनाईक ने इस ऐप-आधारित बाइक टैक्सी कंपनी के कथित अवैध संचालन पर आपत्ति जताई थी.
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में, रोहित पवार बीड ज़िले के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या का मुद्दा उठाने वालों में सबसे पहले नेताओं में से थे.
इस मामले में पूर्व परली नगर परिषद प्रमुख वाल्मिक कराड को गिरफ्तार किया गया, जो पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी माने जाते हैं. यह मामला राजनीतिक विवाद में बदल गया और अंततः मुंडे को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा.
रोहित ने परभणी के एक कार्यक्रम में राज्य मंत्री मेघना बोर्डिकर द्वारा एक ग्राम अधिकारी को कथित तौर पर थप्पड़ मारने की धमकी देने का मुद्दा भी उठाया.
उन्होंने इस घटना का कथित वीडियो शेयर करते हुए एक्स पर लिखा—“देवेंद्र फडणवीस जी, आपने कैसे ‘सज्जन’ मंत्री ढूंढे हैं? आपके कैबिनेट की छवि खराब हो रही है और सबसे महत्वपूर्ण, महाराष्ट्र की गरिमा पर आंच आ रही है. कृपया इन्हें नियंत्रित करें.”
इस पर मेघना बोर्डिकर ने सफाई दी—“जो मैंने कहा, वह जनता के हित में था. मैं ज़िला परिषद अधिकारियों के सामने एक ऐसे कर्मचारी के बारे में बोल रही थी, जो अपना काम सुधार नहीं रहा था. अगर कोई नहीं सुनता, तो हमें उसी भाषा और लहज़े में बात करनी पड़ती है, जो वह समझे.”
रोहित पवार का आक्रामक रूप उस समय भी दिखा, जब आज़ाद मैदान पुलिस स्टेशन के बाहर उनका एक वीडियो सामने आया. वे एनसीपी (एसपी) विधायक जितेंद्र आव्हाड के साथ वहां गए थे, ताकि विधानसभा भवन में आव्हाड समर्थकों और बीजेपी विधायक गोपिचंद पडालकर के समर्थकों के बीच हुई झड़प में घायल एक पार्टी कार्यकर्ता से मिल सकें.
इस झड़प के बाद दोनों गुटों के सदस्यों को विधान भवन में ही हिरासत में लिया गया और बाद में पुलिस को सौंप दिया गया.
पुलिस स्टेशन की इस मुलाकात के दौरान रोहित पवार एक उप-निरीक्षक पर मराठी में चिल्लाते नज़र आए—“आवाज़ नीचे रखो, नीचे रखो, अगर हाथ उठाया, तो सबक सिखा दूंगा.”
इस घटना के बाद पुलिस कर्मियों को धमकाने के आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, “ये सारे घटनाक्रम बताते हैं कि वह पार्टी के नेता के तौर पर उभर रहे हैं और युवा चेहरा होने की वजह से हमारी कार्यकर्ता टीम में भी नई ऊर्जा आई है.”
वरिष्ठ पवार का समर्थन
रोहित पवार ने अपना राजनीतिक करियर 2017 में पुणे ज़िला परिषद के सदस्य के रूप में शुरू किया. 2019 में वे विधायक बने.
शरद पवार के समर्थन के साथ, रोहित मानो अपने बड़े चाचा के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं. रोहित महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं. शरद पवार भी मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं और बाद में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष भी बने.
उपरोक्त उद्धृत पार्टी के दूसरे पदाधिकारी ने कहा, “उन्होंने शरद पवार का भरोसा जीता है और उन्हें अपने दादा का भी पूरा समर्थन है. सालों में उन्होंने खुद को साबित करना शुरू कर दिया है. उनका अंदाज़ सुप्रिया ताई या पवार साहब से अलग है. उन्हें परिवार का पूरा साथ मिला हुआ है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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