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Sunday, 21 September, 2025
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छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी ने केरल BJP की मुश्किलें कैसे बढ़ा दीं

केरल बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर ने शुक्रवार को ईसाई समुदाय के नेता से मुलाकात कर भरोसा दिलाया कि केंद्र ननों को ज़मानत दिलाएगा, लेकिन पार्टी के भीतर से अलग-अलग आवाजें उठ रही हैं.

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तिरुवनंतपुरम: छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के आरोप में केरल की दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच केरल बीजेपी अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर एक मुश्किल स्थिति में हैं. केरल में, जहां बीजेपी ने ईसाई समुदाय के बीच अच्छी पकड़ बनाई है, उन्हें शांत करने की उनकी कोशिशों से हिंदू संगठनों में नाराज़गी बढ़ गई है. मुश्किल और बढ़ाने वाली बात है बीजेपी के भीतर अलग-अलग राय.

शुक्रवार को चंद्रशेखर ने सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के आर्कबिशप मार एंड्रयूज थज़ाथ से मुलाकात की, जो कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, त्रिशूर के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने आर्चबिशप को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार गिरफ्तार ननों को ज़मानत दिलाने की व्यवस्था करेगी.

चंद्रशेखर ने बैठक के बाद मीडिया से कहा, “बुधवार को मेरी प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई. उन्होंने और गृहमंत्री ने मुझे भरोसा दिलाया कि ननों को ज़मानत मिलेगी और राज्य सरकार इसका विरोध नहीं करेगी. गृहमंत्री अमित शाह ने कल (गुरुवार) कांग्रेस सांसदों के सामने भी यही वादा किया.”

उन्होंने कहा, “यह प्रक्रिया है; इसे अपने तरीके से चलने दें. मेरा कहना है कि इस मामले को राजनीति से न जोड़ें. हम इसे राजनीति के तौर पर नहीं देखते. अगर लोग चाहेंगे कि हम इसमें शामिल हों, तो पार्टी करेगी. यह सिर्फ धर्म, पार्टी या राजनीति पर निर्भर नहीं है. यह घटना एक गलतफहमी थी.”

2011 की जनगणना के अनुसार, केरल की आबादी में ईसाई 18.38 प्रतिशत, हिंदू 54.73 प्रतिशत और मुस्लिम 26.56 प्रतिशत हैं. केवल हिंदू वोटों के सहारे केरल में चुनावी सफलता हासिल करने में बीजेपी को मुश्किल हुई है. इसलिए पार्टी के लिए ईसाई समुदाय लंबे समय से दक्षिणी राज्य में पैठ बनाने का एक अहम लक्ष्य रहा है.

अपने पहुंच बढ़ाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी नेतृत्व ने केरल में ईसाई समुदाय के नेताओं से मुलाकात के लिए कई दौरे किए हैं.

2024 के लोकसभा चुनाव में, त्रिशूर से बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अभिनेता-नेता सुरेश गोपी की जीत—जो कि ईसाई आबादी वाला इलाका है—ने साबित किया कि ये कोशिशें सही दिशा में थीं.

सीएसडीएस-लोकनीति के चुनाव बाद सर्वे के मुताबिक, 2024 लोकसभा चुनाव में केरल के 5 प्रतिशत ईसाई मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया, जब पार्टी ने राज्य में पहली बार जीत दर्ज की. पार्टी का वोट प्रतिशत 2019 के 13 प्रतिशत से बढ़कर पिछले साल 16.68 प्रतिशत हो गया. पार्टी को हिंदू इझावा समुदाय के 32 प्रतिशत और नायर समुदाय के 45 प्रतिशत वोट भी मिले.

अब साल के अंत में केरल में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं.

हालांकि, 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बहन प्रीथी मैरी, वंदना फ्रांसिस और एक अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी—जब बजरंग दल के एक कार्यकर्ता पुलिस के पास पहुंचा और उन पर बस्तर के नारायणपुर की तीन लड़कियों को धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश का आरोप लगाया—बीजेपी के ईसाई वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है.

गिरफ्तारियों के बाद से, बीजेपी ईसाई समुदाय तक पहुंच बनाए रखने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह प्रयास आंतरिक आलोचना का सामना कर रहा है. सोमवार को हुई गिरफ्तारी के तुरंत बाद, चंद्रशेखर ने कहा था कि पार्टी को यकीन है कि नन लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराने के लिए छत्तीसगढ़ नहीं गई थीं. हालांकि, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव का बयान और स्थानीय बीजेपी नेताओं द्वारा ननों की गिरफ्तारी का बचाव, पार्टी को केरल में मुश्किल स्थिति में ले गया है.

संतुलन साधने की कोशिश

राज्य बीजेपी इकाई के भीतर से कई आवाजें उठ रही हैं.

चंद्रशेखर ने कहा कि ननों का जबरन धर्म परिवर्तन में कोई हाथ नहीं है. लेकिन केरल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि मोदी के सत्ता में आने से पहले जबरन धर्म परिवर्तन होते थे. यह बयान एक दिन बाद आया जब केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने कहा कि ननों का मामला यह तय करने में कसौटी होगा कि चर्च और बीजेपी के बीच भविष्य का रिश्ता कैसा रहेगा.

सुरेंद्रन ने कहा, “छत्तीसगढ़ के संदर्भ में आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार के आने के बाद ऐसे मामलों में कमी आई है. यह एक सच्चाई है जिसे केरल में जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया जाता है, जहां अलग-अलग घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है.” उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के कोडिक्कुन्निल सुरेश और वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार में शामिल सीपीआई(एम) नेता पी.के. बीजू की एक फोटो साझा की. इसका इस्तेमाल उन्होंने यह आरोप दोहराने के लिए किया कि एलडीएफ और यूडीएफ मिलकर स्पीकर ए.एन. शमसीर द्वारा हिंदू देवी-देवताओं पर की गई टिप्पणियों से जुड़ा विवाद दबा रहे हैं.

सुरेंद्रन ने यह भी दावा किया कि केरल में असली अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को चुनाव जीतने के मौके नहीं मिलते, यहां तक कि आरक्षित सीटों से भी नहीं.

दिप्रिंट से बात करते हुए संघ परिवार से जुड़े संगठन हिंदू ऐक्य वेदी के अध्यक्ष आर.वी. बाबू ने कहा कि बीजेपी के राजनीतिक हित और ईसाइयों के साथ उसकी नज़दीकी हिंदुओं की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. यह संकेत था कि हिंदू संगठन केरल में अपना रुख नरम नहीं करेंगे.

आर.वी. बाबू ने कहा, “सिर्फ इसलिए कि ईसाई और बीजेपी नज़दीक आ रहे हैं, हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते अगर इसका असर हिंदुओं पर पड़े. हम बीजेपी की स्थिति समझते हैं. लेकिन हम किसी भी ऐसी चीज़ का समर्थन नहीं करेंगे जो बड़े हिंदू हित को प्रभावित करे.”

बाबू ने कहा कि यह मंच समझ नहीं पा रहा है कि राजनीतिक पार्टियां, जिसमें बीजेपी भी शामिल है, इतनी जल्दी क्यों कर रही हैं यह साबित करने के लिए कि गिरफ्तार नन निर्दोष हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में दर्ज एफआईआर में गंभीर आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ईसाई संगठनों का धार्मिक परिवर्तन को बढ़ावा देने का इतिहास रहा है.

उन्होंने कहा, “मामला जांच के अधीन है. फैसला पुलिस और अदालत को करना चाहिए. राज्य सरकार और मुख्यमंत्री तक गंभीर आरोप लगा रहे हैं. तो फिर कोई भी, चाहे वह बीजेपी हो या केरल का कोई और, कैसे कह सकता है कि वे (नन) निर्दोष हैं?”

राज्य के राजनीतिक विश्लेषक जोसेफ सी. मैथ्यू ने कहा कि ननों की गिरफ्तारी का मामला बीजेपी केरल में अपने विस्तार के इरादों को प्रभावित करेगा, क्योंकि ईसाई समुदाय अब उत्पीड़न का डर महसूस करेगा, भले ही नेतृत्व उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहा हो.

उन्होंने कहा, “यह काम नहीं करेगा (ईसाई आश्वस्त नहीं होंगे), क्योंकि छत्तीसगढ़ बीजेपी का रुख अलग है. यह घटना बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचाएगी. यह बहुत गलत समय पर हुआ है. चुनाव में अब सिर्फ कुछ महीने बचे हैं, ऐसे में पार्टी के लिए मतदाताओं को मनाना मुश्किल होगा.”

मैथ्यू ने कहा कि जब नेतृत्व ईसाई समुदाय को मनाने की कोशिश करेगा, तो उसे भीतर से भी आलोचना झेलनी पड़ेगी, क्योंकि पार्टी के केंद्र में हिंदुत्व है.

उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि बीजेपी में हमेशा यह दोहरापन रहा है. इसकी असल पहचान मूल हिंदुत्व है. यहां तक कि राजीव चंद्रशेखर भी एक संक्रमणकालीन नेता हैं. वे एक बिजनेसमैन हैं, जो चुनाव से पहले राज्य में अपनी मौजूदगी बनाना चाहते हैं. लेकिन पार्टी के भीतर कई कट्टर हिंदुत्व नेता हैं, जो इसका मूल ढांचा बनाते हैं. बीजेपी उन्हें भी नहीं छोड़ सकती.”

मार्च में नियुक्त हुए राजीव चंद्रशेखर फिलहाल राज्य में केवल विकास के वादे के साथ पार्टी का प्रचार कर रहे हैं.

इस नेता ने जुलाई में पार्टी की राज्य समिति में तीन ईसाइयों को भी शामिल किया था.

सही या गलत

पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव और विरोधाभासी बयानों के बीच, बीजेपी इस विशेष धर्म परिवर्तन के मामले में रुख तय करने को लेकर दुविधा में है, क्योंकि इसके नेता और कार्यकर्ता अलग-अलग राय दे रहे हैं.

गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि मुख्यधारा के ईसाई संप्रदाय धर्म परिवर्तन में शामिल नहीं हैं और इसके लिए सिर्फ “न्यू एज चर्च” ज़िम्मेदार हैं.

कुरियन ने गुरुवार को कहा, “एफआईआर प्रक्रियाएं पूरी होने से पहले दर्ज की गई थी. ननों को बीजेपी ने गिरफ्तार नहीं किया था. यह टीटीई था जिसे बच्चों के व्यवहार पर शक हुआ.”

केरल बीजेपी में प्रमुख ईसाई चेहरों में से एक माने जाने वाले कुरियन को पहले इस बात के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी कि वे केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी के साथ चुपचाप खड़े रहे, जब गोपी ने मीडिया से कहा था कि वे यह पुष्टि नहीं कर सकते कि धर्म परिवर्तन हुआ था या नहीं, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है.

दिप्रिंट से बात करते हुए बीजेपी नेता और वकील शोन जॉर्ज ने कहा कि अगर ननों ने सच में किसी का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश की होती, तो पार्टी उनका समर्थन नहीं करती.

उन्होंने कहा, “अगर ननों ने वही किया होता जो एफआईआर में लिखा है, तो हम कभी उनका समर्थन नहीं करते. लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि यह गिरफ्तारी एक गलतफहमी थी. बीजेपी एक बड़ा संगठन है, और कुछ लोग शायद पूरी तरह समझ नहीं पाए कि क्या हुआ था.”

जॉर्ज कुरियन ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और सीपीआई(एम) ने इस मुद्दे को अपने फायदे के लिए राजनीतिक रंग दे दिया है, खासकर तब जब हाल ही में बीजेपी को एक “ईसाई चेहरा” सांसद के रूप में मिला है और ईसाई समुदाय में पार्टी का समर्थन बढ़ रहा है. फिर भी, कुरियन ने जोर देकर कहा कि समुदाय जानता है कि बीजेपी ने उनके लिए अब तक क्या किया है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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