नई दिल्ली: नागालैंड में विपक्षी दलों के सरकार के साथ हाथ मिला लेने के एक महीने बाद शनिवार शाम को मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने घोषणा की कि नए गठन को यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस (यूडीए) कहा जाएगा—इसके साथ ही उनके नेतृत्व वाली सरकार विपक्ष-मुक्त हो गई है.
रियो ने अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से किए गए एक ट्वीट में कहा, ‘नए नाम को नागालैंड में सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) सरकार का नेतृत्व करने वाली नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के विधायकों, भाजपा, विपक्ष में रहे नागा पीपुल्स फ्रंट (पीएफए) और निर्दलीय विधायकों की तरफ से मंजूरी दी गई है.’
नागालैंड विधानसभा अभी 59 सदस्यीय सदन है, एक विधायक का निधन हो चुका है. राज्य में विपक्षी दल रहे एनपीएफ ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 25 सीटें जीती थीं, लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियों और एनडीपीपी के साथ संबंध रखने के आरोप में सात विधायकों को निलंबित कर दिया गया था. भाजपा और दो निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ मिलकर पीडीए सरकार बनाने वाली एनडीपीपी के पास कुल 34 विधायक हैं.
इसी साल 19 जुलाई को एनपीएफ ने मुख्यमंत्री रियो को एक पत्र सौंपा था जिसमें नगा राजनीतिक समस्या के जल्द से जल्द समाधान के लिए एक सर्वदलीय सरकार के गठन का आग्रह किया गया था. एक महीने बाद रियो के नेतृत्व वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस ने नगा शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए एनपीएफ के साथ मिलकर एक प्रस्ताव पारित किया.
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब विपक्षी दलों ने नागालैंड में स्थायी राजनीतिक समाधान के लिए राज्य सरकार के साथ हाथ मिलाया है. नगा आंदोलन को सबसे ज्यादा लंबे समय तक चलने वाला विद्रोह माना जाता है, जो ब्रिटिश शासनकाल में शुरू हुआ, और नागालैंड के भारतीय राज्य बनने के बाद भी चलता रहा है.
1997 में केंद्र सरकार और सबसे बड़े विद्रोही समूहों में शामिल नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (एनएससी-आईएम) के बीच संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, 2015 में बातचीत फिर से शुरू हुई—और इसी वर्ष राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस के आठ विधायक एनपीएफ की अगुआई वाले डेमोक्रेटिक एलायंस की सरकार में शामिल हो गए जिसका नेतृत्व तत्कालीन मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग कर रहे थे. और इसके साथ ही राज्य विधानसभा विपक्ष मुक्त हो गई थी.
इसके बाद कांग्रेस ने राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन वाली एनपीएफ-नीत सरकार का समर्थन करने को लेकर पार्टी से आठ विधायकों को निलंबित कर दिया था.
हालांकि, जेलियांग ने इन आठ विधायकों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया और उन्हें मंत्री, संसदीय सचिव और डिप्टी स्पीकर जैसे महत्वपूर्ण पद सौंपे.
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विपक्ष-मुक्त सर्वदलीय एकजुटता का प्रयोग
नागालैंड मुद्दे पर संसदीय समिति की कोर कमेटी ने पूर्व में समस्या के समाधान के लिए मिलजुलकर साझा दृष्टिकोण अपनाने का संकल्प जताया था. एनपीएफ विधायक दल ने भी नगा शांति समस्या के समाधान के लिए विपक्ष रहित सरकार की अवधारणा पर सहमति जताई थी.
11 और 13 अगस्त, 2021 को एक साझा प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें एनपीएफ ने घोषणा की कि सभी राजनीतिक दल नगालैंड के सभी राजनीतिक समूहों से एकता और सुलह की दिशा में गंभीर प्रयास करने की अपील करेंगे, और भारत सरकार से भी जल्द से जल्द कोई सौहार्दपूर्ण निकालने का आग्रह करेंगे. विधानसभा में इस मोर्चे पर सभी राजनीतिक दलों ने परस्पर एकजुटता सुनिश्चित की.
11 जून को नागालैंड सरकार ने घोषणा की कि वे एक संसदीय समिति गठित करेंगे जिसमें राज्य के सभी विधायक और सांसद भी शामिल होंगे—इसकी पहली बैठक जुलाई में दीमापुर में हुई थी.
24 जुलाई को मुख्यमंत्री रियो दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले और सरकार से नागालैंड मुद्दे को हल करने की दिशा में उपयुक्त कदम उठाने का आग्रह किया—माना जाता है कि विपक्ष रहित सरकार बनाने का विचार इसी बैठक में आया. भाजपा को पहले यूडीए की इस पहल पर संदेह था क्योंकि वह गठबंधन में जूनियर पार्टनर बन जाने को लेकर आशंकित थी.
सूत्रों के मुताबिक, शाह ने 2023 में प्रस्तावित चुनावों के साथ शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सभी दलों से साथ मिलकर काम करने को कहा. इसके पीछे विचार यह था कि इस तरह का रुख सभी दलों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि जनता उन्हें समस्या के समाधान के प्रति गंभीर मान सकेगी.
आगे की राह
यूडीए के नए सिरे से गठन के बाद विभागों के पुन: आवंटन पर चर्चा होनी है लेकिन यह तात्कालिक प्राथमिकता नहीं है. विधायकों ने कहा कि ‘पहले कदम’ को मंजूरी मिल गई है और सभी दल नगा संकट के हल के लिए समिति के हिस्से के तौर पर एक साथ आ गए हैं.
नार्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस के संयोजक और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा एनएससीएन (आई-एम) के प्रमुख था मुइवा के साथ वार्ता के लिए 21 सितंबर को दीमापुर का दौरा करने वाले हैं.
नागालैंड में छह दशक से जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री मोदी और एनएससीएन की मौजूदगी में नगा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
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