नई दिल्ली : जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा केंद्र में सत्ता में नहीं आयी थी, 25 सितंबर का राष्ट्रीय स्तर पर कोई खास महत्व न था. पर 2014 से एक बदलाव आया है. जनसंघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय की वर्षगांठ सरकार कई तरीकों से मना रही है- जिसमें कई कार्यक्रमों और योजनाओं को लॉन्च करना शामिल है.
भाजपा की कोशिश है कि उसके महानायकों को, जिनको उनके अनुसार दूसरे शासन कालों में उतनी तवज्जो न मिली जितनी के वे हक़दार थे, वे पुनर्जीवित करें. मोदी सरकार के सत्ता संभालते ही ये काम बहुत तत्परता से किया जा रहा है.
भाजपा सरकार ने कई बड़ी परियोजनाओं को उपाध्याय का नाम दिया है. इस साल अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में मोदी ने अपनी महत्वाकांक्षी, आयुष्मान भारत या राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा की थी. योजना उपाध्याय की जन्मदिन पर शुरू की गई पर उपाध्याय भाजपा के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों है? और अपने पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने उपाध्याय की याद ताज़ा करने के लिए क्या किया है?
संघ विचारक
मथुरा ज़िले के नगला चंद्रभान गांव में 25 सितंबर 1916 को उपाध्याय का जन्म हुआ. वे 1942 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए और अंत तक संघ के प्रचारक रहें. 1951 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की तो उपाध्याय उसका हिस्सा बने और बाद में उसके अखिल भारतीय महासचिव बने. वे इस पद पर 15 साल रहे.
उपाध्याय 1967 में जनसंघ के अध्यक्ष बने और आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य के संपादक भी रहे. पर चुनावी राजनीति में वे सफल नहीं हुए और 1963 में जौनपुर लोक सभा सीट से उपचुनाव हार गए.
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उपाध्याय का राजनीतिक फलसफा- ‘एकात्म मानववाद’ की व्याख्या पहली बार 1965 में हुई. बाद में जनसंघ के मुख्य नीति का हिस्सा बना. और भाजपा ने व्यक्तिवाद को नकार कर एक ‘वर्ग विहीन, जाति विहीन और द्वंद्व विहीन सामाजिक संरचना’ की परिकल्पना की.
उपाध्याय की मृत्यु का रहस्य हालांकि अभी तक बना हुआ है. फरवरी 1968 में उनका शव उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय रेलवे स्टेशन की पटरी पर मिला था. उन्होंने पटना के लिए सियालदाह एक्सप्रेस पकड़ी थी. हालिया रिपोर्टों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार उनकी मौत की जांच के आदेश देने वाली है.
उपाध्याय की सोच को पुनर्जीवित करना
भाजपा अकसर इस बात पर नाराज़गी व्यक्त कर चुकी है कि कांग्रेस ने स्वतंत्रता के बाद के इतिहास को अपने ही नेताओं का प्रचार प्रसार में लगाया है.
भाजपा के अनुसार इस एकतरफा इतिहास का सामना करने के लिए भाजपा अपने विचार वाले चिंतको जैसे उपाध्याय, मुखर्जी की चर्चा कर रही है साथ ही कांग्रेस के थोड़े रूढ़ीवादी नेताओं जैसे मदन मोहन मालवीय और सरदार पटेल का प्रचार कर रही है.
उपाध्याय भाजपा के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योकि उनका जनसंघ को स्थापित करने और उसे वैचारिक दिशानिर्देश देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी. जनसंघ के संस्थापक हालांकि मुखर्जी थे पर उनकी असमय मौत के कारण जनसंघ के शुरूआती लगभग 15 सालों तक असल में उपाध्याय के हाथ ही था. हाल की भाजपा की चुनावी राजनीति में बढ़त के लिए जिन नेताओं को श्रेय दिया जाता है – अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवानी आदि उनके मातहत काम कर चुके हैं और उनसे सीखे हैं.
प्रचारक होने के कारण, उपाध्याय हिंदुत्व के प्रति अंत तक प्रतिबद्ध रहे और ऐसे में भाजपा जब उनको अपनाती है तो वो उनकी विरासत का भी हिस्सा बनती है. जैसे जैसे भाजपा अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है और ग़रीबों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है वो ‘एकात्म मानववाद’ का सहारा ले रही है.
विरासत को प्रचलित करने के क़दम
राष्ट्रीय जनतांत्रिक सरकार ने अपनी योजना के तहत उपाध्याय के योगदान के प्रचार को बढ़ाया है, कई योजनाएं उनके नाम पर रखीं है और उनसे जुड़े उपलक्षों को राज्यों में ज़ोर से प्रसारित किया जा रहा है.
इस साल के शुरू में मुग़लसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर दीन दयाल उपाघ्याय जंक्शन रखा गया. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत केंद्र सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना शुरू की है जो ग्रामीण गरीबों को हुनर सिखायेगा.
ग्रामीण भारत को अबाध्य बिजली पहुंचाने वाली योजना का नाम दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है जिसने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना का स्थान लिया है. फिर दिव्यांगों के पुनर्उत्थान के लिए दीनदयाल डिसेब्लड रिहैबिलिटेशन स्कीम है ही.
भाजपा शासित राज्य भी कहां पीछे रहने वाले थे – उन्होंने भी अपनी योजनाएं बनाईं.
मध्य प्रदेश ने सस्ते दरों में -पांच रूपये में – खाने की योजना दीनदयाल रसोई योजना शुरू की. राजस्थान में ग्रामीण छात्रों के रोज़मर्रा की समस्याओं को हल करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन कल्याण परिवार शिविर शुरू किया है. हरियाणा सरकार ने सस्ते घरों की योजना का नाम दीनदयाल जन आवास योजना रखा है.
मोदी के गृह राज्य गुजरात में सस्तें दामों में जेनेरिक दवाईंया उपलब्ध कराने की दुकानों का नाम दीनदयाल प्रधानमंत्री जन औषधि स्टोर रखा गया है. उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि उनकी सरकार की विकास नीति दीनदयाल के ‘अंत्योदय’ फलसफे पर आधारित होगी.
और ये सभी केवल उदाहरण मात्र है, कई परियोजनाएं, सड़कों आदि को उनका नाम दिया गया है.
2016 नें, केंद्र सरकार ने दीनदयाल उपाघ्याय का जन्म शताब्दी कीर्यक्रम बड़े भव्य पैमाने पर मनाया था जिसे प्रधानमंत्री ने केरल के कोज़ीकोड में हरी झंडी दिखाई थी, जहा उन्हें जनसंध का अध्यक्ष चुना गया था और इसका समापन दिल्ली में 25 सितंबर को एक भव्य आयोजन से किया गया था जिसमें भाजपा के 2000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.
इस जन्मशताब्दी कार्यक्रम के लिए 100 करोड़ का बजट रखा गया था.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, यह खबर 25 सितंबर 2018 को प्रकाशित हो चुकी है)