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Sunday, 9 March, 2025
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चुनावी राज्य बिहार में कांग्रेस कैसे कन्हैया की वापसी का रास्ता तैयार कर रही है

कन्हैया कुमार ने 2024 का लोकसभा चुनाव दिल्ली से लड़ा था, लेकिन अब वह बिहार में सक्रिय होने की योजना बना रहे हैं. उनके चुनाव लड़ने की संभावना है, लेकिन सीट अभी तय नहीं हुई है.

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नई दिल्ली: “मैंने शीर्ष नेतृत्व से कहा कि मैं बिहार जाने के लिए तैयार हूं, लेकिन सिर्फ एक और चुनाव लड़ने के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए. हमें यहां कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. ये शब्द कन्हैया कुमार के थे, जब उन्होंने पिछले महीने बेगूसराय जिले में पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.

वह युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों और पार्टी के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के नेताओं से अपने गांव बिहट स्थित घर पर दो साल बाद पहली बार मिले.

हालांकि, उन्होंने अपनी पूरी रणनीति साझा नहीं की, लेकिन कांग्रेस पदाधिकारियों के मुताबिक, कन्हैया ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया और संकेत दिया कि वह दिल्ली से बिहार में अपनी राजनीतिक गतिविधियों का आधार स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं.

कन्हैया ने 2024 लोकसभा चुनाव में दिल्ली की उत्तर-पूर्वी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इससे पहले, 2019 के आम चुनाव में, उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़ा था, जिसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

कांग्रेस पदाधिकारियों के अनुसार, कन्हैया अब बिहार की राजनीति में वापसी करना चाहते हैं, पूरे राज्य में पदयात्रा निकालने की योजना बना रहे हैं और इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बेगूसराय जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

इस प्रक्रिया में, वे बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा होंगे.

एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, राहुल गांधी सहित, चाहते हैं कि कन्हैया बिहार में सक्रिय हों और जल्द ही उन्हें वहां सड़कों पर देखा जाएगा.

उन्होंने कहा, “होली के बाद मार्च के तीसरे सप्ताह से एक राज्यव्यापी पदयात्रा भी योजना में है और कन्हैया इसमें अहम भूमिका निभाएंगे. इसे कांग्रेस में उनके ‘लॉन्चपैड’ के रूप में भी देखा जा सकता है.”

बेगूसराय में युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राहुल कुमार, जिन्होंने कन्हैया से मुलाकात की, ने दिप्रिंट से कहा, “जब हमें पता चला कि वे शहर में हैं, तो हम उनसे मिले. कुछ अन्य युवा कार्यकर्ताओं ने भी उनसे मुलाकात की. वह हमारे लिए एक बड़ा नाम हैं. हम चाहते हैं कि वे यहां सक्रिय हों। उनकी जमीनी पकड़ मजबूत है, जो बिहार में कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होगी.”

पार्टी पदाधिकारियों के मुताबिक, कन्हैया ने पिछले महीने की बैठक में बेगूसराय में कांग्रेस की गतिविधियों को लेकर फीडबैक लिया और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं की एक छोटी टीम को जिम्मेदारी सौंपी कि वे उनकी अगली यात्रा से पहले विस्तृत फीडबैक तैयार करें। उनकी अगली यात्रा मार्च के मध्य में संभावित है.

एनएसयूआई के एक कार्यकर्ता, जो बैठक में मौजूद थे, ने बताया, “हमें बेगूसराय की सभी सात विधानसभा सीटों से फीडबैक इकट्ठा करने के लिए कहा गया है. हम सभी आयु वर्ग के लोगों से स्थानीय मुद्दों और मौजूदा विधायकों द्वारा अधूरे वादों पर चर्चा करेंगे. साथ ही, हमें 16 मार्च से संभावित रूप से शुरू होने वाली पदयात्रा की तैयारी करने के लिए भी कहा गया है.”

जब दिप्रिंट ने कन्हैया से संपर्क किया, तो उनके कार्यालय ने यात्रा की योजना की पुष्टि की, लेकिन वे इस पर टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं थे.

एआईसीसी के बिहार प्रभारी सचिव शाहनवाज आलम ने कहा, “अभी हमारा ध्यान सभी जिलों में संगठन को मजबूत करने पर है। यह तय नहीं है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, लेकिन पार्टी चाहती है कि सभी बड़े चेहरे बिहार में सक्रिय हों. आने वाले दिनों में आप बड़ी यात्राएं और राज्य सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखेंगे.”

हालांकि, बिहार कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि 2019 के बाद से कन्हैया की राज्य की राजनीति से अनुपस्थिति उनकी वापसी की योजना के लिए नुकसानदायक हो सकती है और यह उनके लिए आसान नहीं होगा.

“मुझे याद नहीं कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कन्हैया बेगूसराय में किसी राजनीतिक गतिविधि का हिस्सा रहे हों. उन्होंने 2021 में कांग्रेस जॉइन की थी, लेकिन बिहार में सक्रिय नहीं थे. अब, अपनी आखिरी यात्रा में, उन्होंने युवा कांग्रेस और NSUI कार्यकर्ताओं के सामने यहां लौटने में रुचि दिखाई है,” बेगूसराय के एक कांग्रेस नेता ने दिप्रिंट को बताया.

‘किसान और नौजवान’

कन्हैया 2016 में देशद्रोह मामले में गिरफ्तार होने के बाद सुर्खियों में आए थे, जब वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे. उस समय वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य थे. सितंबर 2021 में, उन्होंने कांग्रेस जॉइन की और जुलाई 2023 में उन्हें NSUI का अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रभारी बनाया गया.

कन्हैया अपने प्रभावशाली भाषणों की वजह से भीड़ खींचने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं. वे कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के स्थायी आमंत्रित सदस्य भी हैं, जो पार्टी का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला मंच है.

हालांकि, NSUI के प्रभारी के रूप में वे कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ सके और उनकी “तानाशाही” कार्यशैली के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ी.

अब, AICC ने कन्हैया की बिहार में दोबारा एंट्री के लिए पदयात्रा की योजना बनाई है.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, यह यात्रा कम से कम तीन सप्ताह की होगी, और राहुल गांधी भी इसमें एक दिन के लिए शामिल हो सकते हैं. यात्रा की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन इसका उद्देश्य युवाओं को रोजगार और किसानों को स्थानीय मुद्दों के प्रति जागरूक करना है.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “‘किसान और नौजवान’ इस पदयात्रा का केंद्रीय विषय होगा.”

उन्होंने आगे बताया, “कन्हैया विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन सीट अभी तय नहीं हुई है. बेगूसराय में कुल सात विधानसभा सीटें हैं और कन्हैया का गांव तेघड़ा विधानसभा सीट में आता है, जहां वर्तमान विधायक सीपीआई से हैं. इसलिए, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि गठबंधन में क्या सहमति बनती है और उनके लिए कहां जगह बनती है.”

बेगूसराय की सात विधानसभा सीटों में से तीन—बछवाड़ा, बेगूसराय और मटिहानी—एनडीए के पास हैं। कांग्रेस के अंदर चर्चा है कि कन्हैया इनमें से किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि बिहार में कांग्रेस के पास सिर्फ 19 विधायक और 3 सांसद हैं.

“हमारे पास इतनी संख्या नहीं है कि राष्ट्रीय जनता दल पर दबाव बना सकें ताकि वह हमें गठबंधन में ज्यादा सीटें दे. ऐसे में कांग्रेस के लिए एकमात्र रास्ता यही है कि हम जमीन पर ज्यादा सक्रिय हों. हम चाहते हैं कि कन्हैया कुमार और पप्पू यादव जैसे बड़े चेहरे पूरी तरह सक्रिय हों. तकनीकी रूप से पप्पू यादव कांग्रेस के सांसद नहीं हैं, लेकिन वे हमारे लिए प्रचार जरूर करेंगे.”

इस पदाधिकारी ने यह भी बताया कि कन्हैया 2024 का लोकसभा चुनाव बिहार से लड़ना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता था.

उन्होंने बताया, “तेजस्वी और लालू दोनों कन्हैया का समर्थन नहीं करना चाहते थे, इसलिए अंतिम समय पर उन्हें दिल्ली से चुनाव लड़ने को कहा गया.”

बेगूसराय के कांग्रेस नेता ने कहा, “देखना दिलचस्प होगा कि अगर कन्हैया इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, तो क्या RJD उनका समर्थन करेगी? आने वाले दिनों में कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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