मुंबई: महाराष्ट्र में अपने पांच साल के कार्यकाल का करीब आधा रास्ता तय कर चुकी सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दल भाजपा की तरफ से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गठबंधन को परोक्ष रूप से विधानसभा में अपनी ताकत साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
भाजपा राज्यसभा और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) चुनावों के जरिये एमवीए के अंदर असुरक्षा की भावना का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है, जिस गठबंधन में पूर्व वैचारिक प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल हैं. यही वजह है कि उसने इन दोनों ही चुनावों में अपने संख्याबल के लिहाज से ज्यादा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का दांव चला है.
288 सदस्यीय विधानसभा में अपने 106 विधायकों के हिसाब से भाजपा 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव में 6 में से 2 सीटें आराम से जीत सकती है, लेकिन उसने तीन उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. इसी तरह भाजपा के पास विधान परिषद में 4 सदस्यों के निर्वाचन की ताकत है, लेकिन 20 जून को होने वाले एमएलसी चुनाव के लिए उसने 5 उम्मीदवार उतारे हैं.
ये दोनों चुनाव नवंबर 2019 में विश्वास मत के बाद पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा में एमवीए की ताकत की असली परीक्षा होंगे. खासकर एमएलसी चुनाव थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि राज्यसभा चुनावों के विपरीत इसमें गोपनीय मतदान होता है. राज्यसभा चुनाव में विधायकों को मतपेटी में डालने से पहले पार्टी व्हिप को अपना वोट दिखाना होता है.
इस सबने काफी हद तक आंतरिक मतभेदों से जूझ रहे एमवीए के लिए अपने विधायकों को एकजुट रखना एक बड़ी चुनौती बना दिया है.
हालांकि, राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई का मानना है कि एमवीए को निशाना बनाने की भाजपा की कोशिशों ने तीनों सहयोगियों को और मजबूती से एक साथ ला दिया है.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा का प्रयास एमवीए को अफरा-तफरी की स्थिति में लाने का था, लेकिन इसमें वह अपनी उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हो पाई है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे चुनाव में एमवीए उम्मीदवारों के लिए समर्थन हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे और इस पर काफी आश्वस्त भी नजर आ रहे हैं.’
संख्याबल के लिए जोड़तोड़
महाराष्ट्र की छह राज्यसभा सीटों के लिए सात उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. भाजपा जहां दो सीटें आराम से जीत सकती है, वहीं क्रमशः 56, 53 और 44 विधायकों के साथ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस कुछ सरप्लस वोटों के साथ एक-एक सीट पर जीत हासिल कर सकती हैं.
छठी सीट के लिए मुकाबला भाजपा और शिवसेना के बीच है. राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक उम्मीदवार को 42 वोटों की जरूरत होगी. अपने दो उम्मीदवारों के निर्वाचित होने के बाद भाजपा के पास 22 सरप्लस वोट बचेंगे. वहीं, तीनों एमवीए पार्टियों के पास एक साथ मिलाकर 26 सरप्लस वोट हैं.
शिवसेना और भाजपा दोनों के लिए यहां 13 निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों के 16 विधायकों का समर्थन बेहद महत्वपूर्ण होगा. भाजपा ने शिवसेना के संजय पवार के खिलाफ अपने तीसरे उम्मीदवार धनंजय महादिक को मैदान में उतारा है.
चूंकि एनसीपी विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक जेल में हैं, इसलिए एमवीए उन्हें वोट देने का अधिकार दिलाने की कोशिश कर रहा है.
एमवीए ने मंगलवार शाम दक्षिण मुंबई के ट्राइडेंट होटल में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, जैसा उसने नवंबर 2019 में महाराष्ट्र में सरकार गठन से पहले ग्रैंड हयात में किया था.
तीनों एमवीए पार्टियों के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 12 निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक भी बैठक में शामिल हुए, और ठाकरे ने एमवीए की जीत का पूरा भरोसा जताया है.
सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने भाजपा से अपने तीसरे उम्मीदवार को मैदान से हटाने का अनुरोध किया ताकि चुनाव निर्विरोध सम्पन्न कराए जा सकें लेकिन विपक्षी दल ने इस पर कोई तवज्जो नहीं दी. राज्यसभा के लिए शुक्रवार को होने वाले चुनाव से पहले एमवीए और भाजपा दोनों ने अपने-अपने विधायकों को मुंबई के पांच सितारा होटलों में ठहराया है.
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में भाजपा को चार सीटें मिल सकती हैं, जबकि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीनों दलों को दो-दो सीटें मिल सकती हैं. भाजपा की तरफ से प्रवीण वाई. दारेकर, श्रीकांत भारतीय, उमा जी. खपरे, राम एस. शिंदे और प्रसाद एम. लाड इन पांच उम्मीदवारों को उतारा गया है.
‘हार्स-ट्रेडिंग के प्रयासों का कोई असर नहीं होगा’
भाजपा ने बुधवार को अपने सभी विधायकों को दक्षिण मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में तलब किया.
महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं कर रहे. राज्यसभा चुनाव थोड़ा थका देने वाला होता है क्योंकि तरजीही वोटों के आधार पर होता है, इसलिए यह हमारे विधायकों के लिए एक कार्यशाला है. वो तो जिन्हें डर लग रहा होगा, वही अपने विधायकों को पहले बुलाएंगे, होटल बदलेंगे और फिर बड़े-बड़े दावे करेंगे. हम जानते हैं कि हम जीतने जा रहे हैं, इसलिए लो प्रोफाइल बने हुए हैं.’
पाटिल ने दावा किया कि तीनों उम्मीदवार अनिल बोंडे, पीयूष गोयल और धनंजय महादिक राज्यसभा चुनाव जीतेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के नतीजे आने के बाद एमएलसी चुनावों की तस्वीर बदल सकती है.
इस बीच, महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने भी दावा किया कि एमवीए आराम से राज्यसभा और एमएलसी चुनाव में जीत हासिल करेगा.
भुजबल ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘एमएलसी चुनाव में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के दो-दो एमएलसी होंगे. भाजपा को 10 खाली सीटों में से चार सीटें मिलेंगी. लेकिन जैसा देखा जा सकता है, भाजपा ने चार के बजाये पांच उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. राज्यसभा चुनाव की तरह ही इसमें भी एक अतिरिक्त प्रत्याशी उतारे जाने से सभी दलों के लिए चुनावी माहौल बन गया है. हमें एमएलसी चुनाव के लिए अपनी सारी ताकत झोंकनी होगी और जीत की रणनीति बनानी पड़ेगी.’
एनसीपी नेता ने दावा किया, ‘कोई भी खरीद-फरोख्त के झांसे में नहीं आने वाला है. एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के सभी विधायक एकजुट हैं और छोटे दलों के विधायक और निर्दलीय हमारा समर्थन कर रहे हैं, ईमानदारी से एमवीए के साथ रहेंगे.’
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