नई दिल्ली: कोविड बाद के राजनीतिक परिदृश्य में पोस्टर और बिलबोर्ड तो लगता है गुजरे जमाने की बात हो गए हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो लोगों से जुड़े रहने और मोदी सरकार के कामकाज को प्रकाश में लाने के लिए गत 7 जून से लगातार वर्चुअल रैलियां कर रही है, आक्रामक तरीके से अपने राजनीतिक संदेश आगे बढ़ाने के लिए काफी हद तक फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर निर्भर हो गई है.
लेकिन वास्तव में ये वर्चुअल रैलियां कैसे आयोजित हो रही हैं? यह पूरी प्रक्रिया समझने के लिए द प्रिंट ने भाजपा राज्य इकाई के कई पदाधिकारियों से बातचीत की.
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स्थानीय राज्य इकाइयों की अहम भूमिका
जैसे ही किसी राज्य में वर्चुअल रैली के आयोजन का फैसला होता है, उस राज्य विशेष की भाजपा इकाई की तरफ से ब्लॉक, जिला और राज्य पदाधिकारियों को अपने फेसबुक और ट्विटर अकाउंट से इनके प्रचार के लिए कह दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में पार्षद, सांसद, विधायक और भाजपा कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी समर्थक तक सभी की भागीदारी होती है.
भाजपा के एक नेता ने बताया कि वर्चुअल रैली के आयोजन से पहले कैमरे सेट कर दिए जाते हैं और एक मंच तैयार किया जाता है, जहां से पार्टी नेता रैली को संबोधित कर सकें.
इसके साथ ही पार्टी के राज्य मुख्यालय पर एक मंच तैयार किया जाता है और वहां से भी कुछ नेता सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मंच साझा करते हैं. कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं को भी नेताओं के साथ मौजूद रहने की अनुमति होती है और उनके बैठने के लिए (मंच के सामने की तरफ) अलग से इंतजाम किया जाता है.
भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा, सामान्य तौर पर होने वाली रैली में मुख्य वक्ता के पहले कई नेता भीड़ को संबोधित करते हैं. सामान्य और वर्चुअल रैली में सबसे बड़ा अंतर यही है कि हमें इस तरह के भाषणों को छोटा रखना होता है और मुख्य वक्ता के पहले बमुश्किल 2-4 लोगों को ही रैली में बोलने की इजाजत दी जाती है. यह बहुत जरूरी है चूंकि यह डिजिटल है तो लोग जल्द ही ऊब सकते हैं.
भाजपा के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बताया, उदाहरण के तौर पर दिल्ली में 280 ब्लॉक हैं और हम हर एक ब्लॉक से इसे प्रचारित करने को कहते हैं. इसी तरह पार्षदो, सांसदों और विधायकों को भी अपने निजी अकाउंट से वर्चुअल रैली का लिंक साझा करने को कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल रैली वाले दिन होना होता है. यह सारी कवायद रैली से कम से कम चार दिन पहले शुरू कर दी जाती है. उन्हें अपने समर्थकों को यह बताने को भी कहा जाता है कि वह फेसबुक लाइव और ट्विटर के जरिये रैली का सीधा प्रसारण करेंगे.
भाजपा के कई शीर्ष नेता और केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी अब तक कई रैलियों को संबोधित कर चुके हैं और कई अन्य अभी प्रस्तावित हैं.
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यूट्यूब, ट्विटर और एलईडी स्क्रीन
भाजपा की वेबसाइट के साथ रैली का प्रसारण पार्टी के यूट्यूब चैनल, ट्विटर और फेसबुक अकाउंट पर भी होता है. एक भाजपा नेता ने कहा, कभी-कभी तो कई न्यूज चैनल और वेबसाइट पर भी रैली का लाइव टेलीकास्ट होता है, जो इस पर निर्भर करता है कि इसे कौन संबोधित कर रहा है. यह भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का साधन बन जाता है.
इस सबके अलावा राज्य इकाइयों के द्वारा कुछ खास जगहों को चुनकर वहां स्मार्ट टेलीविजन स्क्रीन लगाई जाती है जिस पर लोग रैली देख सकें.
एक अन्य पार्टी पदाधिकारी ने बताया, सभी पार्षदों, सांसदों और विधायकों को बताया गया है कि वह अपने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट पर रैली का लाइव टेलीकास्ट करें जिसके लिए लिंक राज्य इकाई की तरफ से उन्हें मुहैया कराया जाता है. उन्होंने आगे कहा, पार्टी पदाधिकारी जहां पर टेलीविजन स्क्रीन लगाते हैं, वहां पर स्मार्ट एलईडी टीवी पर लाइव स्ट्रीमिंग राज्य इकाई की तरफ से तैयार लिंक की स्क्रीन मिररिंग के जरिये की जाती है. सेट आम तौर पर किराये पर लिए जाते हैं.
हर जिले में कुछ लोगों को चुनकर उन्हें वर्चुअल रैली से जुड़ी हर गतिविधि पर निगरानी की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है. एक पदाधिकारी के मुताबिक, राज्य इकाइयों ने आईटी कंवेनर या संयोजक भी नियुक्त किए हैं जो न केवल तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराते हैं बल्कि जिन ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिवटी की समस्या होती है, वहां टेलीविजन स्क्रीन पर टेलीकास्ट में मदद भी करते हैं.
जहां वर्चुअल रैली होनी होती है वहां पार्टी कार्यालय में एक मंच तैयार किया जाता है और कुछ प्रमुख नेता और पार्टी पदाधिकारी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए इस पर बैठते हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण बदले परिदृश्य में पार्टी ने फैसला किया है कि उसे आम लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं से वर्चुअली जुड़े रहना चाहिए. एक वरिष्ठ भाजपा नेता के मुताबिक इन वर्चुअल रैली के आयोजन का प्रभार पार्टी के राष्ट्रीय सचिवों तरुण चुग और सत्य कुमार को सौंपा गया है.
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