scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमराजनीतिकैसे BJP टीपू सुल्तान को वायनाड ले आई और तोपखाने के नाम पर बने इस शहर पर विवाद खड़ा हो गया

कैसे BJP टीपू सुल्तान को वायनाड ले आई और तोपखाने के नाम पर बने इस शहर पर विवाद खड़ा हो गया

सुल्तान बाथरी का नाम 'बैटरी' से आया है जहां टीपू सुल्तान ने एक बार अपने हथियार संग्रहीत किए थे. भाजपा के राज्य प्रमुख और वायनाड से उम्मीदवार के. सुरेंद्रन ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया है कि इसका नाम बदला जाना चाहिए.

Text Size:

वायनाड: लगभग 200 साल पहले, प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेज एक छोटे से शहर का नाम बदलना चाहते थे – जो अब केरल-कर्नाटक सीमा के करीब स्थित है. टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गई थी और ईस्ट इंडिया कंपनी ने उसके शासन के तहत भूमि पर नियंत्रण कर लिया था. यह शहर कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों के करीब स्थित है, जिसका इस्तेमाल सुल्तान की सेना अपने गोला-बारूद को स्टोर करने के लिए करती थी. इसलिए, इसे सुल्तान की बैटरी यानि सुल्तान का शस्त्रागार कहा जाता था, जो बाद में सुल्तान बाथरी बन गई.

यह शहर, वायनाड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है और अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता है, पिछले हफ्ते इस शहर को लेकर उस वक्त विवाद खड़ा हो गया जब इस सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि अगर वह जीतते हैं तो शहर का नाम बदलकर गणपति वट्टम कर देंगे.

सुरेंद्रन ने रिपब्लिक टीवी के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “मलयाली लोगों के लिए टीपू सुल्तान की प्रासंगिकता क्या है? उन्होंने मलयाली लोगों पर हमला किया, उन्होंने हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित किया,”

टीपू सुल्तान की विरासत को लेकर बीजेपी ने पड़ोसी राज्य कर्नाटक में बार-बार विवाद खड़ा किया है. इसका सबसे ताज़ा उदाहरण पिछले साल दिसंबर का है जब एक कांग्रेस विधायक ने सुझाव दिया कि मैसूरु हवाई अड्डे का नाम बदलकर टीपू सुल्तान के नाम पर रखा जाए, जिसका बीजेपी ने विरोध किया.

देश भर में भाजपा के लिए नाम बदलना एक आम बात है, जिसमें इलाहाबाद का प्रयागराज बनना, मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर जनसंघ नेता और विचारक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा जाना, और हैदराबाद को भाग्यनगर में बदलने का विचार कई बार सामने आया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, शहर के नाम पर बहस इस क्षेत्र में चल रही व्यापक राजनीतिक और सांप्रदायिक डायनमिक्स को दिखाती है. सुरेंद्रन को चुनाव में कांग्रेस के राहुल गांधी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की एनी राजा के खिलाफ खड़ा किया गया है, जहां पर 26 अप्रैल को चुनाव होने हैं.

जबकि सुरेंद्रन ने दावा किया कि गणपति वट्टम शहर का मूल नाम था, इतिहासकार और फिल्म निर्माता ओ.के. जॉनी, जिन्होंने अपनी पुस्तक वायनाड रेखाकाल में इस शहर पर विस्तार से लिखा है, कहते हैं कि पूरे इतिहास में इस शहर के कई नाम रहे हैं.

जॉनी के अनुसार, कर्नाटक सीमा से बमुश्किल 21 किलोमीटर दूर स्थित इस शहर को हेन्नाराडु बीडी (12 सड़कें) भी कहा जाता था, जब यह जैनियों द्वारा बसाया गया था. बाद में, जब यह कुरुम्ब्रनाड साम्राज्य का हिस्सा था, तो वहां एक गणेश मंदिर बनाए जाने के बाद इसका नाम बदलकर गणपति वट्टम कर दिया गया.

उनका तर्क है कि सुरेंद्रन ने शहर के वर्तमान नाम पर ध्यान केंद्रित करने का विकल्प इसलिए चुना क्योंकि यह टीपू सुल्तान से जुड़ा था. जॉनी ने कहा, “भाजपा राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने के लिए नाम का इस्तेमाल कर रही है.”

An abandoned Jain temple, captured and used by Tipu Sultan to store weapons and ammunition at Sulthan Battery in ruins | Commons
एक परित्यक्त जैन मंदिर, जिसे टीपू सुल्तान ने कब्जा कर लिया था और सुल्तान शस्त्रागार में हथियार और गोला-बारूद रखने के लिए इस्तेमाल किया था । कॉमन्स

नगरपालिका रिकॉर्ड के अनुसार, जिले की तीन नगर पालिकाओं में से एक इस शहर की कुल जनसंख्या 45,417 है. इनमें से 3.87 प्रतिशत अनुसूचित जाति से हैं और 11.77 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति हैं. 2011 की वायनाड जिले की जनगणना के अनुसार, 8,17,420 की आबादी में से, वायनाड जिले में 49.48 प्रतिशत हिंदू, 28.65 प्रतिशत मुस्लिम और 21.34 ईसाई हैं.

जिले के युवा कांग्रेस नेता इंद्रजीत एम.के. ने कहा, “सुरेंद्रन द्वारा इस तरह का बयान दिए जाने के पीछे का कारण है मुस्लिम विरोधी भावना को भड़काना.” उन्होंने कहा कि भाजपा नेता चुनावी लाभ के लिए हिंदू वोटों को एकजुट करना चाहते हैं क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र में हिंदू बहुसंख्यक हैं.

स्थानीय सीपीआई (एम) नेतृत्व ने भी सुरेंद्रन के बयान पर आपत्ति जताई. सुल्तान बाथरी नगर पालिका के अध्यक्ष और सीपीआई (एम) क्षेत्र समिति के सदस्य टी.के. रमेश ने दिप्रिंट को बताया कि शहर को एक ऐसे सांसद की ज़रूरत है जो संसद में उनकी आजीविका के मुद्दों को उठाए.

हालांकि, स्थानीय भाजपा नेतृत्व ने सुरेंद्रन का समर्थन किया और कहा कि भाजपा प्रमुख का बयान तथ्यों पर आधारित है लेकिन सभी ने इसका विश्लेषण धार्मिक आधार पर किया. सुल्तान बाथरी में भाजपा नेता अधिवक्ता पी.सी. गोपीनाथ ने कहा, “अगर पार्टी के राज्य प्रमुख कहते हैं कि वह इसे बदल देंगे, तो हम इसका पूरा समर्थन करेंगे.”

इस बीच, दिप्रिंट से बात करने वाले स्थानीय निवासियों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सुरेंद्रन का यह बयान अनावश्यक है. कई लोगों ने सुल्तान बाथरी नाम पर बहुत गर्व और इसके प्रति लगाव दिखाया क्योंकि यह इतिहास को दर्शाता है.

सुल्तान बाथरी के निवासी पवित्रन ने कहा, “गणपति वट्टम केवल मंदिर के आसपास का क्षेत्र है. मौजूदा विवाद बीजेपी के राजनीतिक हित को लेकर है और कुछ नहीं. और नाम (गणपति वट्टम) से भी पता चलता है कि यह एक ही धर्म से संबंधित है. यह एक धार्मिक राज्य नहीं है,”

एक अन्य निवासी, जॉय, जो शहर के अज़म्पशन चर्च में काम करता है,उसने कहा कि अगर सुरेंद्रन ने विवाद नहीं खड़ा किया होता तो उन्हें अधिक वोट मिलते.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः 18 मुस्लिम, 14 OBC, 10 ब्राह्मण – BSP कैंडीडेट NDA से ज्यादा इंडिया ब्लॉक को नुकसान पहुंचा सकते हैं


 

share & View comments