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Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीतिइस तरह से अमित शाह ने मणिपुर डेडलॉक को तोड़ दिया और राज्य को भाजपा के पक्ष में वापस ले आये

इस तरह से अमित शाह ने मणिपुर डेडलॉक को तोड़ दिया और राज्य को भाजपा के पक्ष में वापस ले आये

दो दिन पहले समाधान निकालने के लिए अमित शाह ने एनपीपी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जिसमें उसके प्रमुख कोनराड संगमा और 'बागी' नेता वाई जॉयकुमार सिंह शामिल थे.

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नई दिल्ली: भाजपा के मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह अपने डिप्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता वाई जॉयकुमार सिंह के पोर्टफ़ोलियो को बहाल करेंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पड़ोसी राज्य मेघालय के सीएम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल के बीच बुधवार को यह सहमित बनी.

बीरेन सिंह के अधिकार को कम करने के लिए एनपीपी के चार मंत्री, जिन्होंने अमित शाह से मुलाकात के बाद भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले को बदल दिया हैं, अब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सीधे संपर्क में होंगे.

कोनराड संगमा ने दिप्रिंट को बताया, ‘एक प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय के कामकाज की एक पूरी योजना होगी. उसी समय एनपीपी के मंत्री और विधायक भी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सीधे संपर्क में होंगे, जिसके लिए एक चैनल बनाया गया है.’

मेघालय के सीएम ने कहा, ‘हम मणिपुर के लिए राजनीतिक स्थिरता चाहते हैं, यही कारण है कि भाजपा सरकार के साथ रहने का निर्णय लिया गया.’

पूरा कायापलट होगा 

संगमा और जॉयकुमार सिंह के नेतृत्व में एनपीपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. जॉयकुमार सिंह का इस साल अप्रैल में पोर्टफोलियो छीन लिया गया था.

मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह की कथित ‘कामकाज की एक-शैली’ के खिलाफ नाराजगी के लिए कई लोगों ने राजनीतिक संकट को जिम्मेदार ठहराया था. स्थानीय नेताओं ने अपने निष्कासन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व भाजपा प्रमुख अमित शाह से भी संपर्क किया था.

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा के बेटे ने यह भी कहा कि मणिपुर सरकार के समग्र कामकाज में कई बदलावों की उम्मीद है.

उन्होंने कहा, ‘हम एक कायापलट की उम्मीद कर रहे हैं और आश्वासन दिया गया है कि डिप्टी सीएम को प्रमुख पोर्टफोलियो दिए जाएंगे.’

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को क्यों शामिल किया गया

भाजपा की मणिपुर ईकाई से जब यह पूरा मसला नहीं संभला तो पार्टी के केंद्र नेतृत्व ने राज्य में चल रहे राजनीतिक संकट को खत्म करने का जिम्मा खुद ले लिया. गठबंधन की सहयोगी एनपीपी के नौ सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था.

संगमा ने कहा कि हर कोई कोविड-19 संकट को प्राथमिकता दे रहा था इसलिए यह राजनीतिक मुद्दा पहले हल नहीं हो पाया. उन्होंने कहा, ‘लेकिन मणिपुर की राजनीतिक स्थिति महत्वपूर्ण बनी रहने वाली है’.

मेघालय के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह पिछले काफी समय से चल रहा है. इस्तीफा देने वाले हमारे मंत्रियों और विधायकों ने जो चिंताएं उठाईं वो वाजिब है. गृह मंत्री के साथ हुई बैठक में सभी मुद्दों को रखा गया और उन्होंने इसे गंभीरता से सुना’.

उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी पहुंचा है.

संगमा ने कहा, ‘इस संदर्भ में गृह मंत्री की प्रधानमंत्री के साथ भी बैठक हुई है. हालांकि हमारी उनसे मुलाकात नहीं हुई. लेकिन गृह मंत्री के साथ विस्तृत बातचीत के बाद उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि अब सब कुछ ठीक होगा. और राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए हमने उन्हें फिर से समर्थन देने का फैसला किया.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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