नई दिल्ली: कांग्रेस की कार्यप्रणाली में बदलाव की मांग को लेकर पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को एक पत्र भेजे जाने के मद्देनज़र कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की सोमवार को होने वाली बैठक से पहले ही पार्टी के भीतर राहुल गांधी के समर्थक और विरोधी खेमे के बीच टकराव शुरू हो गया है.
द इंडियन एक्सप्रेस संडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और मौजूदा सांसदों और सीडब्ल्यूसी सदस्यों सहित करीब 23 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने सोनिया गांधी को एक पखवाड़े पहले एक पत्र लिखा था.
नेताओं ने पार्टी के कामकाज में संरचनात्मक बदलाव और एक ‘पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व’ की मांग रखी है. उन्होंने मैदान में ‘नज़र आने वाले’ और ‘सक्रिय’ नेतृत्व की मांग रखी और सीडब्ल्यूसी सदस्यता के लिए चुनाव कराने का आह्वान भी किया.
हस्ताक्षरकर्ताओं ने पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए ‘सामूहिक रूप से’ दिशा-निर्देशित करने के उद्देश्य से तत्काल एक ‘इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप मैकेनिज्म’ स्थापित करने की मांग की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख नेताओं में राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, पार्टी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर आदि शामिल हैं.
भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंदर कौर भट्टल, एम. वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, पी.जे. कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी और मिलिंद देवड़ा आदि पूर्व मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.
इस सूची में सीडब्ल्यूसी सदस्य मुकुल वासनिक और विशेष आमंत्रित सदस्य जितिन प्रसाद, सांसद विवेक तन्खा, पूर्व राज्य कांग्रेस प्रमुख राज बब्बर (उत्तर प्रदेश), अरविंदर सिंह लवली (दिल्ली) और कौल सिंह ठाकुर (हिमाचल), बिहार के चुनाव अभियान प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह, हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, दिल्ली के पूर्व स्पीकर योगानंद शास्त्री और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित आदि भी शामिल हैं.
दिप्रिंट के संपर्क करने पर कम से कम चार हस्ताक्षरकर्ताओं ने उक्त पत्र में लिखी बातों की पुष्टि की लेकिन कहा कि वे इस मुद्दे को केवल पार्टी की आंतरिक चर्चा में ही आगे बढ़ाएंगे.
पिछले हफ्ते निलंबित कांग्रेस नेता संजय झा ने एक ट्वीट करके हंगामा खड़ा करा दिया था जिसमें उन्होंने ऐसे ही एक पत्र का उल्लेख किया था जिसमें 100 नेताओं के हस्ताक्षर की बात कही गई थी. हालांकि, पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने झा के दावों को निराधार बताया था.
It is estimated that around 100 Congress leaders (including MP's) , distressed at the state of affairs within the party, have written a letter to Mrs Sonia Gandhi, Congress President, asking for change in political leadership and transparent elections in CWC.
Watch this space.
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) August 17, 2020
TO WHOM IT MAY CONCERN
“Special Misinformation Group on Media-TV Debate Guidance” in its what’sapp of today directed to run the story of a non existant letter of Congress leaders to divert attention from Facebook-BJP links.
Of course, BJP stooges have started acting upon it.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 17, 2020
यह नया टकराव ऐसे समय पर सामने आया है जब एक दिन बाद ही सीडब्ल्यूसी की अहम बैठक होने जा रही है जिसमें नेतृत्व संबंधी चिंताओं को लेकर मंथन होने के आसार हैं.
सोनिया गांधी ने 10 अगस्त को अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है. पार्टी का कहना है कि नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने में ‘बहुत ज्यादा लंबा समय नहीं’ लगने जा रहा है.
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बदलाव का आह्वान
पत्र में नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने में सीडब्ल्यूसी अब पार्टी का ‘प्रभावी रूप से मार्गदर्शन’ नहीं कर पा रही है.
नेताओं ने सीडब्ल्यूसी की बैठकों को ‘एपिसोडिक’ करार देते हुए कहा कि उन्हें राजनीतिक घटनाक्रमों की प्रतिक्रिया के संदर्भ में बुलाया गया. उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी को एक ऐसा विचारशील निकाय होना चाहिए जो राष्ट्रीय एजेंडा तय करे और नीतिगत स्तर पर पहल सुनिश्चित करने वाला हो.
नेताओं ने यह भी कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की बैठकों में भी अब कोई चर्चा नहीं होती है, यह महज चेयरपर्सन सोनिया गांधी के परंपरागत भाषणों तक सीमित हो गया है, जहां केवल श्रद्धांजलि वाले बयान पढ़े जाते हैं.
पत्र में कहा गया है कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव के एक साल बाद भी निरंतर ‘पतन’ के कारणों का पता लगाने के लिए ‘ईमानदार आत्मनिरीक्षण’ नहीं किया है. इसमें इस पर भी जोर दिया गया कि नेतृत्व को लेकर ‘अनिश्चितता’ और पार्टी में ‘ठहराव’ ने कार्यकर्ताओं को निराश और पार्टी को कमजोर कर दिया है.
पत्र में कई सुझाव दिए गए और सुधारों की मांग भी की गई है. जैसे शक्तियों का विकेंद्रीकरण, राज्य इकाइयों का सशक्तिकरण, एक केंद्रीय संसदीय बोर्ड का तत्काल गठन और ब्लॉक के नेतृत्व से लेकर सीडब्ल्यूसी तक सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन के चुनाव.
गांधी परिवार अभिन्न हिस्सा लेकिन पार्टी को फिर खड़ा करना जरूरी
हालांकि, एक नए नेतृत्व का आह्वान करते हुए पत्र में कहा गया है कि नेहरू-गांधी परिवार हमेशा पार्टी के ‘सामूहिक नेतृत्व का अभिन्न हिस्सा’ रहेगा.
इसमें सोनिया गांधी के नेतृत्व किए जाने और बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से किए गए प्रयासों की सराहना भी की गई है.
इसमें यह तर्क भी दिया गया कि कांग्रेस का पुनरुत्थान लोकतंत्र की सेहत के लिए ‘एक राष्ट्रीय अनिवार्यता’ है, खासकर यह देखते हुए कि पार्टी ऐसे समय में लगातार सिमट रही है जब देश आजादी के बाद ‘सबसे गंभीर राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों’ का सामना कर रहा है.
हस्ताक्षरकर्ताओं के अनुसार, इन चुनौतियों में ‘भय’ और असुरक्षा की भावना, भाजपा और संघ परिवार का ‘सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडा’, आर्थिक मंदी, बढ़ती बेरोजगारी, महामारी की वजह से उपजे संकट, सीमा पर चीन के साथ गतिरोध जैसी चुनौतियां और विदेश नीति में बदलाव आदि शामिल हैं.
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एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के मसले
पत्र में राज्य कांग्रेस अध्यक्षों और पदाधिकारियों जैसी प्रमुख नियुक्तियों में अनुचित देरी जैसे मुद्दों को भी रेखांकित किया गया. इसमें कहा गया है कि राज्य में सम्मान और स्वीकार्यता रखने वाले नेताओं को समय पर नियुक्त नहीं किया जाता है.
यह दावा भी किया गया कि राज्य कांग्रेस अध्यक्षों को संगठनात्मक निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं मिलती है.
हस्ताक्षरकर्ताओं ने कथित तौर पर यह शिकायत भी की कि यूथ कांग्रेस और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया- पार्टी की युवा और छात्र इकाई- में चुनावों की शुरुआत ने ‘संघर्ष और विभाजन’ को जन्म दिया है और इसका नतीजा यह हुआ है कि राज्य स्तर पर उन लोगों ने ‘कब्जा’ कर रखा है जिनके पास धनबल या राजनीतिक संरक्षण है.
पत्र में इस संदर्भ में स्पष्ट रूप से राहुल गांधी का कोई जिक्र नहीं किया गया है लेकिन इन इकाइयों में चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का श्रेय व्यापक रूप से उन्हें ही दिया जाता है.
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