नई दिल्ली: भतीजे अजित पवार की बगावत के बाद आज शरद पवार दिल्ली पहुंच गए हैं. उनके साथ उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी हैं. शरद पवार आज दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करेंगे. शरद पवार के दिल्ली पहुंचने से पहले दिल्ली में उनके समर्थकों ने उनसे आवास के बाहर चारों ओर पोस्टर लगा दिए हैं. इन पोस्टरों पर अजित पवार को विश्वासघाती कहा गया है. पोस्टर पर अजित पवार की तस्वीर के साथ लिखा गया है, “सच्चाई और झूठ की लड़ाई में पूरा देश शरद पवार के साथ खड़ा है. भारत का इतिहास ऐसा है कि इसने विश्वासघात करने वालों को कभी माफ नहीं किया है.”
इससे पहले कल शक्ति प्रदर्शन को लेकर शरद पवार और अजित पवार ने पार्टी नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक की. मुंबई के बांद्रा में हुई बैठक में अजित पवार ने नाम लिए बिना अपने चाचा शरद पवार पर जमकर हमला बोला. अजित पवार ने कहा, “मेरी दिली इच्छा है कि मुझे राज्य का प्रमुख बनना चाहिए. मेरे अपने कुछ प्लान हैं जो राज्य के हित में हैं, जिन्हें लागू करने के लिए मुख्यमंत्री बनना जरूरी है.”
साथ ही अजित ने अपने चाचा शरद पवार को रिटायरमेंट लेने की सलाह दे डाली. उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में सरकारी नौकरी में रिटायरमेंट की उम्र 58 साल है. अगर आप आईएएस-आईपीएस हैं तो यह सीमा 60 साल है. बीजेपी में नेता 75 साल की आयु में रिटायर हो जाते हैं. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी इसके उदाहरण हैं. लेकिन कुछ लोगों को यह समझ नहीं आता.”
इस मीटिंग में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार को एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया. अजित पवार गुट ने एक बयान जारी कर कहा कि अजित पवार को एनसीपी के सदस्यों द्वारा बहुमत से एनसीपी प्रमुख चुना जाता है.
अजित पवार द्वारा बुलाई गई इस मीटिंग में 32 एनसीपी विधायक शामिल हुए थे.
शरद पवार के द्वारा बुलाई गई पार्टी नेताओं की मीटिंग में 18 नेता शामिल हुए थे. यह मीटिंग बलवंतराव चव्हाण सेंटर में आयोजित की गई थी. इस मीटिंग में शरद पवार ने अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा, “ये करने से पहले उसे मुझसे बात तो करनी चाहिए थी. अगर उसके मन में कुछ संदेह था तो वह इसपर बात कर सकते थे. लेकिन उन्होंने बिना बताए अपने मन का किया.”
बता दें कि एनसीपी नेता अजित पवार बीते रविवार को पार्टी तोड़ते हुए एनडीए में शामिल हो गए थे. एनडीए में शामिल होने के बाद उन्हें महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनाया गया. उनके साथ 8 और विधायकों को मंत्री बनाया गया.
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