जयराम ठाकुर मादक पदार्थों के दुरुपयोग के खिलाफ़ सख्ती चाहते है और अगर थोड़ी मात्रा में भी मादक पदार्थ पाएं जायें तो ज़मानत न हो.
नई दिल्ली: हिमाचल की भाजपा सरकार चाहती है कि हिप्पी लोगों का पसंदीदा बना पहाड़ी राज्य नशीले पदार्थों से मुक्त हो.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी सरकार शीध्र ही नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टांसेस एक्ट (एमडीपीएस) में संशोधन करेगी ताकि नशीले पदार्थ रखने वाले और इसका धंधा करने वालों से और ज़्यादा सख्ती से निपटा जा सकें.
वे चाहते है कि किसी के पास अगर ड्रग्स पाए जाते हैं चाहे वो कितनी ही कम मात्रा में हो, उनको ज़मानत न मिले.
साथ ही कानून में संशोधन लाना चाहिए कि ड्रग्स बेचने वालों की संपत्ति ज़ब्त कर ली जाए.
“हम इस बारे में शीध्र ही केंद्र को लिखेंगे कि केंद्रीय कानून में संशोधन कर ये बदलाव लाए जाएं,” ठाकुर ने कहा.
राजधानी स्थित हिमाचल सदन में शनिवार को दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार, जोकि पिछली दिसम्बर में सत्ता में आई थी, की एक प्राथमिकता मादक पदार्थों के दुरुपयोग को रोकना है.
एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 के तहत अपराध संज्ञेय और गैर ज़मानती है पर विभिन्न अदालतों ने इसकी अलग अलग तरह से व्याख्या की है जिससे ये कानून हल्का हो गया है.
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2012 में, उदाहरण के तौर पर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि कि अगर किसी के पास एक छोटी मात्रा में भी नशीला पदार्थ मिलता है तो उसको ज़मानत मिल जानी चाहिए.ये निर्णय सेंट स्टीफन्स के छात्र के पास 100 ग्राम चरस मिलने के मामले में उक्त छात्र की माँ की याचिका पर आया था.
हिमाचल में माना जाता है कि एक चौथाई युवा नशीले पदार्थों के संपर्क में आ जाते है. स्थानीय मीडिया ने सरकार के उच्च न्यायालय को दिए एक हलफनामें को उद्धृत करते हुए कहा कि इस साल ही अप्रेल और जून के बीच 94 किलो चरस, तीन किलो अफ़ीम, 480 ग्राम हेरोइन और हज़ारों की संख्या में टैब्लेट और कैपसूल ज़ब्त किए गए है.
शिम्ला, कुल्लु-मनाली और कई अन्य हिल स्टेशन्स शौकियां मादक पदार्थों के सेवन के अड्डे बन गए है. भांग के पौधे से बने – ‘मलाना क्रीम’ और ‘चित्ता’- जोकि अफीम से निकाला जाता है और जिसमें सिंथेटिक ड्रग की मिलावट की जाती है, की मांग राज्य के युवाओं के एक गुट में और पर्यटकों के बीच काफी है.
सभी राजनीतिक दलों का समर्थन पाने की कोशिश
53 वर्षीय ठाकुर राज्य की राजनीति में आए पीढ़ीगत बदलाव के द्योतक है. पुराने नेता जैसे भाजपा के प्रेम कुमार धूमल, 74 साल के हो गए है, शांता कुमार 84 के है, वहीं कॉंग्रेस के वीरभद्र सिंह भी 84 के है और सभी का राजनीतिक करियर अपने अन्तिम पढ़ाव में है.
और नई पीढ़ी ने प्रशासन के तौर तरीकों में कुछ नए प्रयास करना शुरु किया है.
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मसलन नए मुख्यमंत्री ने देश के दूसरे राज्यों के अच्छे कदमों को अपनाने की ठानी है. उन्होंने आठ सदस्यीय विधायक दल को सिक्किम भेजा ताकि वो जैविक खेती और पर्यटन के बारे में जानें.
वे स्वयं मध्यप्रदेश जाएंगे और शिवराज सिंह चौहान सरकार के कृषि क्षेत्र में हुई उपलब्धियों से सीख लेंगे.
हिमाचल की मादक पदार्थों की समस्या से निपटने के लिए ठाकुर दूसरे राजनीतिक दलों से मिलने को भी तैयार है.
उन्होंने अपने पंजाब, हरियाणा और उत्तराखण्ड के समकक्षों – कैप्टन अमरिंदर सिंध (कॉंग्रेस), मनोहर लाल खट्टर ( भाजपा) और त्रिवेंद्र रावत (भाजपा) से मिलकर मादक पदार्थों से निपटने के लिए साझा रणनीति पर चर्चा की है.
“पंजाब, हरियाणा और उत्तराखण्ड के मादक पदार्थों के तस्कर हिमाचल में धंधा कर रहे है. हमें उनसे निपटने के लिए एक समनवयित रणनीति बनानी पड़ेगी,” उन्होंने कहा.
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