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Monday, 23 December, 2024
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हेमंत सोरेन सरकार ने जीता विश्वास मत, CM ने कहा – लोकतंत्र को बचाने के लिए बुलाया गया सत्र

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विश्वास मत हासिल करने के लिए विशेष सत्र आहूत करना समझ से परे है.

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नई दिल्ली: सोमवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया है. उनके पक्ष में 81 में से कुल 48 वोट पड़े. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया.

विश्वास मत हासिल करने के बाद सोरेन ने कहा कि हमने लोकतंत्र को बचाने के लिए यह सत्र बुलाया है. भाजपा आए दिन विधायकों की खरीद-फरोख्त करती रहती है. बीजेपी सरकार को अस्थिर करने का काम करती है.

उन्होंने आगे कहा, ‘ वे ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जहां दो राज्य एक दूसरे के खिलाफ खड़े हों. वे गृहयुद्ध का माहौल बनाना चाहते हैं और चुनाव जीतने के लिए दंगे भड़काना चाहते हैं. जब तक यहां यूपीए सरकार है, तब तक ऐसे प्लॉट नहीं बचेंगे. आपको करारा राजनीतिक जवाब मिलेगा.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘लोग बाजार से सामान खरीदते हैं लेकिन भाजपा विधायक खरीदती है.’

सत्र शुरू होने से पहले सोरेन यूपीए विधायकों के साथ राज्य विधानसभा पहुंचे थे.

सत्र के दौरान बीजेपी, उसकी सहयोगी आजसू पार्टी और दो निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा बहिष्कार के बीच प्रस्ताव पारित किया गया.

बीजेपी ने राज्य सरकार द्वारा विधेयक पेश करने के प्रयास का विरोध करने का फैसला किया था. पार्टी सचेतक बिरंची नारायण ने जानकारी देते हुए कहा था कि रविवार देर रात पार्टी के विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया. विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विश्वास मत हासिल करेंगे.

लाभ के पद के मामले में सोरेन को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की बीजेपी की याचिका के बाद, निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को राज्यपाल रमेश बैस को अपने फैसले से अवगत कराया, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया. हालांकि निर्वाचन आयोग के फैसले को अभी तक घोषित नहीं किया गया है लेकिन चर्चा है कि आयोग ने विधायक के रूप में सोरेन की अयोग्यता की सिफारिश की थी.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विश्वास मत हासिल करने के लिए विशेष सत्र आहूत करना समझ से परे है.

मरांडी ने कहा, ‘सामान्य तौर पर, राज्य सरकार तब विश्वास प्रस्ताव पेश करती है जब राज्यपाल या अदालत ऐसा आदेश देती है लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं है. यह स्पष्ट है कि सरकार को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘पार्टी लाभ के पद के मुद्दे पर सोरेन का इस्तीफा मांगेगी.’

गौरतलब है कि लाभ के पद मामले में सोरेन को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद, निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को राज्यपाल रमेश बैस को अपने फैसले से अवगत कराया, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया. हालांकि निर्वाचन आयोग के फैसले को अभी तक घोषित नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि आयोग ने विधायक के रूप में सोरेन की अयोग्यता की सिफारिश की थी.


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