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Wednesday, 18 December, 2024
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2024 के लिए मोदी की अच्छी शुरुआत- UP में लगातार दूसरी जीत के BJP के लिए क्या मायने हैं?

भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार शानदार जीत हासिल की है, वहीं, मणिपुर और उत्तराखंड में भी पार्टी अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही है.

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नई दिल्ली: यूपी, मणिपुर और उत्तराखंड में शानदार चुनावी सफलता से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक नई ताकत मिली है, खासकर ऐसे समय पर जब माना जा रहा था कि किसान आंदोलन, कोविड-19 महामारी, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसे मुद्दे पार्टी की संभावनाओं पर ग्रहण लगा सकते हैं.

फरवरी और मार्च में सम्पन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे गुरुवार को घोषित कर दिए गए. भाजपा ने जहां उपरोक्त तीन राज्यों में जीत हासिल की, वहीं आधे आंकड़े तक पहुंच कर गोवा में भी सत्ता संभालने को तैयार दिख रही है. जबकि पंजाब की सत्ता आम आदमी पार्टी (आप) के हाथ आई है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत भाजपा के लिए खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विशेष मायने रखती है.
80 लोकसभा सीटों वाला यह राज्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के अभियान की नींव रखने और उसे गति देने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है.

केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह ने पिछले हफ्ते द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है. चूंकि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं, इसलिए 2024 में केंद्र में फिर आने के लिए भाजपा का उत्तर प्रदेश की सत्ता में होना बहुत जरूरी है.’

उन्होंने कहा था, ‘यदि कोई केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाना चाहता है, तो यह उत्तर प्रदेश के जनादेश हासिल किए बिना संभव नहीं है.’

यह जीत इस लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि करीब 40 वर्षों में पहली बार है कि उत्तर प्रदेश में कोई मौजूदा सरकार फिर सत्ता में लौटी है.

यूपी, उत्तराखंड और मणिपुर के चुनावों में भाजपा के लिए मोदी सबसे बड़ा फैक्टर थे क्योंकि पार्टी के चुनाव अभियान में ‘डबल-इंजन’ सरकार पर जोर देने के साथ-साथ कोविड-19 टीकाकरण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर महामारी का असर कम करने के लिए मुफ्त राशन योजना के लाभों को रेखांकित किया जा रहा था.

इस जीत को पीएम मोदी की गरीब समर्थक नीतियों और योजनाओं का लाभ अंतिम चरण तक पहुंचने पर जनता की मुहर के तौर पर देखा जा सकता है.


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‘एक नया मतदाता वर्ग’

दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) में सीनियर फेलो नीलांजन सरकार ने बताया कि मोदी सरकार की एक प्रमुख पहल प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) ने मोदी के लिए एक नया मतदाता वर्ग ही बना दिया है, जो चुनाव नतीजों में साफ दिखाई भी दे रहा है.

उन्होंने कहा, ‘महिला मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करने से (पश्चिम बंगाल की सीएम) ममता बनर्जी, (बिहार के सीएम) नीतीश कुमार, (ओडिशा के सीएम) नवीन पटनायक को काफी मदद मिली है और राष्ट्रीय स्तर पर मोदी को डीबीटी ट्रांसफर से फायदा हुआ है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह भी सच है कि उत्तर प्रदेश में बसपा का हाशिये पर जाना 2024 में भाजपा के लिए किसी तरह की चुनौती नहीं है.’ साथ ही जोड़ा कि 2024 में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ सीधा मुकाबला भाजपा के लिए फायदेमंद ही साबित होगा.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, इन नतीजों से पार्टी की इस राय को भी पुख्ता किया है कि आर्थिक हालात या बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चुनौतियों के बावजूद पीएम मोदी जरूरत पड़ने पर अपनी गरीब-समर्थक नीतियों और हिंदुत्ववादी राजनीति के बलबूते पर पूरे अभियान को बदलने की क्षमता रखते हैं.

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इन चुनावों में पीएम मोदी एक बड़ी ताकत रहे हैं, जो केवल अपने दम पर पार्टी के लिए बदलाव सुनिश्चित करने में सक्षम हैं. यहां तक कि गोवा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी, जहां माहौल बहुत अनुकूल नहीं था, उनकी रैलियों और सार्वजनिक कार्यक्रमों ने स्थितियों को बदलकर पार्टी को कामयाबी दिलाई.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसा कोई दूसरा नेता नहीं है जिसमें इतनी अपील हो कि वह पूरे अभियान को अपने कंधों पर उठा सके.’
पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि असम और बिहार विधानसभा चुनावों में ‘डबल-इंजन विकास के मुद्दे’ को पूरी जोरदारी से लोगों के सामने रखा गया और यह अपील कारगर रही. वहां लोगों ने केंद्रीय योजनाओं का लाभ अंतिम लाभार्थी तक पहुंचने में सफलता के कारण पीएम मोदी को वोट दिया.

पदाधिकारी ने कहा, ‘यहां तक, बिहार में महामारी के बीच हुए पहले विधानसभा चुनाव के दौरान तमाम चुनावी विश्लेषक मान रहे थे कि प्रवासी संकट भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर ग्रहण लगा सकता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन गरीब कल्याण योजना (मुफ्त राशन), पीएम सम्मान निधि, महिलाओं के लिए योजनाएं, नल से जल आदि भाजपा के लिए मददगार रही. वहां से मिली सीख को ही हमने इन विधानसभा चुनावों में भी आजमाया है.’

उत्तर प्रदेश की जीत के बाद मोदी की तरफ से गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी इन्हीं कल्याणकारी योजनाओं को प्रचार का मुख्य आधार बनाने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है, जहां करीब छह महीने बाद चुनाव होने वाले हैं.

‘योगी की स्वीकार्यता पर मुहर’

पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि यूपी की जीत को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्वीकार्यता पर मुहर के तौर पर देखा जाएगा और पार्टी में उनका कद और बढ़ेगा.

उन्होंने कहा, ‘यूपी में यह पहली बार है जब भाजपा के मुख्यमंत्री मोदी के समान लोकप्रिय ब्रांड बन गए हैं. भाजपा के अन्य मुख्यमंत्री भी योगी के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश करेंगे.

जेएनयू के प्रोफेसर विवेक कुमार कहते हैं कि उत्तर भारत में कांग्रेस के हाशिये पर जाने से भाजपा के लिए 2024 में कोई मजबूत चुनौती नहीं रह गई है, खासकर यह देखते हुए कि आम तौर पर लगभग 200 सीटों पर दोनों दलों के बीच ही सीधा मुकाबला रहा है.

उन्होंने कहा कि किसी मजबूत राष्ट्रीय चेहरे, मीडिया समर्थन और चुनावी गठबंधन के बिना तो कम से कम अगले लोकसभा चुनाव में मोदी को चुनौती देना मुश्किल नजर आता है.

उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं के बीच ‘आंतरिक विरोधाभासों’ के कारण कोई विश्वसनीय तीसरा मोर्चा बनने के आसार भी नहीं है, ‘इससे मोदी को फायदा होगा.’

नतीजों का असर इस साल के आखिर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ेगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. यूपी, उत्तराखंड और मणिपुर में जीत राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की निर्णायक भूमिका सुनिश्चित करेगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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