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Thursday, 25 April, 2024
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कृषि कानूनों को लेकर PM मोदी से मिला तो वो बहुत घमंड में थे: मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पहले भी कई बार नरेंद्र मोदी सरकार को तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर घेर चुके हैं.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों की लगातार आलोचना करने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है.

रविवार को हरियाणा के चरखी दादरी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मलिक ने कहा कि वो जब तीन कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तो वो बहुत ‘घमंड’ में थे.

मलिक ने कहा, ‘मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया तो मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई उनसे. वो बहुत घमंड में थे. जब मैंने उनसे कहा कि हमारे 500 लोग मर गए तो उसने कहा कि मेरे लिए मरे हैं?’

राज्यपाल मलिक ने आगे कहा, ‘आपके लिए ही तो मरे थे जो आप राजा बने हुए हो, मेरा झगड़ा हो गया. उन्होंने कहा कि आप अमित शाह से मिल लो.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं अमित शाह से मिला. उसने कहा- सतपाल इसकी अकल मार रखी है लोगों ने, तुम बेफिकर रहो, मिलते रहो, ये किसी न किसी दिन समझ जाएगा.’

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अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पत्रकारों से बात करते हुए कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार के फैसले पर कहा, ‘प्रधानमंत्री ने जो कहा उसके अलावा वो कह भी क्या सकते थे. हमने (किसान) अपने पक्ष में फैसला कराया है. हमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए उनकी मदद चाहिए, इसके लिए ऐसा कुछ न करें कि सबकुछ खराब हो जाए.’

रिपोर्ट के अनुसार, मलिक ने कहा, ‘कुछ मुद्दे अभी भी लंबित हैं. जैसे कि किसानों के खिलाफ मामले…सरकार को ईमानदारी दिखाते हुए इन मामलों को वापस लेना चाहिए. इसी तरह एमएसपी की कानूनी गारंटी भी देनी चाहिए.’


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कृषि कानूनों को लेकर पहले भी मोदी सरकार को घेर चुके हैं मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पहले भी कई बार केंद्र सरकार को तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर घेर चुके हैं.

सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर और गोवा के भी गवर्नर रह चुके हैं. 18 अगस्त 2020 को उन्होंने मेघालय के गवर्नर का पदभार संभाला था.

किसान आंदोलन को सत्यपाल मलिक लगातार समर्थन देते रहे हैं. पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने कहा था कि अगर केंद्र सरकार किसानों न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे देती है तो किसान आंदोलन खत्म हो सकता है.

वहीं पिछले साल नवंबर में उन्होंने कहा था कि दिल्ली में नेता ‘कुत्ते के मरने’ पर भी शोक व्यक्त करते हैं लेकिन किसानों की मौतों की उन्हें कोई परवाह नहीं है.

पिछले साल उन्होंने यह आशंका जताई थी कि उन्हें राज्यपाल के पद से हटाया भी जा सकता है.

हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया है और सभी किसान अब दिल्ली की सीमा से अपने घर जा चुके हैं. एक साल से भी ज्यादा तक ये आंदोलन चला था.

केंद्र सरकार द्वारा उनकी पांचों मांगों पर लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया गया था. गौरतलब है कि किसान संगठनों के अनुसार किसान आंदोलन के दौरान 700 से भी ज्यादा किसानों की मौत हुई है लेकिन संसद में मोदी सरकार ने बताया कि इसे लेकर उसके पास कोई जानकारी नहीं है.


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