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Tuesday, 7 January, 2025
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हरियाणा के मंत्रियों ने मांगा सरकारी कर्मचारियों के तबादले का अधिकार, CM सैनी ने किया इनकार

फिलहाल, सभी तबादले सीएमओ द्वारा संभाले जाते हैं, जिसमें हरियाणा सिविल सेवा का एक समर्पित अधिकारी इस उद्देश्य के लिए विशेष कार्य अधिकारी के रूप में कार्य करता है.

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गुरुग्राम: हरियाणा के मंत्री सरकारी कर्मचारियों के तबादले का अधिकार चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी के समक्ष एक से अधिक बार यह मांग उठाई है और आखिरी बार यह मांग बुधवार को उठाई गई थी.

दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि मंत्रियों ने अनुरोध किया है कि अगर ग्रुप ए और बी के अंतर्गत आने वाले राजपत्रित अधिकारियों का नहीं दे सकते तो कम से कम उन्हें ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों के तबादले का अधिकार दिया जाना चाहिए.

सैनी के साथ हाल ही में हुई बैठक में एक मंत्री ने दुख जताया कि वह एक चपरासी (ग्रुप डी कर्मचारी) का भी तबादला करने की स्थिति में नहीं हैं. सरकारी सूत्रों के अनुसार, सैनी ने मंत्रियों के साथ अपनी बैठक के दौरान कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई.

वर्तमान में, सभी तबादलों का काम मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा किया जाता है, जिसमें एक समर्पित हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस) अधिकारी इस उद्देश्य के लिए विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में कार्य करता है.

सोमवार को, हरियाणा के सीएम ने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्रियों को ऐसी शक्ति दिए जाने की संभावना से इनकार किया.

सैनी ने गुरु गोविंद सिंह की जयंती के अवसर पर पंचकूला में नाडा साहिब गुरुद्वारा के बाहर मीडिया से कहा, “हरियाणा में सभी तबादले ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किए जाते हैं. हम किसे शक्ति देंगे? चूंकि, तबादले ऑनलाइन हैं, इसलिए कर्मचारियों को उसी के अनुसार आवेदन करना होगा. अगर किसी कर्मचारी को कोई शिकायत है, तो उसके निवारण के लिए आवेदन देने के लिए हमारे पास जिला स्तर पर डिप्टी कमिश्नरों के अधीन समितियां हैं.”

वर्तमान में हरियाणा में 11 कैबिनेट मंत्री और 2 राज्य मंत्री हैं. नियमित कैबिनेट बैठकों के अलावा, मुख्यमंत्री हर हफ्ते एक अनौपचारिक बैठक में मंत्रियों से मिलते हैं, जो आमतौर पर हर बुधवार को होती है, यह प्रथा मनोहर लाल खट्टर द्वारा शुरू की गई थी और सैनी द्वारा इसे कामय रखा जा रहा है.

एक मंत्री ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि, इस मामले पर पहले भी चर्चा हुई थी, लेकिन पिछले हफ्ते सैनी के सामने इस मांग को गंभीरता से उठाया गया था. मंत्री ने कहा कि उन्होंने अनुरोध किया कि उन्हें ग्रुप बी और सी के कर्मचारियों को स्थानांतरित करने का अधिकार दिया जाए.

कहा जाता है कि मंत्रियों में से एक ने सैनी से कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के कई सरकारी अधिकारियों ने खुले तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ काम किया और सितंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस का समर्थन किया. मंत्री के अनुसार, वह अभी भी अपनी पसंद की जगह पर काम कर रहे थे और वह उनका तबादला भी नहीं कर सकते थे.

इससे पहले, हरियाणा सरकार के पास एक महीने का समय था जब मंत्रियों को सीएमओ के किसी भी हस्तक्षेप के बिना अपने विभागों में तबादला आदेश जारी करने का अधिकार था.

यह व्यवस्था 2019 में मुख्यमंत्री खट्टर के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती वर्षों में थी. तब, खट्टर ने मंत्रियों को दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक तबादला शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति दी थी.

लेकिन, 2020 से 2024 तक यह व्यवस्था पूरी तरह से वापस ले ली गई. दूसरे कार्यकाल के अंत में सैनी मार्च में मुख्यमंत्री बने और केंद्रीकृत तबादलों और पोस्टिंग की पुरानी व्यवस्था लागू रही.

देवी लाल और ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली सरकारों में हरियाणा के पूर्व मंत्री संपत सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि पहले मंत्रियों को साल में एक या दो महीने के लिए तबादला और पोस्टिंग की शक्ति दी जाती थी.

सिंह ने कहा कि साल के बाकी समय में यह अधिकार मुख्यमंत्री के पास रहता था.

उन्होंने कहा, “जब मास्टर हुकम सिंह 1990 में मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने मंत्रियों के अनुरोध पर उन्हें अधिकार दिए. हालांकि, एक महीने के भीतर ही उन्हें वह अधिकार वापस लेने पड़े, क्योंकि मंत्रियों ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के तबादले करने शुरू कर दिए.”

सिंह ने सवाल किया कि जब भाजपा सरकार दावा करती है कि उसने ऑनलाइन जाकर तबादलों में पारदर्शिता लाई है, तो मंत्रियों को ऐसा अनुरोध करने की क्या ज़रूरत थी.

उन्होंने पूछा, “जब हर मंत्री तबादला आदेश जारी करना शुरू कर देगा, तो भाजपा के पारदर्शिता के दावों का क्या होगा?”

एक अन्य पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा के अनुसार, भाजपा सरकार के तहत सत्ता पूरी तरह से केंद्रीकृत थी.

थानेसर से कांग्रेस विधायक ने मंत्रियों के साथ सहानुभूति जताते हुए कहा कि जब वे अपने विभाग के एक चपरासी का तबादला करने की स्थिति में भी नहीं हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनका “मूल्य केवल झंडा लगी एक कार और चंडीगढ़ में एक ‘कोठी’ तक ही सीमित है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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