गुरुग्राम: हरियाणा अपना आधिकारिक राज्य गान आगामी बजट सत्र के दौरान प्रस्तुत करेगा, जो 7 मार्च से शुरू हो रहा है.
‘जय जय जय हरियाणा’ को पिछले महीने पांच सदस्यीय राज्य गीत चयन समिति द्वारा अंतिम रूप दिया गया था, जिसकी अध्यक्षता रेवाड़ी से बीजेपी विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने की थी.
21 पंक्तियों वाले इस गीत में हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व का जिक्र किया गया है. यह कुरुक्षेत्र की पावन भूमि, इसके सैनिकों की वीरता, किसानों की मेहनत और खिलाड़ियों की उपलब्धियों को श्रद्धांजलि देता है, साथ ही राज्य के दूध और दही के प्रति प्रेम को भी दर्शाता है.
गान के बोल पानीपत के डॉ. बलकिशन शर्मा ने लिखे हैं, जो हिंदी और हरियाणवी लोक साहित्य के जाने-माने विद्वान हैं. इसका संगीत पारस चोपड़ा ने तैयार किया है और रोहतक की मालविका पंडित ने इसका निर्देशन किया है, जबकि इसे डॉ. श्याम शर्मा ने गाया है.
फतेहाबाद से कांग्रेस विधायक और गीत चयन समिति के सदस्य बलवान सिंह दौलतपुरिया ने मंगलवार को दि प्रिंट को बताया कि समिति ने राज्य विधानसभा में हुई बैठकों के दौरान तीन चयनित गीतों के कई संस्करण सुने. उन्होंने कहा, “कुछ वर्जन में हरियाणवी टच की कमी थी, जबकि कुछ पूरे हरियाणा का सही ढंग से वर्णन नहीं कर सके. हालांकि, ‘जय जय जय हरियाणा’ हरियाणा की सही पहचान के रूप में सामने आया.”
हरियाणा के लिए गान होने का विचार 2019-2024 विधानसभा कार्यकाल के दौरान प्रस्तावित किया गया था, और इस अवधि के दौरान अधिकांश आधारभूत कार्य पूरा किया गया. 2024 के चुनावों के बाद चयन प्रक्रिया जारी रही और आखिरकार 28 फरवरी को अंतिम निर्णय लिया गया.
गान हरियाणा की जीवनशैली को भी दर्शाता है, जिसमें राज्य के पारंपरिक आहार—दूध और दही—पर खास जोर दिया गया है, यह हरियाणा की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी दर्शाता है, जहां होली, दीवाली, ईद और गुरुपुरब जैसे त्योहार मिलकर मनाए जाते हैं. इसके अलावा, यह शिक्षा और व्यापार में हरियाणा की प्रगति को रेखांकित करते हुए इसके समृद्ध लोक कलाओं, जैसे सांग और रागिनी को भी दर्शाता है.
गीत में हरियाणा के राष्ट्रीय योगदान का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें किसान, जो देश के लिए स्वर्णिम फसल उगाते हैं, खिलाड़ी, जो पदक जीतते हैं, और सैनिक, जो राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा करते हैं, शामिल हैं. गीत के अंत में हरियाणा को एक छोटा लेकिन गर्व से भरा राज्य बताया गया है, जहां ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा आज भी जीवित है.
गीतकार डॉ. बलकिशन शर्मा एसडी पीजी कॉलेज, पानीपत में एसोसिएट प्रोफेसर रहे हैं और हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं. वे हिंदी और हरियाणवी लोक साहित्य के प्रतिष्ठित विद्वान हैं और उन्होंने आठ किताबें लिखी हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए, डॉ. शर्मा ने बताया कि हरियाणा कला और संस्कृति विभाग ने 2023 में राज्य गान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की थीं. 500 एंट्रिज़ में से सात को शॉर्टलिस्ट की गईं, और तीन को 2023 के शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में प्रस्तुत किया गया.
राज्य गान को अपनाने की यह पहल हरियाणा को महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों की श्रेणी में लाती है, जिनके अपने आधिकारिक गीत हैं—’जय जय महाराष्ट्र माझा’ और ‘जय जय गरवी गुजरात’.
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