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Monday, 24 June, 2024
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‘प्राण प्रतिष्ठा से मोदी लहर’ के कारण हरियाणा के BJP विधायकों की राज्य और LS चुनाव साथ कराने की इच्छा

हरियाणा में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद अक्टूबर में होने हैं. सीएम मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी 2014 से राज्य में सत्ता में है.

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नई दिल्ली: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक और पार्टी के अन्य नेता चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही कराए जाएं. हरियाणा और दिल्ली के कई भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को अपनी इच्छा से अवगत करा दिया है, हालांकि, नेताओं ने इस पर आपत्ति भी जताई है.

हरियाणा में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद अक्टूबर में होने हैं. राज्य में 2014 से बीजेपी सत्ता में है.

जानकारी मिली है कि हरियाणा के नेताओं की मांग पिछले साल के अंत में विधानसभा चुनावों के नतीजों से प्रेरित है, जब भाजपा ने हिंदी भाषी राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जीत हासिल की थी.

बीजेपी के एक विधायक ने दिप्रिंट को बताया, “हमने हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और अब हम आत्मविश्वास के साथ लोकसभा चुनावों की ओर बढ़ रहे हैं.”

विधायक ने कहा, “राम मंदिर के उद्घाटन, पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई केंद्रीय योजनाओं से जो उत्साह पैदा हुआ है, वह हमें राज्य चुनावों में भी मदद कर सकता है. हमने अपनी बात रख दी है और केंद्रीय नेतृत्व अंतिम फैसला लेगा.”

6-7 जनवरी को चंडीगढ़ में प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी और पदाधिकारियों की बैठक के दौरान प्रदेश नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को अपनी इच्छा के बारे में बताया था.

भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा उस समय केंद्र सरकार की विकसित भारत संकल्प यात्रा के हिस्से के रूप में पंचकुला में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ रोड शो के लिए चंडीगढ़ में थे, जिसका उद्देश्य कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना था.

दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि रोड शो के बाद जब नड्डा चले गए, तो बीजेपी उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने बैठक की अध्यक्षता की.

बैठक में मौजूद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि विधायकों के एक वर्ग ने पीएम मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की है क्योंकि यह प्रभावी रूप से “किसी भी स्थानीय सत्ता विरोधी लहर को कम करेगा”.

सूत्रों के मुताबिक, पांडा ने इस बात पर कोई संकेत नहीं दिया कि क्या एक साथ चुनाव कराने की संभावना है और इसके बजाय उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने के लिए तैयारी करने को कहा.

इससे पहले, पंचकुला में अपने रोड शो के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए नड्डा ने भी विश्वास जताया था कि भाजपा राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी.

केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक संकेत दिया है कि वे लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं, भाजपा के एक केंद्रीय पदाधिकारी ने कहा कि यह “खराब दृष्टिकोण का मामला होगा और स्थानीय इकाई की छवि को खराब दर्शाएगा कि इसमें (आत्मविश्वास की कमी है)”.

नेता ने कहा, “यह मुद्दा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा उठाया गया था. पहले और अब तक, पार्टी राम मंदिर की तैयारियों में व्यस्त रही है और उन्होंने संकेत दिया है कि यह एक अच्छा विचार नहीं है, लेकिन अब जबकि अधिक विधायक अपने विचार रख रहे हैं, पार्टी राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अंतिम फैसला लेगी.”

बैठक में मौजूद नहीं रहे एक भाजपा विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि विकल्प मिलने पर, पार्टी के अधिकांश विधायक एक साथ चुनाव कराना पसंद करेंगे, क्योंकि वे मोदी लहर के साथ चलना चाहते हैं, जिसका वे अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अनुमान लगा रहे हैं.”


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‘अब की बार 75 पार’

2019 के संसदीय चुनावों में बालाकोट हवाई हमले के आलोक में मोदी लहर पर सवार होकर, भाजपा ने हरियाणा में लोकसभा की सभी 10 सीटें जीती थीं, यहां तक कि पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुडा और उनके बेटे दीपेंद्र हुडा भी क्रमशः सोनीपत और रोहतक से हार गए थे.

अक्टूबर में विधानसभा चुनाव में उत्साहित राज्य भाजपा ने “अब की बार 75 पार (इस बार विधानसभा की 90 में से 75 सीटें)” का नारा दिया था. हालांकि, सत्तारूढ़ दल केवल 40 सीटें ही जीत सका और साधारण बहुमत से भी पीछे रह गया था.

सरकार चलाने के लिए भाजपा को 10 सीटें जीतने वाली दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन करना पड़ा.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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