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Friday, 22 August, 2025
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हरियाणा विधानसभा में पूर्व MLAs पेंशन, भत्तों पर लगी 1 लाख रुपये की सीमा हटाने के लिए बिल होगा पेश

बिल पास होने के बाद राज्य के 550 पूर्व विधायकों को फायदा मिलेगा. हरियाणा में पेंशन पहले से ही देश में सबसे ज़्यादा है, सांसदों की पेंशन से तीन गुना ज़्यादा और इससे सरकारी खज़ाने पर सालाना 55 लाख रुपये का बोझ पड़ेगा.

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गुरुग्राम: हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है, जिसमें एक अहम संशोधन बिल पेश किया जाएगा. यह बिल राज्य के 550 पूर्व विधायकों को आर्थिक राहत दे सकता है क्योंकि इसमें उनकी पेंशन और भत्तों पर लगी सीमा हटाने का प्रावधान है.

हरियाणा विधानसभा (वेतन, भत्ता और पेंशन) संशोधन बिल, 2025 के तहत मासिक पेंशन, महंगाई राहत और विशेष यात्रा भत्ते पर लगी 1 लाख रुपये की सीमा खत्म करने का प्रस्ताव है. अगर इसे मंजूरी मिलती है तो पूर्व विधायकों को यात्रा भत्ते के तौर पर 10,000 रुपये प्रति माह तक मिल सकेंगे, बिना कुल लाभ की सीमा से बंधे हुए.

पूर्व हरियाणा विधायक पहले से ही देश में सबसे ज़्यादा पेंशन पाते हैं. यह पूर्व सांसदों को मिलने वाली राशि से तीन गुना है.

बिल के साथ पेश वित्तीय विवरण के अनुसार, यह सीमा हटाने से राज्य के खज़ाने पर हर साल करीब 55 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

यह ड्राफ्ट बिल संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा द्वारा पेश किया जाएगा. इसमें 1975 के कानून की धारा 7C में संशोधन का प्रस्ताव है. पूर्व विधायकों ने व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर लंबे समय से इसकी मांग की थी.

पूर्व विधायकों का कहना है कि मौजूदा प्रावधान महंगाई को ध्यान में नहीं रखते, जिसकी वजह से उनकी पेंशन और भत्तों का वास्तविक मूल्य कम हो गया है.

बिल में कहा गया है, “हाल के समय में कई सदस्यों ने माननीय अध्यक्ष को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से ज्ञापन देकर कहा कि मौजूदा प्रावधान वर्तमान महंगाई दरों को सही तरह से नहीं दर्शाते.”

पूर्व विधायक और पूर्व विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष, रंभीर सिंह ने दिप्रिंट को गुरुवार को बताया कि वे सरकार की प्रतिक्रिया से संतुष्ट हैं. उन्होंने दिसंबर 2024 में विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण से मुलाकात की थी.

उन्होंने कहा, “इस महीने की शुरुआत में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने हमारी मांग पर 60 साल से ऊपर के पूर्व विधायकों के लिए 10,000 रुपये मासिक मेडिकल भत्ता मंज़ूर किया है.”

सिंह, जो 2000 से 2005 तक गुरुग्राम ज़िले की पटौदी विधानसभा सीट से विधायक रहे, उन्होंने आगे कहा, “हालांकि यात्रा भत्ता पहले से मौजूद था, लेकिन जब तक 1 लाख रुपये की सीमा नहीं हटती, तब तक कई पूर्व विधायकों को इसका लाभ नहीं मिलता, क्योंकि उनकी पेंशन और महंगाई भत्ता मिलाकर पहले ही 1 लाख रुपये से ऊपर हो जाता है.”


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हरियाणा के विधायकों को देश में सबसे ज्यादा पेंशन मिलती है

नाम न बताने की शर्त पर हरियाणा विधानसभा के एक पूर्व अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य के पूर्व विधायकों को देश में सबसे ज्यादा पेंशन मिलती है. कई बार विधायक रह चुके कुछ पूर्व विधायकों को एक साथ कई कार्यकालों और संयुक्त पेंशन संरचना के आधार पर हर महीने तकरीबन 2.38 लाख रुपये तक मिलते हैं.

हरियाणा में पूर्व विधायकों को पहले कार्यकाल के लिए 50,000 रुपये की मूल पेंशन मिलती है और हर अतिरिक्त सेवा वर्ष पर 2,000 रुपये और मिलते हैं. यानी छह बार विधायक रह चुके लोगों को करीब 2.45 लाख रुपये तक मासिक पेंशन मिलती है. इसके बाद बिहार का नंबर आता है, जहां छह बार विधायक रहने वाले को लगभग 1.65 लाख रुपये मिलते हैं.

पंजाब में सुधारों के बाद अब सभी को कार्यकाल से अलग केवल तय 75,150 रुपये प्रति माह मिलते हैं. तेलंगाना में पेंशन की अधिकतम सीमा 70,000 रुपये तय है. सिक्किम में पूर्व विधायकों को न्यूनतम 50,000 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं और लंबे कार्यकाल पर इसमें संशोधन भी हो सकता है.

भारत के पूर्व सांसदों को केवल 31,000 रुपये की बेस पेंशन मिलती है, साथ ही शुरुआती पांच साल के बाद हर साल के लिए 2,500 रुपये अतिरिक्त.

हरियाणा के पूर्व विधायकों की पेंशन

हरियाणा विधानसभा (वेतन, भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1975—जिसमें आखिरी संशोधन 31 अगस्त 2021 को हुआ था, उसके तहत एक कार्यकाल वाला विधायक कम से कम 50,000 रुपये मासिक पेंशन का हकदार होता है. इसमें राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर तय महंगाई राहत भी जुड़ती है.

पूर्व अधिकारी ने बताया कि 31 जुलाई 2024 से लागू 53% महंगाई राहत दर के अनुसार, एक कार्यकाल वाले विधायक की पेंशन 76,500 रुपये प्रतिमाह होती है.

अगर कुल पेंशन 1 लाख रुपये से कम है, जैसे एक कार्यकाल वाले विधायक की स्थिति में, तो उसे 10,000 रुपये का विशेष यात्रा भत्ता भी मिलता है. यानी एक कार्यकाल वाले विधायक को कुल 86,500 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं.

इसके उलट, सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 (11 मई 2022 तक संशोधित) के अनुसार, एक कार्यकाल वाला सांसद केवल 25,000 रुपये पेंशन का पात्र है जो हरियाणा के एक विधायक की पेंशन का एक-तिहाई भी नहीं है.

पूर्व अधिकारी ने कहा, “हरियाणा के विधायकों को देश में सबसे ज्यादा पेंशन मिलती है. उदाहरण के लिए छह बार विधायक को 2.45 लाख रुपये प्रतिमाह, पांच बार को 2.07 लाख और चार बार को 1.68 लाख रुपये तीन बार को 1.29 लाख और दो बार को 90,600 रुपये मिलते हैं.”

1975 का अधिनियम अब तक 48 बार बदला जा चुका है, जिसमें 44 संशोधन 2014 से पहले हुए. इनमें ज्यादातर पेंशन और सुविधाएं बढ़ाने से जुड़े थे.

पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की सरकार ने अकेले 1980 में पांच बार कानून बदला, फिर 1984 से 1986 के बीच आठ बार और 1991 से 1996 के बीच चार बार और संशोधन किए.

बंसीलाल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में चार बार बदलाव हुए, जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने नौ साल में 11 संशोधन किए.

2014 में मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2018 में पहली बार संशोधन लाया गया, जिसे 1 जनवरी 2016 से प्रभावी किया गया. इसके तहत उन विधायकों की पेंशन पर सीमा तय की गई, जिन्होंने 2016 से पहले पहला कार्यकाल पूरा नहीं किया था.

15 मार्च 2018 को लागू किए गए इस संशोधन ने पूरी पेंशन प्रणाली बदल दी. 2018 के सुधारों ने पेंशनधारियों की दो श्रेणियां बना दीं—

2016 के बाद वाले विधायक: पहले कार्यकाल के लिए 50,000 रुपये प्रतिमाह (भले ही कार्यकाल 5 साल से कम हो) और हर अतिरिक्त वर्ष पर 2,000 रुपये. महंगाई राहत की गणना राज्य सरकार के पेंशनरों की तरह. 2016 से पहले पहले कार्यकाल पूरे कर चुके विधायक: उनकी पेंशन उस रकम पर तय कर दी गई जो वे 1 जनवरी 2016 से पहले ले रहे थे. बाद में दोबारा चुनकर आने पर भी पेंशन नहीं बढ़ती.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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