नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि अहमदिया और शिया मुसलिम जिन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित किया जा रहा है, वह भारत से शरण मांगते हैं, तो नरेंद्र मोदी की सरकार ऐसे ममलों पर भी नज़र बनाए हुई है.
नई दिल्ली में दिप्रिंट के ऑफ द कफ़ कार्यक्रम में पुरी ने कहा, अगर प्रताड़ित अहमदिया और शिया भारत से शरण मांगते हैं तो, हमलोग ऐसे मामलों पर अलग से सोचेंगे. केंद्रीय सिविल एविएशन और शहरी विकास मंत्री ने यह बातें दिप्रिंट के एडिटर इन चीफ़ शेखर गुप्ता से एक मुलाकात में यह बातें कहीं.
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर असम, दिल्ली और देशभर में चल रहे हंगामें पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि वो लोग जो हिंसा में शामिल थे और जिन लोगों ने आमलोगों को भड़काया है वे सभी पहचाने जाएंगे.
पुरी ने कहा कि हालांकि वह खुद युवाओं की भीड़ और शक्ति के महान प्रशंसक और चैंपियन रहे हैं लेकिन अब समय आ गया है जहां गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है कि आखिर हुआ क्या है.
उन्होंने कहा कि मुझे आपलोगों से कुछ बातें साझा करती है, यह शहर पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरे से आच्छादित है, हम सभी के पास फोन है जिसमें हम हर मोमेंट को कैद कर सकते हैं, और जब आप उस सबूत और साक्ष्य को देखेंगे, तो उसे कैद करेंगे, आपके पास चेहरे होंगे, आपको नाम मिल जाएंगे जिन लोगों ने किया है. और मुझे लगता है कि एक चित्र जो इस से उभरने वाला है, बहुत सारे लोगों को असुविधा देने वाला होता है.
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नया नागरिक कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान से आए गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता प्रदान करेगा. यह कानून उन लोगों के लिए लागू होगा जो भारत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हैं.
केंद्रीय मंत्री इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि स्वस्थ्य प्रजातंत्र में असहमति बहुत जरूरी है लेकिन सारे कथानक को एक दिशा में घुमाने की कोशिश की जा रही है.
केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार इस मामले में चर्चा करने को तैयार है.’लेकिन असंतोष की अभिव्यक्ति के रूप में जो शुरू हुआ वह लोकतंत्र में बहुत स्वस्थ है. ‘लोकतंत्र आधारित है आपकी राय में अंतर पर, विविधता का सम्मान और असंतोष का सम्मान करते हैं लेकिन लोगों को जलाने और वाहनों को जलाने वाले लोगों में बदलाव (मेटामोर्फोसिस) किस बिंदु पर है?’
अल्पसंख्यकों की समस्या से निपटना
पुरी ने मुसलमानों को नागरिकता अधिनियम से बाहर करने के पीछे के तर्क को स्पष्ट करते हुए कहा कि कानून तीन विशिष्ट धर्मों वाले राज्यों के साथ एक विशेष धर्म से संबंधित है.
‘वह इस्लामी धर्म है. यदि आप पाकिस्तान में सताए गए अल्पसंख्यक हैं. सताए गए अल्पसंख्यक 20 फीसदी थे जो अब 2 फीसदी तक नीचे हैं. वे कहां चले गए हैं? उन्होंने कहा, ‘उन्होंने कहीं और जाकर शरण मांगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार अन्य लोगों की तरह बांग्लादेश को भी उसी ‘लोकतांत्रिक’ श्रेणी में रखती है, तब पुरी ने कहा ‘नहीं’. उनकी प्रतिक्रिया बांग्लादेश के घर की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है और नए मंत्रियों ने नए कानून के विरोध में भारत की अपनी यात्राओं को स्थगित कर दिया है.
‘जब हमें श्रीलंका के साथ समस्या थी, और तमिलों ने शरण मांगी, तो सैकड़ों और हजारों लोग आए और रुके. उस समय, हम श्रीलंका की समस्या से निपट रहे थे. आज, आप एक पाकिस्तानी या बांग्लादेशी समस्या से नहीं निपट रहे हैं, आप इतिहास में छोड़ी गई अल्पसंख्यकों की समस्या से निपट रहे हैं, ‘ उन्होंने समझाया.
श्रोताओं के एक प्रश्न जिसमें पूछा गया कि क्या जिन मुसलमानों को पाकिस्तान में सताया जाता है वह भी इस अधिनियम का हिस्सा होने चाहिए, पुरी ने कहा, ‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि मुस्लिमों को पाकिस्तान में सताया नहीं जाता है. मैं आपसे सहमत होने वाला पहला व्यक्ति हूं, अहमदिया, शिया को देखता हूं – क्या हमने कभी कहा है कि अगर उन्हें सताया गया तो हम उन्हें नहीं लेंगे? ‘
लेकिन उन्होंने साफ किया कि तीन देशों में जहां मुस्लिम बहुमत में हैं वह इसमें शामिल नहीं किए गए हैं.
मंत्री ने यह आशंका भी जताई कि यह अधिनियम भारत को तीन देशों में अल्पसंख्यकों को स्थानांतरित करने के लिए ‘खुले निमंत्रण’ के रूप में काम करेगा.
बांग्लादेश आज अल्पसंख्यकों को सता रहा है इसपर कोई सुझाव नहीं दे रहा है.
आपके पास सरकार है, जिसका पूरी तरह से नियंत्रण है. लेकिन तथ्य यह है कि पिछले कई दशकों में, ऐसे कई लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था … इसका उद्देश्य एक ऐतिहासिक भूल को सही करना है और मेरा मानना है कि यह कभी भी इससे अधिक नहीं होगा, ‘उन्होंने कहा.
भारतीय नागरिकों को गिनने के लिए ज़रूरी एनआरसी- पुरी
पुरी का कहना था कि नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) अलग-अलग हैं और दोनों का अलग काम है और अलग परिपेक्ष्य भी. उनका तर्क था कि भारत के नागरिकों की गिनती ज़रूरी है और इसलिए एनआरसी की भी.
‘हमें ये संदेश देना है कि कौन भारतीय है उसका पता हो. आपको पता होना चाहिए कि आप कौन हैं. कम से कम एक रजिस्टर तो हो कि पता चले कि आपका भारतीय नागरिक होने का अधिकार है. अगर आप भारतीय नागरिकता पाना चाहते है तो इसका मतलब कतई नहीं कि आप को उस देश वापिस भेज दिया जाएगा जहां से आप प्रताड़ना से बच कर भागे हैं. ‘
पुरी ने आश्वासन दिया कि किसी भी भारतीय नागरिक पर नागरिकता कानून का असर नहीं होगा. ‘इस कानून से होगा ये कि अनधिकृत कालोनियों में, जिन लोगों को मालिकाना हक़ मिल गया उनके होने न होने की बात ये कानून तय करेगा.’
उन्होंने साथ ही कहा कि, ‘कोई भारतीय नागरिक , मैं ज़ोर दे कर दोहराता हूं को हर चीज़ जिसपर उनका अधिकार है से वंचित नहीं किया जायेगा, न ही उसकी नागरिकता पर सवाल उठाया जायेगा. ‘
केंद्रीय मंत्री ने साथ ही कहा की दोनो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही वक्तव्य दे दिए है कि कैसे नागरिकता कानून और एनआरसी से निपटा जायेगा.
‘मैने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के कई बयान सुने है कि वे कैसे इससे निपटेंगे. अगर डर फैला कर कर लोगों के बीच खाई पैदा की जा रही है को पहले उसे दूर किया जाए, बैठकर बात की जाये.’
उन्होंने साथ ही कहा कि कई लोग बात का बतंगड़ बना रहे हैं. ‘ जब आप शिनाख्त प्रक्रिया में जायेंगे, पंजीकरण प्रक्रिया में जायेंगे, कुछ गड़बड़ियां आ सकती है, पर राज्य और केंद्र इसमें साथ में काम करेंगे. ‘
(केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी से इस खास-बीतचीत को अंग्रेजी में यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है.)