कोलकाता (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल में बच्ची का रेप और उसकी मौत को लेकर विवाद के बीच बृहस्पतिवार को राज्यपाल धनखड़ ने आरोप लगाया कि राज्य में नौकरशाही का राजनीतिकरण किया गया है और संविधान की प्रस्तावना की अवहेलना की जा रही.
राज्यपाल धनखड़ ने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, ‘हमें भारतीय संविधान की भावना पर ध्यान देने की जरूरत है. यह हमारी जिम्मेदारी और दायित्व है कि संविधान का उल्लंघन न हो. हाल की घटनाएं दर्दनाक थीं. ऐसी घटनाओं से पहले भी, राज्य में स्थिति में सुधार की तत्काल आवश्यकता थी.’
उन्होंने कहा, ‘शासन से जुड़े लोगों को यह देखना चाहिए कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए. हमारे पास ऐसा राज्य नहीं हो सकता है जो केवल हिंसा के लिए जाना जाता है और महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए सुर्खियों में आता है, जहां नौकरशाही का राजनीतिकरण किया जाता है और संविधान की प्रस्तावना की अवहेलना की जाती है.’
इससे पहले बुधवार को धनखड़ ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को रोकने के लिए कदम उठाने के लिए तलब किया था.
राज्यपाल ने अधिकारियों को राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार करने और लंबित मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया था. राजभवन ने कहा कि बैठक एक घंटे तक चली जहां राज्यपाल धनखड़ ने जोर देकर कहा कि संवैधानिक शासन अनिवार्य है और वैकल्पिक नहीं है.
इस महीने की शुरुआत में, नदिया जिले के हंसखाली में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद एक 14 वर्षीय लड़की की मौत हो गई थी. पीड़ित परिवार ने मामले में तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत नेता के बेटे पर आरोप लगाया है.
धनखड़ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में हाल ही में हुए हंगामे पर भी चिंता जताई.
राज्यपाल धनखड़ ने कहा, ‘एचसी में जो कुछ भी हुआ वह अभूतपूर्व और चौंकाने वाला था. अगर न्याय तक पहुंच बाधित है तो लोकतंत्र कहां है? अगर न्याय के मंदिर में गंभीर कर्तव्य निभाने वालों को घेर लिया जाता है, तो यह स्वीकार्य नहीं है.’
बुधवार को, पश्चिम बंगाल की टीएमसी कार्यकर्ताओं की कानूनी शाखा ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के दरवाजे बंद कर दिए थे और वकीलों को न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की अदालत में प्रवेश करने से रोक दिया था.
टीएमसी कार्यकर्ताओं की कानूनी शाखा ने कहा, ‘न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भ्रष्टाचार मामले में आदेश पारित करके अपराध किया है.’
मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एक एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी को राज्य के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितताओं के संबंध में सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया था. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने मामले में राज्य के मंत्री को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई को स्वतंत्रता भी दी थी.
बार एसोसिएशन, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के बहिष्कार का प्रस्ताव लाया है.
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