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Thursday, 21 November, 2024
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गुंटूर नगर प्रमुख ने जिन्ना टावर को बताया ‘समरसता का प्रतीक’, टावर पर तिरंगे के रंग का पेंट किया गया

नगर आयुक्त निशांत कुमार का कहना है कि गुरुवार को जिन्ना टावर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा जिससे कुछ ही दिन पहले 26 जनवरी को उसे फहराने की कोशिश में हिंदू वाहिनी कार्यकर्त्ताओं को हिरासत में लिया गया था.

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हैदराबाद: आंध्र प्रदेश में गुंटूर के स्मारक ‘जिन्ना टावर’ पर राजनीतिक विवाद के बीच शहर के नगर आयुक्त निशांत कुमार ने दिप्रिंट से कहा कि मंगलवार को स्थानीय अधिकारियों ने उसे राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों में रंग दिया है ताकि उसकी पहचान ‘समरसता के प्रतीक’ के तौर पर स्थापित हो जाए.

इस कार्रवाई से पहले हिंदू वाहिनी के सदस्यों को पिछले हफ्ते उस समय हिरासत में ले लिया गया था जब उन्होंने गणतंत्र दिवस पर टावर के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश की थी.

उस घटना के बाद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर तीखा हमला किया था और मांग की थी कि स्मारक का नाम- जो पाकिस्तान संस्थापक और मुस्लिम लीग लीडर मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर है- बदलकर स्वर्गीय पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक ‘एपीजे अब्दुल कलाम टावर’ के नाम पर रखा जाए.

टावर को झंडे के रंगो में रंग दिए जाने के बाद भी बीजेपी उसका नाम बदलने की अपनी मांग पर क़ायम है.

आंध्र प्रदेश बीजेपी महासचिव विष्णु वर्धन रेड्डी ने ट्वीट किया, ’26 जनवरी की घटना और हमारे विरोध के बाद, @Ysrcongress govt ने टावर को पेंट कर दिया लेकिन ऐसा लगता है कि वो अपने पापों को छिपाना चाह रहे हैं. हमारी मांग अभी भी वही है- टावर का नाम बदलकर रखिए’.


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सभी संप्रदायों के बुज़ुर्गों’ से परामर्श किया

जिन्ना टावर का रख-रखाव गुंटूर नगर निगम करता है और मंगलवार को नगर निकाय ने एक क्रेन का इस्तेमाल करते हुए टावर को तिरंगे के रंग में रंग दिया.

आयुक्त निशांत कुमार ने कहा कि ये फैसला अन्य लोगों के अलावा सभी संप्रदायों के ‘बुज़ुर्गों’ से परामर्श के बाद लिया गया. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि टावर समरसता का प्रतीक है लेकिन उन्होंने ‘विवाद’ पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘हम सभी संप्रदायों के बुज़ुर्गों, जन-प्रतिनिधियों और अधिकारियों से बात करते रहे हैं. उसके बाद ही हमने फैसला किया कि इसे तिरंगे के रंगों में पेंट किया जाना चाहिए. हम दिखाना चाहते हैं कि ये टावर गुंटूर में समरसता का प्रतीक है और एक संदेश देना चाहते हैं कि भारत गुंटूर है और गुंटूर भारत है. हम इस पर फिर से ज़ोर देना चाहते हैं कि गुंटूर देश के सभी लोगों के लिए है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘निगम की ज़िम्मेदारी सिर्फ ढांचागत सुविधाओं के रख-रखाव तक सीमित नहीं है बल्कि अपने कार्यक्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखना भी है’.

ये पूछने पर कि क्या टावर पर तिरंगे का रंग चढ़ाने का फैसला राज्य सरकार की ओर से आया है. कुमार ने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

विवाद क्या है

हिंदू वाहिनी कार्यकर्त्ताओं के साथ हुई घटना के बाद जिन्ना टावर फिलहाल जगन मोहन रेड्डी सरकार और बीजेपी के बीच विवाद के केंद्र में है.

राज्य पुलिस ने पहले दिप्रिंट से कहा था कि समूह के कार्यकर्त्ताओं को क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिरासत में लिया गया था क्योंकि नगर निगम को कुछ ‘संदेश’ मिले थे कि अगर टावर का नाम बदला नहीं गया तो उसे गिरा दिया जाएगा.

गुंटूर शहर एसपी आरिफ हफीज़ ने पहले दिप्रिंट से कहा था, ‘अगर कोई राष्ट्रीय झंडा फहराना चाहता है तो पुलिस उसे क्यों रोकेगी?’ हमें उन्हें क़ानून व्यवस्था के सिलसिले में हिरासत में लेना पड़ा था. ये इलाक़ा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील है और निगम को कुछ समूहों की ओर से टावर को गिराए जाने के संदेश मिले थे’.

लेकिन, हफीज़ ने कहा कि उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं है कि ये ग्रुप असल में कौन है?

पुलिस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुए बीजेपी राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश सह-प्रभारी सुनील देवधर ने कहा, ‘हम पाकिस्तान में नहीं हैं’.

पिछले सप्ताह उन्होंने ट्वीट किया, ‘सीएम @ysjagan-समझ लीजिए कि हम पाकिस्तान में नहीं हैं. एपी सरकार शर्म करे. जिसने हिंदू वाहिनी को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोका, हम गुंटूर में जिन्ना टावर का नाम बदलकर, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टावर करने की अपनी मांग नहीं छोड़ेंगे’.

उन्होंने ‘जिन्ना टावर’ नाम की ‘प्रासंगिकता’ पर भी सवाल उठाए और आगे कहा कि प्रदेश बीजेपी लगातार मांग कर रही है कि इसका नाम बदलकर भारत रत्न पुरस्कार विजेता कलाम के नाम पर रखा जाए लेकिन ‘अल्पसंख्यक समुदाय को ख़ुश करने’ के चक्कर में सीएम ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं.

इतिहासकारों के अनुसार, ये टावर देश के विभाजन से पहले 1942 से 1945 के बीच किसी समय बना था. कहा जाता है कि लाल जन बाशा ने जो पूर्व मद्रास प्रेसिडेंसी में गुंटूर से विधानसभा सदस्य थे. ये टावर जिन्ना के सम्मान में बनवाया था जिन्होंने बाशा के अनुरोध पर मुस्लिम समुदाय के 14 लोगों की सज़ा कम कराने में मदद की थी. सभी 14 लोगों को गुंटूर के कोमेरापुड़ी गांव में दंगों को लेकर फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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