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Saturday, 16 November, 2024
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गुजरात से भागे 80 हज़ार से ज़्यादा कामगार

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दिवाली के समय होता है सबसे ज़्यादा उत्पादन, मज़दूरों के पलायन से उद्योग धंधों पर बुरा असर.

नई दिल्ली: गुजरात में बाहरियों के खिलाफ़ चले अभियान के कारण वहां के उद्योग धंधों पर बुरा असर पड़ा है. अब तक 70-80 हज़ार से ज़्यादा लोग गुजरात छोड़कर भाग चुके हैं.

गुजरात के एक संगठन, उत्तर भारतीय विकास परिषद के निदेशक श्याम सिंह ठाकुर ने फोन पर बताया, ‘अब तक यहां से 70-80 हज़ार से ज़्यादा लोग जा चुके हैं. इसके चलते यहां पर उद्योग धंधे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. हालत यह है कि सभी सेक्टर से व्यापारी बहुत चिंतित हैं. गुजरात में सबसे ज़्यादा काम दीवाली के समय होता है. दीवाली के समय हजारों करोड़ के प्रोडक्ट तैयार होते हैं. व्यापारियों के पास सबकुछ है और मज़दूर ही नहीं है तो वह प्रोडक्शन कैसे दे पाएगा. इन मज़दूरों के बिना सब ठप हो जाएगा और व्यापार को बहुत नुकसान होगा.’

हिम्मतनगर में एक 14 साल की बच्ची के साथ हुई बलात्कार की घटना के बाद वहां बाहरी लोगों के खिलाफ़ हिंसा भड़क उठी थी. हिंसा भड़काने का आरोप कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकुर पर लगा है. बाहरी लोगों के प्रति स्थानीय लोगों को भड़काने संबंधी उनका बयान भी सामने आया था. हालांकि, अब वे भी शांति की अपील कर रहे हैं.

राहुल ने कहा, हिंसा की वजह बेरोज़गारी

कई राजनीतिक दलों ने कांग्रेस से मांग की है कि वह अल्पेश ठाकुर पर कार्रवाई करे, वहीं राहुल गांधी ने हिंसा को गरीबी और पलायन से जोड़ा है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘ग़रीबी से बड़ी कोई दहशत नहीं है. गुजरात में हो रही हिंसा की जड़ वहां के बंद पड़े कारख़ाने और बेरोज़गारी है. व्यवस्था और अर्थव्यवस्था दोनों चरमरा रही है. प्रवासी श्रमिकों को इसका निशाना बनाना पूर्णत ग़लत है. मैं पूरी तरह से इसके ख़िलाफ़ खड़ा रहूंगा.’

इसके जवाब में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस पहले हिंसा भड़काती है फिर कांग्रेस अध्यक्ष ट्वीट करके उसकी निंदा करते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष को कोई शर्म है? अगर वे हिंसा के खिलाफ़ हैं तो अपने सदस्य पर कार्रवाई करें जिसने प्रवासियों के खिलाफ़ लोगों को भड़काया. समस्या का हल ट्वीट करना नहीं, कार्रवाई करना है. हम लोगों में यह विश्वास जगाने के लिए मेहनत कर रहे हैं कि गुजरात में सब लोग सुरक्षित हैं. कांग्रेस अध्यक्ष को शर्म करनी चाहिए कि उनकी पार्टी ही हिंसा फैला रही है और वे इस तरह का ट्वीट कर रहे हैं.’

अफवाह और डर का माहौल

दूसरी ओर व्यापारियों की चिंता दूसरी है. उत्तर भारतीय विकास परिषद के निदेशक श्याम सिंह ठाकुर ने बताया, ‘सोमवार से हालत काबू में है. छिट पुट हिंसा की खबरें आई हैं लेकिन इस माहौल में अराजक तत्व भी सक्रिय हैं. बाकी कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है.’

उन्होंने बताया कि इसके पहले काफी अफवाह फैली कि दंगा होगा, आठ तारीख को बंद होगा, लोग मारे जाएंगे, बाहरी लोगों को भगाना है आदि. इन अफवाहों के चलते, डर से ज़्यादातर लोग यहां से जाने लगे. प्रशासन की तरफ से लोगों को रोकने में सहयोग मिल रहा है.

मज़दूरों को वापस लाने के सवाल पर ठाकुर ने कहा, ‘उन्हें वापस लाने के मुद्दे पर सरकार क्या करती है, यह तो आगे देखना होगा. लेकिन हम लोग, हमारे समाज के लोग कोशिश कर रहे हैं कि लोग यहां से भागे नहीं और जो गए हैं वे वापस आ जाएं. हम सब लोगों से संपर्क कर रहे हैं. मज़दूरों के गांव के लोग संपर्क में हैं तो उनसे भी कह रहे हैं कि उस घटना और खराब माहौल को भूलकर वापस आ जाइए. गुजरात में कभी ऐसा माहौल नहीं रहा है.’

गुजरात के मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने और प्रवासियों से गुजरात न छोड़ने की अपील है. उन्होंने पलायन कर चुके लोगों से भी अपील की है वे वापस लौट आएं. ठाकुर ने कहा, ‘बड़े बड़े लोगों और अधिकारियों से शांति बनाए रखने की अपील कराई है. डीजीपी, मुख्यमंत्री व अन्य नेताओं की अपील और पुलिस की सक्रियता के बाद माहौल ठीक हुआ है.’

अल्पेश ठाकुर पर हिंसा भड़काने का आरोप

यह हिंसा क्यों फैली, इसके जवाब में श्याम सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया, ‘यह पूरा का पूरा काम अल्पेश ठाकुर की ठाकुर सेना का है. हिंसा की सब घटनाएं ठाकुर सेना के माध्यम से हुई हैं. अल्पेश ठाकुर इस सेना के अध्यक्ष हैं. अगर लोग आपकी सेना का बैनर लेकर, आपकी सेना का नारा लगाते हुए बाहर निकले हैं, और नारा लगा रहे हैं कि ‘भैया भगाओ गुजरात बचाओ’ तो ज़िम्मेदारी किसकी है? अगर आपकी सेना का दुरुपयोग हुआ तो आपने क्या किया? यह सारा काम तो ठाकुर सेना ने ही किया. हालांकि, बाद में उन्होंने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर लोगों से शांति की अपील की और कहा कि सभी बाहरी लोग हमारे भाई हैं.’

हालांकि, प्रवासियों के खिलाफ हवा देने के मसले पर अल्पेश ठाकुर मंगलवार को कहा कि ‘गुजरात में कहीं एक जगह ऐसी घटना हुई और मैं इसकी निंदा करता हूं. अगर मैंने किसी को धमकाया होगा तो मैं खुद ही जेल चला जाउंगा. गुजरात जितना मेरा है, उतना ही आपका है.’

‘अल्पेश दोषी हैं तो सरकार साबित करे’

अल्पेश ठाकुर को कांग्रेस में बिहार का पार्टी प्रभारी बनाया है. इस बारे में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदनमोहन झा ने कहा, ‘एक आदमी ने कोई गलत काम किया तो इसके लिए सभी बिहारियों को दोष नहीं दिया जा सकता. अगर कोई अपराध है तो यह सरकार की जवाबदेही है. उसे सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. इसके लिए सभी को निशाना बनाना गलत है. हम इसकी निंदा करते हैं.’

पलायन की समस्या पर झा ने कहा, ‘केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है. दोनों को बातचीत करके कोई समाधान निकालना चाहिए. अगर वे कह रहे हैं कि फलां आदमी ने कहा कि बाहर के लोगों को खदेड़ना है तो यह सरकार की जवाबदेही है कि लोगों को सुरक्षा दें.’

हिंसा भड़काने में अल्पेश ठाकुर की संलिप्तता के सवाल पर मदनमोहन झा ने कहा, ‘अल्पेश ने खुद जांच करने और आरोपी को सजा देने की मांग की. वे गुजरात में हमारे ओबीसी के नेता हैं. वे बिहार के प्रभारी भी हैं. उन्होंने गुजरात में भाजपा के लिए परेशानी खड़ी की. अगर वे वही बिहार में करेंगे तो इनको बहुत परेशानी होगी. भाजपा के लोग जानते हैं कि कब किसको कहां फंसाना चाहिए. इसी साजिश के तहत अल्पेश का नाम उछाला जा रहा है.’

झा ने कहा, ‘अगर अल्पेश ठाकुर गलत हैं तो सरकार साबित करे. केंद्र में उनकी सरकार है, राज्य में उनकी सरकार है. अगर हम दोषी हो जाएंगे तो क्या सरकार हमें छोड़ देगी? कभी नहीं छोड़ेगी. अगर गलत किया है तो साबित करना चाहिए. लेकिन जो हो रहा है वह सिर्फ बिहार में अल्पेश के बारे में परसेप्शन खराब करने के लिए है.’

मायावती ने मोदी पर साधा निशाना

गुजरात से उत्तर भारतीयों के पलायन के मसले पर बसपा नेता मायावती ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला है. समाचार एजेंसी आएएनएस के मुताबिक, ‘पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए कहा है कि जिन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी को वाराणसी से चुनाव जितवाया, आज उन पर हमले हो रहे हैं. यह बेहद दुखद है.’

उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी गुजरात के मुख्यमंत्री से प्रदेश के लोगों के लिए सुरक्षा की मांग की थी.

हालांकि, फिलहाल प्रशासन और नेताओं के प्रयास के बावजूद गुजरात से लोगों का पलायन जारी है.

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