नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को केंद्र सरकार पर एटीएम से पैसा निकालने पर शुल्क लगाने समेत कई तरह की फीस बढ़ाकर बैंकों को “वसूली एजेंट” बनाने का आरोप लगाया.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुसार, सरकार ने 2018 से 2024 के बीच सेविंग अकाउंट्स और जन धन अकाउंट्स में न्यूनतम शेष राशि नहीं बनाए रखने के कारण नागरिकों से कम से कम 43,500 करोड़ रुपये वसूले हैं.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “हमारे बैंकों को दुर्भाग्य से मोदी सरकार ने ‘वसूली एजेंट’ बना दिया है! एटीएम निकासी शुल्क और महंगा होने वाला है. मोदी सरकार ने 2018 से 2024 के बीच बचत खातों और जन धन खातों से न्यूनतम शेष राशि नहीं होने के कारण कम से कम 43,500 करोड़ रुपये वसूले हैं.”
खड़गे ने दावा किया कि बैंक कई तरह की फीस लगा रहे हैं, जिनमें इनएक्टिविटी फीस, बैंक स्टेटमेंट इश्यू करने की फीस, एसएमएस अलर्ट फीस, लोन प्रोसेसिंग फीस और लोन प्री-क्लोजर फीस शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ये फीस उन नागरिकों पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं जो पहले से ही बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “नागरिकों को लूटने के लिए अन्य बैंक शुल्क-एक निष्क्रियता शुल्क, जो हर साल 100-200 रुपये है; बैंक स्टेटमेंट जारी करने का शुल्क 50-100 रुपये; एसएमएस अलर्ट के लिए प्रति तिमाही 20-25 रुपये; बैंक लोन प्रोसेसिंग फीस के रूप में 1-3% फीस लेते हैं; अगर लोन समय पर चुकाया जाता है, तो लोन प्री-क्लोजर फीस लगाई जाती है; एनईएफटी, डिमांड ड्राफ्ट शुल्क अतिरिक्त बोझ हैं और केवाईसी अपडेट, जैसे हस्ताक्षर परिवर्तन के लिए भी शुल्क लगता है.”
यह बयान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया निर्णय के बाद आया है, जिसमें बैंकों को एटीएम नकद निकासी शुल्क बढ़ाने की अनुमति दी गई है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है. 1 मई से, बैंक अनिवार्य फ्री मंथली यूसेज के बाद प्रति ट्रांजैक्शन 23 रुपये तक फीस ले सकते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आलोचना की कि सरकार ने संसद में इन फीस से कलेक्ट किए गए पैसों पर डेटा देने की प्रैक्टिस को बंद कर दिया है.
उन्होंने कहा, “पहले, केंद्र सरकार संसद में इन शुल्कों से एकत्र की गई राशि का डेटा प्रदान करती थी, लेकिन अब इस प्रथा को यह कहकर भी समाप्त कर दिया गया है कि ‘आरबीआई इस तरह का डेटा नहीं रखता.'”
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट बैंकों ने 2018 से मिनिमम बैलेंस मैंटेन न करने, एक्स्ट्रा एटीएम ट्रांजैक्शन और SMS सर्विसेस की फीस के कारण 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा कलेक्ट किए हैं. सरकार द्वारा इन शुल्कों से एकत्र किए गए डेटा को सार्वजनिक करने की प्रथा को समाप्त करने के फैसले ने पारदर्शिता को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है.
खड़गे ने इसे बीजेपी का “वसूली का मंत्र” बताते हुए “कष्टदायक महंगाई” और “बेलगाम लूट” का मिश्रण कहा.
इस मुद्दे ने बैंकों की भूमिका और सरकारी नीतियों को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां सरकार का तर्क है कि इन शुल्कों की आवश्यकता बैंकिंग सेवाओं को बनाए रखने के लिए है, वहीं खड़गे जैसे आलोचकों का कहना है कि ये शुल्क नागरिकों पर अनुचित बोझ डाल रहे हैं.
खड़गे ने एक्स पर लिखा, “कष्टदायक महंगाई + बेलगाम लूट = बीजेपी का वसूली मंत्र!”
शुक्रवार को, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को मुफ्त मासिक उपयोग के बाद एटीएम नकद निकासी पर शुल्क 2 रुपये बढ़ाकर 1 मई से प्रति लेनदेन 23 रुपये करने की अनुमति दी.
ग्राहकों को अपने बैंक के स्वचालित टेलर मशीनों (एटीएम) से हर महीने पांच मुफ्त लेनदेन (वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों) मिलते हैं.
इसके अलावा, वे अन्य बैंक एटीएम से तीन लेनदेन (मेट्रो केंद्रों में) और पांच लेनदेन (गैर-मेट्रो केंद्रों में) मुफ्त कर सकते हैं.
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