पटना: मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व ने उन्हें बताया कि पिछले आम चुनाव में उन्हें छह लाख से अधिक वोट अपनी योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि ‘ऊपर वाले लोग’ (पार्टी के शीर्ष नेतृत्व) के कारण मिले थे.
बिहार से दो बार के सांसद मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए, यह कदम उन्होंने “आत्मसम्मान” के कारण भाजपा छोड़ने के बाद उठाया.
बिहार कांग्रेस प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह और कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा सहित वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में निषाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए.
कांग्रेस में शामिल होने से पहले, निषाद ने अपना इस्तीफा भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा को सौंप दिया और सोशल मीडिया पर लिखा, “आदरणीय जे.पी.नड्डा जी, भाजपा द्वारा छल किए जाने से छुब्ध होकर, मैं पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं.”
Respected @JPNadda ji, shocked by the betrayal of @BJP4India, I resign from all posts and primary membership of the party.
आदरणीय @JPNadda जी, @BJP4India के द्वारा छल किये जाने से छुब्ध होकर मैं पार्टी के सभी पद के साथ प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा देता हूँ।@BJP4Bihar— Ajay Nishad (@NishadSri) April 2, 2024
निषाद ने दिप्रिंट से कहा कि बीजेपी खुद को धोखा दे रही है. उन्होंने कहा, “मैं मुजफ्फरपुर से लगातार दो बार सांसद रहा हूं. पिछले चुनाव में मैं बिहार में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले सांसदों में से एक था, लेकिन इस बार पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया जो दूसरी पार्टी से आया था और जिसे मैंने पिछले चुनाव में 4 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. पार्टी ने इस बार उन पर भरोसा जताया है.”
निषाद राज भूषण चौधरी का ज़िक्र कर रहे थे, जिन्हें भाजपा ने उनकी जगह मैदान में उतारा है. चौधरी 2019 में विकासशील इंसान पार्टी के उम्मीदवार थे और निषाद से चार लाख से अधिक वोटों से हार गए थे. 2014 में निषाद ने कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह को 2.22 लाख वोटों से हराया था.
निषाद ने कहा, “भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद मैंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय नेताओं से बात की. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर में पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे में मेरा फीडबैक अच्छा नहीं पाया गया, इसलिए टिकट नहीं दिया जा रहा है.”
“जब मैंने उन्हें बताया कि पिछले चुनाव में मुझे छह लाख से अधिक वोट मिले थे, तो उन्होंने कहा कि आपको जो वोट मिले थे, वो आपकी वजह से नहीं, बल्कि ‘ऊपर वाले लोगों’ की वजह से मिले थे. मेरे लिए स्वाभिमान ही सब कुछ है. फिर मैंने अपने समर्थकों से बात की, जिन्होंने सुझाव दिया कि मैं कांग्रेस में शामिल हो जाऊं और चुनाव लड़ूं. इसके बाद, मैंने कांग्रेस आलाकमान से संपर्क किया और पार्टी में शामिल होने के बारे में बताया.” उन्होंने आगे कहा, “उन पर भरोसा जताने के लिए वे कांग्रेस के आभारी हैं.”
उन्होंने कहा, “अब आगे का फैसला पार्टी आलाकमान लेगा. टिकट पर भी दो-तीन दिन में फैसला आ जाएगा. हम पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरेंगे. मुझे पूरा भरोसा है कि मुजफ्फरपुर की जनता मेरा साथ देगी.”
निषाद के कांग्रेस में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर बिहार भाजपा नेता और राज्य मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने फैसले को “आत्मघाती” बताया.
पासवान ने दिप्रिंट से कहा, “पार्टी में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं. यह समय की मांग है. पार्टी अजय निषाद जी को बड़ी जिम्मेदारी देना चाहती थी, लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं दिखाया. उन्हें पार्टी नेतृत्व पर भरोसा करना चाहिए था.”
उन्होंने कहा, “मैं खुद एक मजदूर था, लेकिन मैं पार्टी के काम के लिए समर्पित था. पार्टी ने मुझे टिकट दिया और चुनाव लड़वाया. मैं चार बार विधायक बना और मंत्री भी हूं. पार्टी पर भरोसा रखना बहुत ज़रूरी है.”
हालांकि, निषाद ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें उनके लिए भाजपा की योजनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा, “मैंने तुरंत इस्तीफा नहीं दिया. मैंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. फिर मैंने पार्टी छोड़ दी.”
जबकि निषाद ने 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर मुजफ्फरपुर सीट से चुनाव जीता था, उनके पिता जय नारायण प्रसाद निषाद चार बार सीट से सांसद रहे थे.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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