नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की मतदाता सूची के ‘विशेष सारांश पुनरीक्षण’ के तहत मतदाताओं को रजिस्टर्ड करने की कोशिश अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है, साथ ही चुनाव आयोग “देश का फॉर्म” अभियान के तहत नागरिकों तक अपनी पहुंच बढ़ा रहा है.
30 नवंबर से शुरू प्रिंट, टीवी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जोरों-शोरों से चल रहा ये अभियान “शहरी और युवा” आबादी पर केंद्रित है. इसका उद्देश्य मौजूदा और अस्थायी मतदाताओं का ध्यान मतदाता सूची में अपना नाम जांचने या जोड़ने के लिए आकर्षित करना है.
2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में चुनाव आयोग ने 27 अक्टूबर को मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू किया. दावे और आपत्तियां दाखिल करने की आखिरी तारीख इस साल 9 दिसंबर है. दावों और आपत्तियों के निस्तारण के बाद 5 जनवरी, 2024 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “देश का फॉर्म अभियान का उद्देश्य जिज्ञासा पैदा करना और जनता का ध्यान आकर्षित करना है, इन आवश्यक फॉर्मों (पंजीकरण और आपत्तियों के लिए) को एक अनूठा नाम देकर और उन्हें देश से जोड़कर उनके महत्व के बारे में जिज्ञासा जगाना है.”
अधिकारी ने कहा, “पिछले अभियानों के विपरीत, जहां संदेश विभिन्न (मतदान पंजीकरण और अद्यतन) फॉर्मों के बारे में प्रत्यक्ष और अत्यधिक जानकारीपूर्ण होते थे, चुनाव आयोग ने इस बार अप्रत्यक्ष और प्रभावशाली संचार दृष्टिकोण अपनाया है.”
चुनाव आयोग के एक अन्य अधिकारी के अनुसार, मंगलवार तक अभियान को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 34 मिलियन से अधिक इंप्रेशन और इसके हेल्पलाइन नंबर पर 25,000 से अधिक मिस्ड कॉल मिले थे.
अभियान के क्रम में चुनाव आयोग ने अधिकतम लोगों तक पहुंचने के लिए अभिनेता राजकुमार राव और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को “नेशनल आइकॉन” बनाया, जहां तेंदुलकर अखबारों के विज्ञापनों में नज़र आते रहे हैं, वहीं राव ने अपनी तरह के पहले टीवी विज्ञापनों में हिस्सा लिया है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “उनकी (राव की) सक्रिय भागीदारी, मुंबई में आठ घंटे से अधिक की शूटिंग के साथ, एक मील का पत्थर है, क्योंकि यह ईसी के लिए टीवी विज्ञापनों के निर्माण के लिए शूटिंग प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल होने वाले किसी सेलिब्रिटी का पहला उदाहरण है.” चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा कि कुमार अभियान के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “पहले, टीवी विज्ञापन केवल पहले से रिकॉर्ड किए गए सेलिब्रिटी समर्थन के साथ तैयार किए जाते थे. यह सेलिब्रिटी सहयोग अभियान में प्रामाणिकता और विश्वसनीयता जोड़ता है, जिससे यह दिलचस्प और प्रभावशाली बन जाता है.”
अभियान की पहुंच को अधिकतम करने के लिए रेडियो जॉकी और सोशल मीडिया पर वीडियो डालने वाले प्रभावशाली लोगों के साथ गठजोड़ करने के अलावा, चुनाव आयोग ने ध्यान आकर्षित करने के लिए मीम्स जैसी रचनात्मक सामग्री का भी उपयोग किया है.
उदाहरण के लिए, शनिवार को सोशल मीडिया पर प्रकाशित एनिमेटेड वीडियो में से एक में फिल्म शोले के लोकप्रिय पात्रों – डाकू गब्बर और उसके साथी सांबा को दिखाया गया है.
“कितने आदमी थे?” गब्बर पूछता है, जिस पर सांबा जवाब देता है: “एक भी नहीं”.
जब गब्बर पूछता है कि सभी लोग कहां गए हैं, तो सांबा कहता है: “देश का फॉर्म भरने के लिए”.
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने दावा किया कि यह अभियान पहले से अलग था क्योंकि इसमें मल्टीमीडिया शामिल है और यह हेल्पलाइन नंबर और क्यूआर कोड के साथ अधिक इंटरैक्टिव भी है. उन्होंने कहा कि मुंबई के डिजिटल क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भी अभियान को डिजाइन करने के लिए चुनाव निकाय के साथ सहयोग किया है.
जबकि चुनाव आयोग ने लोगों से मतदान प्रक्रिया में शामिल होने का आग्रह करने के लिए कई अभियान और पहल शुरू की हैं, लेकिन चुनावों के प्रति “शहरी और युवाओं” की उदासीनता एक बड़ी चिंता बनी हुई है.
हाल के पांच विधानसभा चुनावों में यह स्पष्ट हुआ है. उदाहरण के लिए, तेलंगाना में, जहां 71 प्रतिशत मतदान होने की खबर थी, हैदराबाद में लगभग 46 प्रतिशत मतदान हुआ.
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