हैदराबाद: जनवरी में तिरुपति में छह भक्तों की मौत, अप्रैल में सिम्हाचलम में सात और शनिवार को कसीबुग्गा में कम से कम नौ मौतें—आंध्र प्रदेश में इस साल मंदिरों में हुई इन तीन हादसों ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को विपक्ष YSRCP के हमलों के प्रति कमजोर बना दिया है, जिसने उनकी सरकार पर “पूरी तरह लापरवाही” का आरोप लगाया है.
जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली विपक्षी पार्टी नायडू सरकार को इन मौतों के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है और आरोप लगा रही है कि हिंदू धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था या तो नहीं होती या बेहद कम होती है, खासकर उन शुभ दिनों में जब लोकप्रिय मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है.
शनिवार को कार्तिका शुद्ध एकादशी के अवसर पर, जो विशेष रूप से वैष्णव मंदिरों में अत्यंत पावन मानी जाती है, श्रीकाकुलम जिले के कसीबुग्गा स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हजारों श्रद्धालु पहुंचे. यह मंदिर स्थानीय रूप से ‘चिन्ना तिरुपति’ (मिनी तिरुपति) के नाम से मशहूर है. इसे वेंकटेश्वर भक्त हरी मुकुंद पांडा, जो 90 के दशक में हैं, और उनके सहयोगियों द्वारा बनाया और संचालित किया जाता है. मंदिर का उद्घाटन इसी साल जून में हुआ था और तब से भक्तों की बड़ी संख्या यहां पहुंच रही है.
एकादशी पर भारी भीड़ उम्मीद से कहीं अधिक बढ़ गई. जिला अधिकारियों के अनुसार, मंदिर की सीढ़ियों के पास लगी एक स्टील की रेलिंग टूट गई और कई भक्त—ज्यादातर महिलाएँ—नीचे गिर पड़ीं. भीड़ में अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ में आठ महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई.
जनवरी में भी वैकुंठ एकादशी दर्शन टोकन लेने के लिए तिरुपति में कतारों में भारी भीड़ के कारण भगदड़ हुई थी, जिसमें छह भक्तों की जान गई. अप्रैल में, विशाखापत्तनम के पास सिम्हाचलम मंदिर में चंदनोत्सव के दौरान दर्शन के लिए इंतजार कर रहे भक्तों पर नई बनी दीवार गिर गई थी, जिसमें सात लोगों की मौत हुई थी, जिनमें तीन महिलाएं शामिल थीं.
जहाँ तिरुपति और सिम्हाचलम मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं, वहीं कसीबुग्गा का मंदिर निजी प्रबंधन के अधीन है. इस कारण नायडू ने जिम्मेदारी मंदिर समिति पर डाल दी, जबकि YSRCP नेताओं ने उनकी सरकार को लापरवाह बताते हुए उन पर हमला किया.
नायडू ने सत्य साई जिले में एक सरकारी कार्यक्रम में कहा, “हमारी सतर्क योजना और सावधानियों के कारण चक्रवात मोंथा में जनहानि कम हुई. लेकिन निजी लोगों द्वारा चलाए जा रहे एक मंदिर में नौ लोगों की मौत होना दुखद है. अगर पुलिस को पहले से बताया गया होता तो भीड़ को नियंत्रित करने का मौका होता.”
उन्होंने कहा कि प्रशासन दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा और उन्हें हिरासत में लिया जाएगा. गृह मंत्री अनीता वंगलापुडी ने जांच के आदेश दिए हैं, जबकि कृषि मंत्री के. अच्चनायडु—जो श्रीकाकुलम से आते हैं—को मृतकों के परिवारों के आक्रोश का सामना करना पड़ा.
दिप्रिंट से बातचीत में विशाखापत्तनम रेंज के उप महानिरीक्षक गोपीनाथ जट्टी ने बताया कि पांडा के खिलाफ लापरवाही से हुई मौतों से जुड़े मामलों के तहत FIR दर्ज की गई है.
उन्होंने कहा, “कोई पूर्व तैनाती नहीं की गई थी क्योंकि मंदिर आयोजकों ने पुलिस की आवश्यकता नहीं समझी. लेकिन हजारों लोग पहुंच गए. सड़क पर ट्रैफिक जाम की सूचना पर कुछ कांस्टेबल भेजे गए, लेकिन तब तक भगदड़ हो चुकी थी.”
हालांकि, YSRCP ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें पांडा रिपोर्टरों के सवालों के जवाब में कह रहे हैं कि कार्यक्रम से एक दिन पहले पुलिस को भी सूचना दे दी गई थी.
‘भक्त मंदिरों में आशीर्वाद के लिए जाते हैं, मृत्यु के लिए नहीं’
YSRCP ने TDP सरकार पर सार्वजनिक जीवन की सुरक्षा में असफल रहने का आरोप लगाया है.
पूर्व एन्डोमेंट्स मंत्री वेल्लमपल्ली श्रीनिवास ने कसीबुग्गा हादसे को “गठबंधन सरकार की पूरी नाकामी” बताया और नौ निर्दोष भक्तों की मौत के लिए नायडू व उनकी सरकार को “पूरी तरह जिम्मेदार” ठहराया.
उन्होंने मीडिया से कहा, “राज्य प्रशासन बेशर्म होकर यह कहकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है कि मंदिर निजी है. क्या सिर्फ इसलिए नागरिकों की सुरक्षा का दायित्व खत्म हो जाता है कि मंदिर प्राइवेट है? क्या सरकार सिर्फ इसलिए भक्तों को छोड़ देगी कि मंदिर उसके अधीन नहीं है?”
वेल्लमपल्ली ने नायडू और अन्य मंत्रियों के बयानों को बेहद गैर-जिम्मेदाराना और असंवेदनशील कहा. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2015 में राजामुंद्री में गोदावरी पुष्करम की भगदड़ में 29 भक्तों की मौत हुई थी, जो TDP शासनकाल में हुई थी और जिसका कारण “चंद्रबाबू की पब्लिसिटी की दीवानगी” बताया गया था.
उन्होंने कहा, “भक्त मंदिरों में आशीर्वाद लेने जाते हैं, मौत के लिए नहीं. ये सरकार की लापरवाही से हुई राज्य-प्रायोजित मौतें हैं. अगर लोग दर्शन के बाद सुरक्षित घर नहीं लौट सकते, तो हम इस शासन के बारे में क्या कहें?”
YSRCP ने मृतकों के परिवारों को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है. पूर्व मुख्यमंत्री जगन ने भी कहा कि आंध्र प्रदेश में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जैसे तिरुपति और सिम्हाचलम की त्रासदियां.
जगन ने बयान में कहा, “लगातार हो रहे हादसों के बावजूद सरकार ने उचित सावधानियां नहीं बरतीं और पूरी लापरवाही से काम किया. निर्दोष लोगों की बार-बार मौतें चंद्रबाबू की प्रशासनिक नाकामी को दिखाती हैं.” उन्होंने सरकार से अपील की कि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कड़े सुधारात्मक कदम उठाए जाएं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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