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Saturday, 14 December, 2024
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कल्याण से दादर तक: महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद कैसे उद्धव सेना ने हिंदुत्व पर ज़ोर बढ़ाया

विशेषज्ञों का कहना है कि मुंबई निकाय चुनाव अगली बड़ी परीक्षा होने की संभावना है, इसलिए शिवसेना (यूबीटी) 'मुस्लिम लीग' का टैग हटाना चाहती है. लेकिन पार्टी का कहना है कि हिंदुत्व हमेशा से उसकी विचारधारा का हिस्सा रहा है.

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मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) अपने हिंदुत्व एजेंडे को मजबूत कर रही है.

पिछले दो हफ्तों में, ठाकरे गुट के नेताओं ने मंदिरों को बचाने की बात की, बाबरी मस्जिद के ध्वंस पर विवाद उठाया और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में विवाद खड़ा किया, साथ ही बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति को लेकर बीजेपी पर हमला किया. अब पार्टी ने कल्याण के दुर्गाड़ी किले पर स्थानीय अदालत के फैसले का स्वागत किया है, जहां एक हिंदू मंदिर और एक मस्जिद हैं.

कल्याण का दुर्गाड़ी किला हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच कई दशकों से विवाद का कारण रहा है. 1967 में, शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने किले पर भगवा ध्वज फहराया था. जब शिव सेना 1966 में बनी, तो पार्टी ने स्थानीयता पर ध्यान देना शुरू किया, और बाल ठाकरे का किले पर यह विरोध हिंदुत्व को मजबूती देने वाली पहली बड़ी कार्रवाई थी.

मंगलवार को, कल्याण की एक अदालत ने लगभग 50 साल पुराने इस कानूनी विवाद का समाधान करते हुए दुर्गाड़ी किले के अंदर स्थित मस्जिद के मालिकाना हक का दावा करने वाले मुस्लिम ट्रस्ट का मुकदमा खारिज कर दिया और महाराष्ट्र सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया.

दो दिन बाद, शिव सेना (यूबीटी) ने X पर एक पोस्ट में अपने संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि किले का मालिकाना हक राज्य सरकार के पास रहे. पोस्ट में लिखा गया, “यह कल्याण अदालत का ऐतिहासिक निर्णय है. यह उस आंदोलन की सफलता है जिसे हिंदूहृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे ने शुरू किया था.”

 

राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई के अनुसार, विधानसभा चुनावों में बुरी हार के बाद पार्टी अब यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि उसे मुसलमानों का समर्थन नहीं है.

उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी ने शिव सेना (यूबीटी) को मुसलमानों की पार्टी के रूप में दिखाया था, यह कहते हुए कि पार्टी मुसलमानों के वोटों की वजह से ही सीटें जीत पाई थी. विधानसभा चुनावों में इस कारण पार्टी को नुकसान हुआ. अब जब मुंबई नगर निगम चुनाव जल्द हो सकते हैं, पार्टी जानती है कि वह ‘मुस्लिम लीग’ की छवि के साथ चुनाव नहीं लड़ सकती। ये चुनाव पार्टी के लिए बहुत अहम हैं.” 

दुर्गाड़ी किले के मुद्दे पर, देसाई ने कहा कि शिव सेना (UBT) एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना से मुकाबला कर रही है, जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद न्याय दिलाने का वादा किया था.

ठाकरे की शिव सेना ने महाराष्ट्र विधानसभा के 288 सीटों में से सिर्फ 20 सीटें जीतीं, जबकि शिंदे की शिव सेना ने 57 सीटें जीतीं। 2019 में, एकजुट शिव सेना ने 56 सीटें जीती थीं.

पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अरविंद नेरकर ने हालांकि कहा कि शिव सेना (UBT) हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को किसी राजनीतिक योजना के तहत नहीं उठा रही है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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