नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान और उनके सहयोगियों के खिलाफ दर्ज ताजा एफआईआर में दिल्ली पुलिस कर्मियों पर हमला करने, उन्हें धमकाने और जामिया नगर इलाके से एक घोषित अपराधी की कोर्ट-आदेशित गिरफ्तारी में बाधा डालने के आरोप लगाए गए हैं.
सोमवार को साउथ ईस्ट जिला पुलिस ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट की शिकायत के आधार पर अमानतुल्लाह और उनके तीन सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. अब साउथ ईस्ट जिला पुलिस, क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल सहित कई टीमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तलाशी अभियान चला रही हैं ताकि अमानतुल्लाह को गिरफ्तार किया जा सके.
हालांकि, अमानतुल्लाह के चचेरे भाई मीनातुल्लाह खान ने दावा किया कि विधायक ने दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह छिप नहीं रहे हैं और पुलिस उन्हें झूठे मामले में फंसा रही है. दिप्रिंट ने इस पत्र की प्रति नहीं देखी है.
अमानतुल्लाह ने हाल ही में संपन्न राज्य चुनाव में ओखला विधानसभा सीट पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की, हालांकि उनकी पार्टी दिल्ली में बीजेपी से हार गई.
पिछले वर्षों में अमानतुल्लाह खान के खिलाफ 18 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी गिरफ्तार किया था.
दिप्रिंट उनकी मौजूदा और पुरानी विवादों की पड़ताल करता है.
‘तुम नहीं जानते मैं कौन हूं’
सोमवार दोपहर 3 बजे, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक सब-इंस्पेक्टर के नेतृत्व वाली टीम को सूचना मिली कि 2018 के हत्या के प्रयास मामले में आरोपी शावेज़ खान जामिया नगर थाना क्षेत्र की अल तक़वा मस्जिद के पास मौजूद है. शावेज़ को स्थानीय अदालत द्वारा घोषित अपराधी करार दिया गया था.
हालांकि, पुलिस द्वारा शावेज़ को पकड़ने के तुरंत बाद, अमानतुल्लाह खान अपने 20-25 समर्थकों के साथ वहां पहुंच गए और पुलिस से उनकी मौजूदगी का कारण पूछने लगे, यह शिकायत सब-इंस्पेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज कराई.
जामिया नगर थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी दिप्रिंट ने देखी है. इसमें अमानतुल्लाह खान और उनके सहयोगी लड्डन, मुनीर और फर्मान के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 221, 121(1), 132 (लोक सेवकों के काम में बाधा डालना, उन्हें चोट पहुंचाना और हमला करना), 191(2) (दंगा), 190 (गैरकानूनी सभा), 263(b) (कानूनी गिरफ्तारी में बाधा डालना), 351(3) (आपराधिक धमकी) और 111 (संगठित अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सब-इंस्पेक्टर ने अपनी शिकायत में कहा कि जब पुलिस ने अपनी पहचान दिखाई, तो अमानतुल्लाह ने उसे नकारते हुए कहा, “हम ऐसी पुलिस और अदालत को कुछ नहीं समझते.”
शिकायत के मुताबिक, अमानतुल्लाह और उनके साथियों ने पुलिसकर्मियों को धमकाया और कहा, “यह इलाका हमारा है, तुम लोग यहां से चुपचाप निकल जाओ वरना जिंदा निकलना मुश्किल हो जाएगा और हमारा एक आदमी मारा जाएगा.”
एसआई ने आगे लिखा कि अमानतुल्लाह ने धमकी दी, “इतने लोग इकट्ठा हो जाएंगे कि किसी को पता नहीं चलेगा कि तुम लोग कहां गए. तुम्हारे पुलिस और कोर्ट के कागज़ यहीं पड़े रह जाएंगे. तुम्हें पता नहीं मैं कौन हूं, तुम्हारी वर्दी उतरवा दूंगा. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरे खिलाफ एक और केस दर्ज हो जाए. मैं तुम्हें खत्म कर दूंगा और कोई गवाह भी नहीं मिलेगा। और अगर मिला तो मैं खुद उसका इंतज़ाम कर लूंगा.”
शिकायत में यह भी कहा गया कि “अमानतुल्लाह और उनके साथियों ने पुलिस से धक्का-मुक्की की, शावेज़ को छुड़ाकर भगा दिया और जाते समय हेड कांस्टेबल रोशन का आई-कार्ड भी फेंक दिया.”
सब-इंस्पेक्टर ने अमानतुल्लाह और उनके सहयोगियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि आरोपियों ने पुलिस के काम में बाधा डाली, जिससे एक वांछित अपराधी फरार हो गया.
दूसरी ओर, अमानतुल्लाह के चचेरे भाई मीनातुल्लाह खान ने दावा किया कि शावेज़ जांच में सहयोग कर रहा था और क्राइम ब्रांच की टीम को स्थानीय पुलिस के साथ आना चाहिए था.
पुलिस के साथ यह पहली मुठभेड़ नहीं
एक विधायक के रूप में, अमानतुल्लाह का पहली बार दिल्ली पुलिस से सामना 2018 में हुआ, जब राज्य में अभी भी आप की सरकार थी. उन्हें दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
फरवरी 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया, जब प्रकाश ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के विधायक, जिनमें अमानतुल्लाह भी शामिल थे, ने एक देर रात बैठक के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर उनकी पिटाई की.
दिल्ली पुलिस ने निचली अदालत में दायर अपनी चार्जशीट में केजरीवाल, उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया और 11 आप विधायकों के नाम शामिल किए. ये विधायक थे अमानतुल्लाह खान, प्रकाश जरवाल, नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, प्रवीण कुमार और दिनेश मोहनिया.
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया, सिवाय अमानतुल्लाह और जरवाल के.
बाद में, मई 2022 में, दक्षिण-पूर्वी जिला पुलिस ने अमानतुल्लाह को पांच अन्य लोगों के साथ दंगे और सार्वजनिक सेवकों के कार्य में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया. यह घटना तब हुई जब पूर्ववर्ती दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे एक अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान झड़प हुई. इस दौरान अमानतुल्लाह और उनके समर्थकों के साथ पुलिस की झड़प हो गई.
कुछ महीनों बाद, 2023 में निचली अदालत ने सबूतों की कमी के आधार पर उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया.
फिर, सितंबर 2023 में, दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच ने अमानतुल्लाह के सहयोगियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया. यह मामला दिल्ली वक्फ बोर्ड में भर्ती में अनियमितताओं और वक्फ फंड के दुरुपयोग की जांच के तहत उनके आवास पर छापे के दौरान अधिकारियों के काम में बाधा डालने के आरोपों से संबंधित था.
मई 2024 में, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अमानतुल्लाह खान और उनके बेटे के खिलाफ एक पेट्रोल पंप कर्मचारी के साथ मारपीट के आरोप में मामला दर्ज किया. कथित तौर पर, पेट्रोल पंप कर्मचारी ने एमएलए को सेवा देने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्होंने कतार तोड़ दी थी.
सितंबर 2024 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अमानतुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया और दिल्ली वक्फ बोर्ड के फंड के दुरुपयोग के आरोप में उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की.
अदालत ने नवंबर 2024 में ईडी मामले में अमानतुल्लाह को जमानत दे दी, और तब से वह जेल से बाहर हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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