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Sunday, 22 December, 2024
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पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने राजनीति को कहा ‘अलविदा’, सांसद के पद से भी देंगे इस्तीफा

सुप्रियो ने संकेत दिया कि यह निर्णय आंशिक रूप से उन्होंने मंत्री पद जाने और भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के नेतृत्व के साथ मतभेदों के कारण लिया है.

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कोलकाता : पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को कहा कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया है और संसद सदस्य के पद से भी इस्तीफा देंगे.

सुप्रियो ने संकेत दिया कि यह निर्णय आंशिक रूप से उन्होंने मंत्री पद जाने और भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के नेतृत्व के साथ मतभेदों के कारण लिया है.

सुप्रियो, जिन्होंने 2014 से नरेंद्र मोदी सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में कई विभागों को संभाला था, को इस महीने की शुरुआत में एक बड़े मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान हटा दिया गया था.

सुप्रियो ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘जा रहा हूं अलविदा. अपने माता-पिता, पत्नी, दोस्तों से बात की और उनकी सलाह सुनने के बाद मैं कह रहा हूं कि मैं जा रहा हूं. मैं किसी अन्य पार्टी में नहीं जा रहा हूं – तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, माकपा, कहीं नहीं. मैं पुष्टि कर रहा हूं कि किसी ने मुझे फोन नहीं किया है.’ उन्होंने लिखा, ‘मैं कहीं नहीं जा रहा हूं. मैं एक टीम का खिलाड़ी हूं! हमेशा एक टीम मोहन बागान का समर्थन किया है – केवल एक पार्टी के साथ रहा हूं – भाजपा पश्चिम बंगाल. बस !! जा रहा हूं.’

उन्होंने लिखा, ‘मैं बहुत लंबे समय तक रहा हूं … मैंने किसी की मदद की है, किसी को निराश किया है, यह लोगों को तय करना है। सामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए, आप किसी भी राजनीति में शामिल हुए भी बिना ऐसा कर सकते हैं.’

आसनसोल से दो बार के सांसद सुप्रियो उन कई मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें सात जुलाई को एक बड़े फेरबदल के तहत केंद्रीय मंत्रिपरिषद् से हटा दिया गया था. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के अरूप बिस्वास के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

सुप्रियो और देबाश्री चौधरी दोनों को मंत्री पद से हटा दिया गया था। पश्चिम बंगाल के चार अन्य सांसदों- निशित प्रमाणिक, शांतनु ठाकुर, सुभाष सरकार और जॉन बारला को मंत्रिपरिषद् में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया.

उन्होंने लिखा, ‘अगर कोई यह पूछे कि क्या राजनीति छोड़ना किसी तरह से मंत्रालय खोने से जुड़ा है. हां, तो यह कुछ हद तक सही है. विधानसभा चुनाव प्रचार के बाद से राज्य नेतृत्व के साथ भी मतभेद थे.’

पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.

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