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Monday, 28 October, 2024
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पूर्व पत्रकार, दो बार पार्षद और तमिल सिख महिला, प्रियंका गांधी की प्रतिद्वंद्वी को है वायनाड जीतने की उम्मीद

प्रियंका अपने भाई राहुल के इस सीट से हटने के बाद चुनावी मैदान में हैं. एलडीएफ और भाजपा दोनों ही गांधी परिवार के वंशज की अनुपस्थिति और लंबे समय से लंबित स्थानीय मुद्दों को उजागर कर रहे हैं जो अनसुलझे हैं.

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चेन्नई: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की पूर्व विधायक, दो बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पार्षद और सामाजिक सुधार लाने की आकांक्षा रखने वाली एक तमिल सिख महिला, 13 नवंबर को वायनाड लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस की प्रियंका गांधी के चुनावी अभियान की शुरुआत के खिलाफ हैं.

अपने भाई राहुल गांधी द्वारा केरल में यह सीट खाली करने के बाद प्रियंका चुनावी मैदान में उतर रही हैं. 2019 में संसद में वायनाड का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल इस साल 3,64,422 वोटों के अंतर से फिर से चुने गए. हालांकि, वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली दोनों सीटों पर जीत हासिल करने के बाद राहुल ने केरल की सीट खाली करने का फैसला किया.

कांग्रेस के स्थानीय नेता समशाद मरक्कर, जो वायनाड जिला पंचायत के अध्यक्ष भी हैं, ने दिप्रिंट से कहा, “हमें प्रियंका गांधी के लिए 5 लाख से अधिक की बढ़त की उम्मीद है. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पहले ही सभी बूथों पर अभियान चला लिया है और हमें हर घर से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं.”

हालांकि, वायनाड का परिणाम कमोबेश स्पष्ट है, एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र जिसने 2009 में अपने गठन के बाद से केवल यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को वोट दिया है, लेकिन प्रतिद्वंद्वी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अभियान पूरे जोरों पर हैं, दोनों पक्ष राहुल की अनुपस्थिति और लंबे समय से लंबित स्थानीय मुद्दों को उजागर कर रहे हैं, जिसमें एक मेडिकल कॉलेज की ज़रूरत भी शामिल है, जो अभी तक अनसुलझे हैं.

वायनाड संसदीय क्षेत्र में कोझिकोड के थिरुवंबाडी के अलावा वायनाड (मनंतवडी, सुल्तान बाथरी और कलपेट्टा) और मलप्पुरम (एरनाड, नीलांबुर, वंडूर) की तीन विधानसभा सीटें शामिल हैं.

सीपीआई के वरिष्ठ नेता और एलडीएफ उम्मीदवार सत्यन मोकेरी ने दिप्रिंट से कहा, “इस बार वायनाड के लोग अलग तरह से सोचेंगे. राहुल ने वायनाड की समस्याओं को दूर करने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया और अब रायबरेली जीतते ही उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र को धोखा दे दिया. मतदाता इस बात से वाकिफ हैं.”

पूर्व पत्रकार सत्यन ने 1987 से 2001 तक केरल विधानसभा में कोझिकोड के नादापुरम का प्रतिनिधित्व किया. लोगों के बीच एक जाना-पहचाना चेहरा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता ने 2014 में वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन यूडीएफ के एम.आई.शानवास से हार गए थे.

वायनाड भाजपा अध्यक्ष प्रशांत मालवयाल ने दिप्रिंट से कहा, “यह निर्वाचन क्षेत्र एक दशक से अधिक समय से कांग्रेस के पास है. शानवास ने कुछ नहीं किया और राहुल के आने के बाद, उन्होंने भी कुछ नहीं किया. उनके नाम पर यहां केवल कुछ हाई मास्ट लाइटें हैं. उन्होंने मानव-पशु संघर्ष या मेडिकल कॉलेज की लंबे समय से लंबित मांग जैसे बुनियादी मुद्दों को भी हल नहीं किया है.”

प्रशांत ने कहा कि पार्टी अपने डोर-टू-डोर अभियानों में इन मुद्दों को उजागर कर रही है.

इस साल की शुरुआत में राहुल के खिलाफ अपने राज्य प्रमुख के.सुरेंद्रन को मैदान में उतारने के बाद, भाजपा ने प्रियंका के खिलाफ अपने उम्मीदवार के रूप में नव्या हरिदास को चुना है. 39-वर्षीय नव्या एक पूर्व आईटी पेशेवर होने के साथ-साथ भाजपा की महिला शाखा की महासचिव भी हैं. कोझिकोड नगर निगम की पार्षद नव्या 2015 में पहली बार चुनी गईं और 2020 में अपनी सीट बरकरार रखी.

मालवयाल ने कहा, “कोई अपरिचित चेहरा नहीं हैं. वे कोझिकोड में दो बार पार्षद रह चुकी हैं, जहां भाजपा की कोई मौजूदगी नहीं है. वे पढ़ी-लिखी हैं और राजनीति करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी. कम समय में ही वायनाड को समझने और संबोधित करने में सक्षम हैं.”

इस बीच, नव्या ने कहा कि प्रियंका के पास अपने परिवार की विरासत है, लेकिन ज़मीन पर लोगों के साथ काम करने का कोई अनुभव नहीं है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मैं लोगों के साथ काम करती हूं और इसी वजह से दूसरी बार स्थानीय निकाय चुनाव जीतने में सफल रही. मुझे नहीं लगता कि हम प्रियंका को नेता कह सकते हैं. वायनाड में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है.”

पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों में से, इस बार वायनाड में बहुजन द्रविड़ पार्टी (बीडीपी) की मौजूदगी है, जिसका उद्देश्य जातिवाद को जड़ से उखाड़ना और सिख धर्म के माध्यम से सामाजिक न्याय लाना है.

बीडीपी के संस्थापक जीवन सिंह ने इस साल के आम चुनावों में तमिलनाडु में सात उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जो पहले अलग-अलग धर्मों के अनुयायी थे, जिन्होंने सिख धर्म अपना लिया था.

बीडीपी उम्मीदवार ए. सीता ने कहा कि पार्टी सिख धर्म के माध्यम से उत्पीड़ित समुदायों के उत्थान और सामाजिक सुधार के लिए काम कर रही है. तमिलनाडु के तिरुनेलवेली की मूल निवासी और चेन्नई में बसी सीता ने दिप्रिंट को बताया, “मुझे वायनाड से चुनाव लड़ने का मौका मिला. जब उत्तर से कोई यहां शासन करने आ रहा है, तो मैं, दक्षिण में जन्मी द्रविड़ियन, यहां शासन करना चाहती हूं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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