scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमराजनीतिपूर्व जेलर जिनके कार्यकाल में राम रहीम को मिली 6 बार रिहाई, सुनील सांगवान हुए भाजपा में शामिल

पूर्व जेलर जिनके कार्यकाल में राम रहीम को मिली 6 बार रिहाई, सुनील सांगवान हुए भाजपा में शामिल

उनके चरखी दादरी सीट से हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना है. हालांकि, भाजपा की 2019 की उम्मीदवार बबीता फोगाट ने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया है. उनके वीआरएस आवेदन को शीघ्र स्वीकृति मिलने के बाद उन्हें भाजपा में शामिल किया गया.

Text Size:

गुरुग्राम: सुनील सांगवान, जिनके सुनारिया जेल अधीक्षक के कार्यकाल के दौरान बलात्कार और हत्या के दोषी गुरमीत राम रहीम को छह बार पैरोल या फरलो पर रिहा किया गया है, ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया है. उनके 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में चरखी दादरी से चुनाव लड़ने की संभावना है.

वे पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे हैं, जिन्होंने दो महीने पहले कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में चले गए.

सोमवार को उन्हें भाजपा में शामिल कराने की इतनी जल्दी थी कि हरियाणा सरकार ने रविवार को गुरुग्राम जिला जेल के अधीक्षक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए उनके आवेदन को स्वीकार करने की प्रक्रिया में तेज़ी ला दी.

जेल महानिदेशक (डीजी) ने रविवार को राज्य के सभी जेल अधीक्षकों को एक ईमेल भेजा, जिसमें उन्हें उसी दिन ‘नो-ड्यूज़’ सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया गया. डीजी के पत्र में कहा गया, “सुनील सांगवान, अधीक्षक जेल, जिला जेल, गुरुग्राम ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए अनुरोध किया है. इसलिए अनुरोध है कि श्री सुनील सांगवान, अधीक्षक जेल, गुरुग्राम के पक्ष में नो-ड्यू प्रमाण पत्र शाम 4 बजे तक भेज दिया जाए.” “शाम 4 बजे” के बाद, “आज शाम से पहले निश्चित रूप से” शब्द पेन से लिखे गए थे.

The viral letter
वायरल पत्र

भाजपा ने 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में चरखी दादरी से पहलवान बबीता फोगाट को मैदान में उतारा था. हालांकि, वे 24,786 वोट (19.59 प्रतिशत वोट शेयर) पाकर तीसरे स्थान पर रहीं, उनके बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उम्मीदवार सतपाल सांगवान रहे, जिन्होंने 29,577 वोट (23.38 प्रतिशत वोट शेयर) हासिल किए.

बबीता फोगाट ने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है.

विधानसभा क्षेत्र #चरखी_दादरी के विभिन्न गांवों में अपने सभी वरिष्ठ जनों,माताओं/बहनों का कुशल क्षेम जाना और सभी का स्नेहपूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया।

📍#चरखी_दादरी pic.twitter.com/br1X3M0fsU


यह भी पढ़ें: कुश्ती या राजनीति? विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया की राहुल गांधी से मुलाकात, हरियाणा चुनाव लड़ने की संभावना


सुनील ने सुनारिया जेल में बिताए पांच साल

सुनील के दो बच्चे हैं — एक बेटी और एक बेटा और दोनों ही सेना में कैप्टन हैं.

Sunil Sangwan with his wife and children | Special arrangement
सुनील सांगवान अपनी पत्नी और बच्चों के साथ | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

सांगवान 22 साल से ज़्यादा समय से सरकारी सेवा में थे. वे 2002 में हरियाणा जेल विभाग में शामिल हुए. उन्होंने कई जेलों के अधीक्षक के तौर पर काम किया है, जिनमें रोहतक की सुनारिया जेल भी शामिल है, जहां उन्होंने पांच साल तक सेवा की. यह वही जेल थी जहां डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम सिंह अपनी दो महिला शिष्याओं के साथ बलात्कार और पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के लिए सज़ा काट रहा था.

फिलहाल 21 दिनों की फरलो पर जेल से बाहर राम रहीम सिंह अपनी बार-बार मिलने वाली पैरोल और फरलो के लिए चर्चा में है.

जिन 10 मौकों पर राम रहीम सिंह को पैरोल या फरलो मिली, उनमें से छह तब मिली जब सांगवान उस जेल के अधीक्षक थे जहां डेरा प्रमुख को हिरासत में रखा गया था.

राम रहीम सिंह की रिहाई में 24 अक्टूबर 2000 को एक दिन की आपातकालीन पैरोल, 21 मई 2021 को एक दिन की आपातकालीन पैरोल, 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले 7 से 28 फरवरी तक 21 दिन की फरलो, 2022 के हरियाणा नगर निगम चुनावों से पहले 17 जून से 16 जुलाई तक 30 दिन की पैरोल, 2022 के आदमपुर विधानसभा उपचुनाव से पहले 15 अक्टूबर से 25 नवंबर तक 40 दिन की पैरोल और अयोध्या राम मंदिर अभिषेक समारोह से पहले 21 जनवरी से 3 मार्च 2023 तक 40 दिन की पैरोल शामिल है.

हरियाणा अच्छे आचरण वाले कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 जेल अधीक्षक को जिला मजिस्ट्रेट को पैरोल या फरलो के लिए कैदियों के मामलों की सिफारिश करने का अधिकार देता है, लेकिन रिहाई का आदेश केवल सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया जाता है, जो कैदी की सज़ा के आधार पर उपायुक्त या मंडल आयुक्त हो सकता है.

सतपाल ने बदलीं कई पार्टियां

सतपाल सांगवान ने 1996 में राजनीति में आने से पहले दूरसंचार विभाग में उप-मंडल अधिकारी (एसडीओ) के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने बंसीलाल (आधुनिक हरियाणा के निर्माता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री) की हरियाणा विकास पार्टी (एचवीपी) के उम्मीदवार बनकर चरखी दादरी सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

सतपाल पूर्व बंसीलाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे और उनके करीबी भी थे. बंसीलाल का परिवार अब भाजपा के साथ है और उनकी राजनीतिक विरासत को किरण चौधरी आगे बढ़ा रही हैं, जो राज्यसभा में भाजपा की सदस्य हैं.

सतपाल पहली बार 1996 में एचवीपी के टिकट पर चरखी दादरी से विधायक बने और बाद में कई विधानसभा चुनाव लड़े.

Sunil with his father Satpal | Special arrangement
सुनील अपने पिता सतपाल के साथ | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

2009 में उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने. इसके बाद वे भूपेंद्र हुड्डा सरकार (2009 से 2014) में सहकारिता मंत्री बने. 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के टिकट पर हार का सामना करना पड़ा.

2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया तो वे जेजेपी में शामिल हो गए और विधानसभा चुनाव लड़े. उस चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार सोमबीर सांगवान से हार गए और दूसरे नंबर पर रहे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘हरियाणा के लोग दिल्ली से अच्छे’ — गोमांस खाने के शक में राज्य में मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या


 

share & View comments