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Thursday, 4 September, 2025
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पांच दशकों में पहली बार पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में ABVP ने जीती टॉप पोस्ट

यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज़ के रिसर्च स्कॉलर गौरव वीर सोहल ने अपने सबसे नज़दीकी प्रतिद्वंद्वी को आसानी से हराकर पहली बार एबीवीपी के लिए अध्यक्ष का पद जीता.

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चंडीगढ़: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने पांच दशकों में पहली बार पंजाब यूनिवर्सिटी की कैंपस स्टूडेंट्स काउंसिल (पीयूसीएससी) में अध्यक्ष पद जीत लिया.

एबीवीपी के गौरव वीर सोहल, जो यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज़ (यूआईएलएस) के शोध छात्र हैं, उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी स्टूडेंट्स फ्रंट के सुमित शर्मा को 500 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर आसानी से जीत दर्ज की.

हालांकि, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पदों पर गठबंधन के तीनों उम्मीदवार चुनाव हार गए.

कांग्रेस की छात्र इकाई, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) का अध्यक्ष पद का उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा. पिछले साल एनएसयूआई ने उपाध्यक्ष का पद जीता था.

पिछले साल एबीवीपी का अध्यक्ष पद का उम्मीदवार तीसरे स्थान पर था. 2023 में एबीवीपी के जसविंदर राणा ने संयुक्त सचिव पद जीता था. यह पहली बार है कि आरएसएस और भाजपा समर्थित इस छात्र संगठन ने पीयू कैंपस चुनावों में अध्यक्ष पद जीता है, जब से 1977 में यूनिवर्सिटी में प्रत्यक्ष मतदान की प्रणाली शुरू हुई थी. इससे पहले, छात्र परिषद का चुनाव विभागीय प्रतिनिधियों के बीच से होता था.

इसी बीच, आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (एएसएएपी) ने अध्यक्ष और महासचिव पद पर दो उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन दोनों ही चुनाव हार गए.

साल 2022 में, जब इसे छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) कहा जाता था, तब इसके उम्मीदवार आयुष खातकर ने अध्यक्ष पद जीतकर इतिहास रच दिया था. पिछले साल इसके उम्मीदवार प्रिंस चौधरी दूसरे स्थान पर रहे. इस बार चुनाव में एएसएपी ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (यूएसओ), हिमाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (एचपीएसयू) और पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (पीयूएसयू) के साथ गठबंधन किया था.

बुधवार को मतदान हुआ. यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूआईईटी) में सबसे ज्यादा 2,535 मतदाता हैं. इसके बाद यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज़ (यूआईएलएस) के 1,921 मतदाता और लॉ डिपार्टमेंट के 1,094 मतदाता हैं.

भाजपा ने जीत का किया स्वागत

गौरव को कुल 3,148 वोट मिले, जबकि सुमित को 2,660 वोट हासिल हुए. सुमित, जो भूगोल विभाग के छात्र हैं, एनएसयूआई से टिकट मांग रहे थे, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने अलग होकर स्टूडेंट्स फ्रंट से चुनाव लड़ा. पिछले साल भी अनुराग दलाल ने इसी तरह एनएसयूआई छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और अध्यक्ष पद जीत लिया था.

एबीवीपी ने इस बार चुनाव इंडियन नेशनल स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (आईएनएसओ) और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के साथ गठबंधन में लड़ा. वहीं, स्टूडेंट्स फ्रंट ने एबीवीपी फ्रंट (जो एबीवीपी से अलग हुआ धड़ा है), हिमाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (HIMSU), पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (PUSU) और स्टूडेंट्स ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी (SOPU) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा.

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इस जीत का स्वागत किया. नतीजे मीडिया में बड़े पैमाने पर साझा किए गए.

भाजपा के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने दिप्रिंट से कहा कि यह आने वाले समय के लिए एक बहुत बड़ा संकेत है. उन्होंने कहा, “पंजाब विधानसभा चुनावों में भाजपा बेहद अच्छा प्रदर्शन करेगी.”

उत्तरी राज्य पंजाब में 2027 की पहली छमाही में चुनाव होने हैं.

एनएसयूआई ने अपने अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के तौर पर तीसरे वर्ष के कानून के छात्र प्रभजोत सिंह गिल को मैदान में उतारा था. गिल को 1,359 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. एएसएपी के मनकीरत मान चौथे नंबर पर रहे, जिन्हें 1,184 वोट मिले. वहीं, एसओपीयू की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार अर्दास कौर को 300 से कुछ ज्यादा वोट ही मिल पाए.

इस बार अध्यक्ष पद के लिए कुल आठ उम्मीदवार मैदान में थे, जिसकी वजह से यह सीट सबसे ज्यादा कड़ी टक्कर वाली रही.

साथ का एकमात्र उम्मीदवार जीता

यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज़ के छात्र अशमीत सिंह उपाध्यक्ष पद पर चुने गए. वह छात्र संगठन ‘साथ’ से ताल्लुक रखते हैं, जो पहले एक चर्चा समूह था और बाद में छात्र संघ में बदल गया. यह संगठन मानवाधिकार कार्यकर्ता जस्वंत सिंह खालड़ा से प्रेरणा लेता है. 2023 में इसी ग्रुप की रणमीकजोत कौर ने उपाध्यक्ष का पद जीता था.

अशमीत ने एबीवीपी फ्रंट के मज़बूत उम्मीदवार नवीन कुमार को 650 वोटों से हराया. अशमीत को 3,478 वोट मिले, जबकि नवीन को 2,828 वोट मिले. एचएसआरए (जो एबीवीपी और आईएनएसओ के साथ गठबंधन में था) के नवदीप सिंह मील को 2,000 से कुछ ज्यादा वोट मिले.

एसओपीयू (स्टूडेंट्स ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी) के जशन जवांधा गुट से जुड़े अभिषेक डागर महासचिव चुने गए. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी विशेष आनंद दाखा (आईएनएसओ) को 722 वोटों से हराया. एएसएपी की कोमलप्रीत कौर को 1,735 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहीं.

एनएसयूआई समर्थन से निर्दलीय जीता

निर्दलीय उम्मीदवार मोहित मंडेराना सह-सचिव चुने गए. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आर्यन वर्मा उर्फ युवी को 300 से कुछ ज्यादा वोटों से हराया. पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के शोधार्थी मोहित को चुनाव प्रचार में एनएसयूआई का समर्थन मिला था. उन्हें कुल 3,138 वोट मिले.

वर्मा एचपीएसयू और पीयूएसयू (जो एएसएपी के साथ गठबंधन में था) के संयुक्त उम्मीदवार थे, उन्हें 2,820 वोट मिले. पीयूएसयू के ही एक अलग गुट से जुड़े सिद्धार्थ बूरा छात्र फ्रंट और उसके सहयोगियों के संयुक्त उम्मीदवार थे और 2,074 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. एचएसआरए (एबीवीपी और आईएनएसओ गठबंधन) के सागर खत्री को 1,093 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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