मुंबई: पिछली बार जब 2015-2016 में नासिक में सिंहस्थ कुंभ मेला हुआ था, तब महाराष्ट्र की तत्कालीन सरकार ने, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में, इस आयोजन के लिए 2,500 करोड़ रुपये का बजट तय किया था. अब मौजूदा फडणवीस-नेतृत्व वाली महायुति सरकार शहर में 2026-2028 के कुंभ की योजना ऐसे बजट के साथ बना रही है, जो उससे 10 गुना ज्यादा है.
विश्लेषकों का कहना है कि बजट और आयोजन के स्तर में बढ़ोतरी सीधे तौर पर फडणवीस की उस महत्वाकांक्षा से जुड़ी है, जिसके तहत वे खुद को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह ‘विकास-केंद्रित हिंदुत्व नेता’ के रूप में पेश करना चाहते हैं. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी ने इसी साल एक भव्य महाकुंभ का आयोजन किया था.
प्रयागराज का कुंभ सिर्फ एक तीर्थयात्रा नहीं रहा. यह पर्यटन और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाला बड़ा केंद्र बन गया, जहां सेलिब्रिटीज़, युवा इंफ्लुएंसर्स और बड़ी संख्या में युवाओं ने गंगा में डुबकी लगाई. बताया जा रहा है कि नासिक कुंभ के ज़रिए फडणवीस भी यही मॉडल अपनाना चाहते हैं.
राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे ने दिप्रिंट से कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि फडणवीस कुंभ की तैयारियों में योगी आदित्यनाथ की बराबरी करना चाहते हैं. तुलना तो होगी ही, इसलिए वे आयोजन को और बेहतर तरीके से करना चाहते हैं और नहीं चाहते कि लोगों को लगे कि प्रयागराज वाला कुंभ ज्यादा अच्छी तरह आयोजित था.”
उन्होंने आगे कहा, “इस तरह फडणवीस, जिनकी छवि अब तक एक विकास-केंद्रित नेता की रही है, अब धीरे-धीरे केसरिया रंग वाले विकास-केंद्रित नेता के रूप में सामने आ रहे हैं, खासकर जब चुनाव नज़दीक हैं.”
नासिक-त्र्यंबकेश्वर (एक तीर्थ नगरी) में कुंभ मेला कई वर्षों से लगता आ रहा है. 2026 का आयोजन खास होगा, क्योंकि इसमें त्रिखंड योग बनेगा एक ऐसा खगोलीय संयोग, जो 75 साल में एक बार आता है. यह मेला अक्टूबर 2026 से जुलाई 2028 तक चलेगा.
इससे साफ है कि फडणवीस नासिक को एक बड़े तीर्थ और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना चाहते हैं.
राज्य सरकार ने नासिक में कुंभ के बुनियादी ढांचे और व्यवस्थाओं के लिए 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट घोषित किया है. मेले से जुड़े 20,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से 5,000 करोड़ रुपये के काम पहले ही शुरू हो चुके हैं. फडणवीस के भरोसेमंद सहयोगी और कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन को कुंभ मेला मंत्री बनाया गया है.
आयोजन और उससे जुड़े प्रोजेक्ट्स की निगरानी के लिए फडणवीस ने नासिक-त्र्यंबकेश्वर कुंभ मेला प्राधिकरण भी बनाया है, जिसे दो हिस्सों में बांटा गया है—एक शीर्ष निकाय, जिसकी अगुवाई फडणवीस करेंगे, और दूसरा मंत्री स्तरीय निकाय, जिसकी अगुवाई महाजन करेंगे.
युवाओं को आकर्षित करने के लिए फडणवीस ने मेले के लिए “ग्रीन और डिजिटल” थीम तय की है. एआई के इस्तेमाल से लेकर स्वच्छता और हरित पहलों तक, सरकार आयोजन को बड़ी सफलता बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है.
बीजेपी के जिला प्रवक्ता प्रदीप पेशकर ने दिप्रिंट से कहा, “देवेंद्रजी तैयारियों के हर पहलू पर बारीकी से नज़र रखेंगे और उसी हिसाब से निर्देश देंगे.”
पिछली बार नासिक-त्र्यंबकेश्वर में कुंभ मेला 2015 में हुआ था और उससे पहले 2003 में, जब भगदड़ मच गई थी. उस हादसे में 35 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 लोग घायल हुए थे.
विकास से हिंदुत्व समर्थक तक
फडणवीस 2014 में पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे और पूरे कार्यकाल में उनकी पहचान एक विकास-केंद्रित नेता के रूप में रही. उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और कारोबार पर ध्यान दिया, जिसमें राज्य में एफडीआई लाना भी शामिल था.
हालांकि, 2019 के बाद उन्होंने खुद को हिंदुत्व नेता के रूप में भी ढालना शुरू किया. उदाहरण के लिए, 2023 में कोल्हापुर में एक सांप्रदायिक घटना के बाद उन्होंने समाज के कुछ वर्गों को “औरंगजेब की औलाद” कहा.
राज्य के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने महाराष्ट्र में लव जिहाद कानून का समर्थन किया. कोविड महामारी के दौरान, जब मंदिर बंद थे, तब विपक्ष में रहते हुए उन्होंने मंदिरों को जबरन खोलने की धमकी दी थी.
मई 2022 में उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि उन्हें बाबरी मस्जिद गिराए जाने का हिस्सा होने पर गर्व है.
इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने “वोट जिहाद” और एकता की कमी की बात कही, जो आदित्यनाथ के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे जैसी थी.
फडणवीस की कोशिशों का जिक्र करते हुए देशपांडे ने कहा कि “महाराष्ट्र और यूपी अलग हैं.”
उन्होंने कहा, “यूपी में हिंदुत्व ही मुख्य मुद्दा है. महाराष्ट्र सिर्फ हिंदुत्व पर नहीं चलता. इसलिए उनकी हिंदुत्व समर्थक छवि ज्यादा चुनावों के समय दिखती है. उदाहरण के तौर पर, हाल में वे ध्रुवीकरण और लाड़की बहिन जैसी योजनाओं का फॉर्मूला इस्तेमाल कर रहे हैं. मुझे लगता है कि उनका कड़ा हिंदुत्व चुनावों के लिए ही है.”
भव्य कुंभ की योजनाएं
महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक, नासिक कुंभ के लिए रखी गई राशि राज्य और केंद्र के बीच बांटी जाएगी और अब तक 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के टेंडर प्रक्रिया में हैं.
कुछ प्रोजेक्ट्स के लिए आधारशिला रखी जा चुकी है. इनमें रिंग रोड और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़े काम शामिल हैं और इन पर काम चल रहा है.
पेशकर ने कहा, “रामकाल पथ केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक है.” इसमें पूरे “शोभा यात्रा पथ” को शामिल किया गया है, ताकि कालाराम मंदिर, तपोवन, गोदा घाट और रामकुंड को सजाया-संवारा जा सके और नासिक में रामायण काल को दिखाया जा सके.
उन्होंने कहा, “यह रामायण थीम पर होगा और उसी हिसाब से घरों और कुटियों की सजावट की जाएगी. यहां सड़क चौड़ी करने की भी योजना है.”
डिजिटल पहलों के तहत सुरक्षा बनाए रखने के लिए सीसीटीवी और एआई का इस्तेमाल किया जाएगा.

पेशकर ने कहा, “2003 में भगदड़ मची थी, जिसमें 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इसलिए ऐसी घटनाओं से बचने और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. जिस जगह की हमें जानकारी चाहिए, वहां कितने लोग जमा हैं, यह पता लगाया जा सकेगा और इसे एक डिजिटल रूम से मॉनिटर किया जाएगा.”
स्थानीय नेताओं ने कहा कि आयोजन स्थल को साफ और सुरक्षित रखने पर खास ध्यान दिया जाएगा. इसके लिए ग्रीन कुंभ की अवधारणा तैयार की जा रही है. पार्किंग से घाटों तक लोगों को ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक बसें होंगी. ईवी बाइक भी होंगी. मानसून के समय (जुलाई से सितंबर) को ध्यान में रखकर भी तैयारियां की जाएंगी.
तपोवन इलाके में साधुओं के ठहरने के लिए साधुग्राम बनाने के लिए पेड़ काटे जाने को लेकर कुंभ पहले ही विवादों में आ चुका है. इसके लिए राज्य सरकार 54 एकड़ ज़मीन साफ करने की योजना बना रही है.
इस महीने मीडिया से बात करते हुए फडणवीस ने कहा था कि जगह एक चुनौती है, क्योंकि नासिक में सिर्फ 300-350 एकड़ जमीन उपलब्ध है, जबकि प्रयागराज कुंभ मेले के लिए करीब 15,000 हेक्टेयर जमीन थी.
जहां सहयोगी दल अजित पवार की एनसीपी ने पेड़ काटे जाने का विरोध किया है, वहीं फडणवीस ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग बेवजह खुद को एक्टिविस्ट और पर्यावरणविद बना रहे हैं.
हालांकि, मंगलवार को महाजन और अन्य राज्य अधिकारियों ने नासिक भर में वृक्षारोपण कार्यक्रम शुरू किया. महाजन ने मीडिया से कहा, “विभिन्न जगहों पर पेड़ लगाए जाएंगे और उनका संरक्षण किया जाएगा. इसके लिए नासिक के लोगों को आगे आकर योगदान देना चाहिए.”
स्थानीय नेताओं का अनुमान है कि इस बार कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या पिछली बार के 1 करोड़ से बढ़कर 5 करोड़ तक पहुंच सकती है. इसके लिए उसी हिसाब से तैयारियां करनी होंगी और कानून-व्यवस्था बेहद मजबूत रखनी होगी.
‘हम बहुत बड़ी भीड़ देखेंगे’
दिप्रिंट से बात करते हुए लक्ष्मण सावजी, जिन्होंने अपने जीवन में पांच कुंभ मेले देखे हैं, उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें कुंभ मेले को सिर्फ एक धार्मिक आयोजन मानती थीं, इसलिए इसके लिए दिए जाने वाले फंड बहुत कम होते थे. सावजी बीजेपी के प्रवक्ता हैं और नासिक नगर निगम के पूर्व पार्षद भी रह चुके हैं.
सावजी ने बताया कि जब अटल बिहारी वाजपेयी 1999 में प्रधानमंत्री बने, तब पहली बार केंद्र सरकार से नासिक को 100 करोड़ रुपये मिले. इसके बाद 2015 में, जब नासिक में कुंभ हुआ, उस समय फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और तब भी इस आयोजन को खास महत्व दिया गया. उस समय सरकार ने मेले के लिए 2,500 करोड़ रुपये दिए थे.
सावजी ने कहा, “यही सरकारों के बीच फर्क था. और अब संयोग से फिर से फडणवीस मुख्यमंत्री हैं और पिछली बार के अनुभव को देखते हुए फडणवीसजी और महाजन प्रशासन में होने का फायदा उठाएंगे.”
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि (नरेंद्र) मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद धर्म का विषय ज्यादा अहम हो गया है.
सावजी ने कहा, “केदारनाथ, काशी विश्वेश्वर, उज्जैन महाकाल जैसे तीर्थ स्थलों पर ध्यान दिया गया है और तीर्थ पर्यटन बढ़ा है. इसलिए हमें लगता है कि इस बार बहुत बड़ी भीड़ देखने को मिलेगी.”
स्थानीय नेताओं ने यह भी बताया कि मेला प्राधिकरण की रोज बैठक होती है और फडणवीस महीने में कम से कम दो बार नासिक आकर कामकाज की समीक्षा करते हैं.
पिछली बार जब नासिक में कुंभ का आयोजन हुआ था, तब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) शहर की नगर निगम सत्ता में थी. तब भी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम किए गए थे, जैसे गोदा पार्क, बच्चों के खेल पार्क, ट्रैफिक आइलैंड्स वगैरह.
मनसे के एक पूर्व पार्षद ने दिप्रिंट से कहा, “हमने भी यह मेला आयोजित किया था. यह हिंदुओं के लिए बहुत अहम आयोजन है. हमारा कामकाज सुचारू रहा और कोई दिक्कत नहीं आई. भगदड़ 2003 में हुई थी. हमारे समय में यह आयोजन अच्छे से हुआ था. यहां तक कि राज साहेब (ठाकरे, पार्टी प्रमुख) ने भी हमारी तारीफ की थी.”
उन्होंने अफसोस जताया कि बीजेपी यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हिंदुत्व की परवाह सिर्फ वही करती है. नेता ने कहा, “वे बेवजह पेड़ काट रहे हैं. हमने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना काम किया था. लेकिन बीजेपी यह दिखाना चाहती है कि चिंता सिर्फ वही करते हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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