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Wednesday, 20 November, 2024
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पहले आदमपुर में बेटे की हार, अब कुलदीप अपने बिश्नोई समाज में कैसे अलग-थलग पड़े

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रमुख देवेंद्र बूड़िया और संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने एक्स पर साझा किए गए अलग-अलग पत्रों के माध्यम से एक-दूसरे को अपने-अपने पदों से हटा दिया है.

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गुरुग्राम: आदमपुर पारिवारिक गढ़ में हार के कुछ सप्ताह बाद, कुलदीप बिश्नोई को अपने समुदाय के भीतर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. बिश्नोई समाज के एक नेता ने वरिष्ठ भाजपा नेता पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया है और पूर्व विधायक के छोटे बेटे द्वारा अपने समुदाय से बाहर शादी करने का मामला उठाया है.

बिश्नोई समुदाय ने 2019 तक आदमपुर विधानसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई के परिवार के लिए लगातार 15 बार जीत सुनिश्चित की, जिसकी शुरुआत उनके दिवंगत पिता भजन लाल ने 1968 में पहली जीत हासिल करके की थी. हालांकि, पिछले महीने, भजन लाल के विश्वासपात्र रामजी लाल के भतीजे कांग्रेस नेता चंद्र प्रकाश ने कुलदीप के बड़े बेटे भव्य बिश्नोई के खिलाफ चुनाव लड़कर सीट जीत ली.

बमुश्किल एक महीने बाद, कुलदीप बिश्नोई खुद एक विवाद में उलझे हैं.

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया ने आरोप लगाया है कि कुलदीप बिश्नोई ने उन्हें अपमानित किया, कथित तौर पर इसलिए क्योंकि वह भव्य चुनाव अभियान के लिए समुदाय से 10 करोड़ रुपये नहीं जुटा पाए. कुलदीप बिश्नोई महासभा के संरक्षक हैं, ठीक वैसे ही जैसे भजन लाल थे.

विवाद के बेकाबू होने के बीच देवेंद्र बूड़िया और कुलदीप बिश्नोई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए दो अलग-अलग पत्रों के माध्यम से अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में एक-दूसरे को अपने-अपने पदों से हटा दिया है.

बूड़िया ने बुधवार दोपहर 1:05 बजे अपने एक्स हैंडल से साझा किए गए एक पत्र के माध्यम से कुलदीप बिश्नोई को महासभा के संरक्षक के पद से हटा दिया, जिसमें उनके छोटे बेटे चैतन्य बिश्नोई की शादी का हवाला दिया गया. यह कहते हुए कि इस शादी से बिश्नोई समुदाय में व्यापक रोष पैदा हो गया है, बूड़िया ने जोर देकर कहा कि कुलदीप बिश्नोई का अपने पद पर बने रहना अनुचित होगा.

चैतन्य बिश्नोई एक क्रिकेटर हैं, जिन्होंने उत्तराखंड में पंजाबी समुदाय की कांग्रेस नेता शिल्पी अरोड़ा की बेटी सृष्टि अरोड़ा से शादी की है. चैतन्य ने पिछले साल दिसंबर में उसी समारोह में सृष्टि से शादी की थी, जहां भव्य ने आईएएस अधिकारी परी बिश्नोई से शादी की थी.

बूड़िया का पत्र महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए पत्र के कुछ ही घंटों के भीतर आया है, जिसमें बूड़िया को उनके पद से हटाकर परसाराम बिश्नोई को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. पत्र में उन्होंने बूड़िया पर समुदाय के भीतर विभाजनकारी व्यक्ति होने का आरोप लगाया.

पत्र के साथ बिश्नोई ने लिखा, “अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा सदैव गुरू जंभेश्वर भगवान के दिखाए आदर्शों को आगे बढ़ाते हुए समाजसेवा की दिशा में अपने कत्र्तव्यों को पूरा करने का प्रयास करती आई है और हमेशा करती रहेगी. व्यक्ति, पद और निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर हम सबको मिलकर समाज की एकजुटता की दिशा में कार्य करते रहना है.”

“नई परिस्थितियों को देखते हुए समाज के सभी प्रबुद्धजनों से विचार विमर्श करने के बाद महासभा में प्रधान पद पर नई नियुक्ति की गई है. मुझे पूर्ण विश्वास है की श्री परसराम बिश्नोई जी स्वर्गीय श्री रामसिंह जी जी के गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाते हुए महासभा को नई ऊंचाईयां प्रदान करेंगे. बोलो श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान की जय.”

स्वर्गीय राम सिंह बिश्नोई, जिनका उल्लेख उनकी पोस्ट में किया गया है, वरिष्ठ कांग्रेस नेता थे और राजस्थान की लूनी विधानसभा सीट से सात बार विधायक रहे. भजनलाल के संरक्षक रहते हुए वे महासभा के अध्यक्ष के रूप में काम करते थे. परसराम बिश्नोई उनके बेटे हैं.

पत्र के बाद बूड़िया ने फेसबुक पर लाइव होकर कहा कि कुलदीप बिश्नोई के पास महासभा अध्यक्ष को हटाने का अधिकार नहीं है. उन्होंने जोधपुर में बिश्नोई धार्मिक स्थल मुकाम धाम में इस मामले पर चर्चा के लिए एक बड़ी बैठक की भी घोषणा की. बाद में बुधवार को बैठक में परसराम बिश्नोई ने कहा कि उन्हें किसी पद का लालच नहीं है और वे समुदाय की इच्छा के अनुसार चलेंगे.

बूड़िया ने समुदाय के सदस्यों के सामने दावा किया कि कुलदीप बिश्नोई के पत्र से एक दिन पहले उन्होंने भाजपा नेता पर अपने मित्र और नलवा विधायक रणधीर पनिहार के माध्यम से अपने बेटे के चुनाव प्रचार के लिए 10 करोड़ रुपये का चंदा मांगने का आरोप लगाया था.

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए कुलदीप बिश्नोई से संपर्क किया, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है. प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा. हालांकि, अपने पत्र में बिश्नोई ने बूड़िया पर बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया है.


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आरोप-प्रत्यारोप

देवेंद्र बूड़िया को विभाजनकारी व्यक्ति बताते हुए कुलदीप बिश्नोई ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि बुरिया कई दिनों से सोशल मीडिया पर बेबुनियाद, झूठे और विभाजनकारी बयान दे रहे हैं, जिससे समुदाय में तनाव और संभावित संघर्ष पैदा हो रहा है.

बिश्नोई ने दावा किया कि समुदाय के लोगों, संतों, महासभा के पदाधिकारियों और राजनेताओं से उन्हें कई शिकायतें मिली हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बूड़िया ने विभिन्न निर्माण-संबंधी निविदाओं में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है. बिश्नोई ने कहा कि वह समुदाय के भीतर एकता और महासभा के पदाधिकारियों के बीच विश्वास बनाए रखने के लिए देवेंद्र बूड़िया को उनके पद से हटा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि महासभा का ‘संविधान’ अध्यक्ष और कार्यकारी समिति के चुनाव के लिए एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया निर्धारित करता है. उन्होंने महासभा के पदाधिकारियों और अध्यक्ष के चुनाव के लिए नए चुनावों की जल्द से जल्द औपचारिक घोषणा करने का भी वादा किया.

दूसरी ओर, बूड़िया ने सोमवार रात फेसबुक लाइव सेशन के दौरान दावा किया कि रणधीर पनिहार पिछले दो दिनों से उन्हें दिल्ली बुला रहे थे. बूड़िया ने आगे आरोप लगाया कि जब वे वहां पहुंचे तो उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया और चंदा इकट्ठा न कर पाने के कारण उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया.

बूड़िया के आरोपों के बाद मीडिया से बात करते हुए पनिहार ने कहा कि बुड़िया उनके मित्र हैं और उन्हें नहीं पता कि बूड़िया उनके खिलाफ झूठे आरोप क्यों लगा रहे हैं.

पनिहार को कुलदीप बिश्नोई का पुराना समर्थक माना जाता है, जब से उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करना शुरू किया है.

कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा चुनाव के लिए रणधीर पनिहार के लिए भाजपा का टिकट हासिल किया और उनके लिए प्रचार भी किया, जिसके चलते पनिहार ने जीत हासिल की. ​​इस बीच भव्य बिश्नोई हार गए. कुलदीप के चचेरे भाई दुरा राम बिश्नोई भी फतेहाबाद से हार गए.

पनिहार ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे कुलदीप बिश्नोई के लिए अपनी विधायकी की सीट खाली करने को तैयार हैं या फिर अगर वे चाहें तो अपने बेटे को चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हैं.

जोधपुर बैठक में लिए गए फैसले

जोधपुर में दो घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में बिश्नोई समाज के लोगों ने पांच मुख्य फैसले लिए.

पहला फैसला संरक्षक पद को समाप्त करने का था. कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटा दिया गया और समाज के लोगों ने यह भी फैसला लिया कि अब महासभा में कोई संरक्षक नहीं रहेगा.

दूसरा फैसला लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया से चुनाव कराने का था. अब से नए महासभा अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होगा. पहले संरक्षक ही अध्यक्ष का चयन करते थे.

तीसरा फैसला यह हुआ कि चुनाव होने तक देवेंद्र बूड़िया अध्यक्ष बने रहेंगे. कुलदीप बिश्नोई ने बूड़िया को महासभा अध्यक्ष नियुक्त किया और बाद में पत्र जारी कर उनकी जगह परसाराम बिश्नोई को अध्यक्ष बनाया. समाज के लोगों ने बूड़िया के पक्ष में विवाद सुलझा लिया.

चौथा फैसला कुलदीप बिश्नोई को चार साल पहले दिए गए ‘बिश्नोई रत्न’ को वापस लेने का था. समुदाय के भीतर एक अत्यंत प्रतिष्ठित सम्मान, ‘बिश्नोई रत्न’, आज तक केवल दो व्यक्तियों — भजन लाल और कुलदीप बिश्नोई को दिया गया है.

पांचवां और अंतिम फैसला यह सुनिश्चित करना था कि कुलदीप बिश्नोई या उनका परिवार महासभा के मामलों में हस्तक्षेप न करे. कुलदीप बिश्नोई ने अब तक महासभा के साथ-साथ अपने समुदाय पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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