नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती बहुचर्चित अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से पीछे चल रही हैं. सुबह तक के नतीजों के हिसाब से नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उम्मीदवार मियां अल्ताफ उनसे 73,000 वोटों से आगे चल रहे थे.
इस बीच, इस नई बनी सीट पर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा समर्थित जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने कुछ बढ़त हासिल की है, जो 10,000 से अधिक वोटों के साथ तीसरे स्थान पर आ गई है.
यह चुनाव पीडीपी के पुनरुद्धार के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा थी, जिसे 2019 के बाद से कई झटकों का सामना करना पड़ा है, जब महबूबा मुफ्ती कभी अपनी पार्टी का गढ़ रही अनंतनाग सीट पर तीसरे स्थान पर आई थीं. 2019 के बाद से, पार्टी का नेतृत्व व्यावहारिक रूप से खोखला हो गया है, जिसमें पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में पलायन हुआ, जिन्होंने J&K अपनी पार्टी बनाई.
इसके अलावा, पीडीपी को इंडिया ब्लॉक के भीतर अकेला छोड़ दिया गया था जब उसके प्रतिद्वंद्वी एनसी और कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों के लिए अपने सीट-बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा की थी.
इन चुनौतियों का सामना करते हुए, महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग-राजौरी सीट के लिए अपनी बोली में जोरदार प्रचार किया, लेकिन मतदाताओं के मन में शायद कुछ और ही था. यह हार पार्टी के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा झटका है, जो 30 सितंबर तक होने की उम्मीद है.
2024 का लोकसभा चुनाव महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला बड़ा चुनाव था.
इससे पहले, राजनीतिक विश्लेषक जफर चौधरी ने दिप्रिंट को बताया था कि यह चुनाव महबूबा मुफ्ती के लिए महत्वपूर्ण था.
उन्होंने कहा था, “ये चुनाव महबूबा के लिए अपनी पार्टी को फिर से खड़ा करने का एक अवसर बनकर आए हैं. जीतने की संभावना से कहीं ज़्यादा, PAGD (पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन) और INDIA ब्लॉक द्वारा उन्हें दरकिनार किए जाने से उन्हें पीड़ित होने के इर्द-गिर्द कहानी बुनने में मदद मिली है. ऐसा लगता है कि यह मुफ्ती के लिए कारगर नहीं रहा.”
इस बीच, मियां अल्ताफ की जीत से पता चलता है कि जम्मू के आदिवासी बहुल राजौरी और पुंछ जिलों को नए बनाए गए अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र में शामिल करने से नेशनल कॉन्फ्रेंस को फायदा हुआ है. अल्ताफ गुज्जर-बकरवाल समुदाय के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक हैं, जिनकी आबादी अनंतनाग-राजौरी सीट के पांच जिलों में लगभग 19 प्रतिशत है. समुदाय की सबसे अधिक संख्या पुंछ-राजौरी जिले में है.
इसके अलावा, अपने पहले लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी का खराब प्रदर्शन भाजपा की अपने वोटों को पार्टी को हस्तांतरित करने में विफलता को दर्शाता है. यह भाजपा, जो कश्मीर में क्षेत्रीय दलों पर निर्भर है और अपनी पार्टी दोनों के लिए चिंता का विषय है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र.
पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (DPAP) ने भी मोहम्मद सलीम पारे को उम्मीदवार बनाया है, जो वर्तमान में चौथे स्थान पर हैं.
यह भी पढ़ें: Lok Sabha elections 2024 results LIVE: मौजूदा रुझानों में NDA को 292 और INDIA को 231 सीटों पर बढ़त