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Wednesday, 13 August, 2025
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एंबुलेंस घोटाले से डेटा चोरी की FIR तक—बिहार में ‘फ्रॉड’ का मुद्दा, प्रशांत किशोर और BJP आमने-सामने

जन सुराज पार्टी के नेता जब बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं, तो पार्टी ने उन्हें अनदेखा करने से लेकर ‘बीजेपी की छवि खराब करने’ के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने तक का रास्ता अपनाया.

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नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच टकराव बढ़ रहा है. हाल ही में अपनी राजनीतिक पार्टी ‘जन सुराज’ शुरू करने वाले किशोर ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमले तेज़ कर दिए हैं, नेताओं पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं. वहीं, बीजेपी ने उन पर 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान डेटा और आइडिया चोरी करने और पार्टी की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है.

पहले लंबे समय तक बीजेपी नेताओं ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, लेकिन अब खुलेआम उन्हें “राजनीतिक चोर और फ्रॉड” कहने लगे हैं. यह बदलाव तब आया जब किशोर ने सुनियोजित तरीके से बीजेपी नेताओं पर निशाना साधना शुरू किया.

शुरुआत में उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर मेडिकल कॉलेज धोखाधड़ी से हासिल करने का आरोप लगाया. इसके बाद डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर फर्जी शैक्षिक रिकॉर्ड का आरोप लगाया. ताज़ा हमला बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर हुआ, जिसमें उन्होंने एंबुलेंस घोटाले का आरोप लगाया. किशोर का दावा है कि पांडे के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग ने 466 एंबुलेंस 28 लाख रुपये प्रति गाड़ी की दर से खरीदीं, जबकि अन्य राज्यों में यही गाड़ियां सिर्फ 12 लाख रुपये में खरीदी गईं. किशोर का यह भी आरोप है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने पैसे लेकर एक मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाया.

‘बीजेपी, लालू से भी ज्यादा भ्रष्ट’

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर भ्रष्टाचार के आरोपों को विस्तार से बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “फरवरी 2022 में स्वास्थ्य विभाग ने 1,250 एंबुलेंस खरीदने के लिए 200 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला. बिहार सरकार ने 466 एंबुलेंस 19,58,257 रुपये प्रति गाड़ी की दर से खरीदीं, लेकिन बोली प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हुए. इन एंबुलेंस को सिर्फ दो कंपनियां—टाटा मोटर्स और फोर्स बना रही थीं, लेकिन टाटा मोटर्स को इस आधार पर बोली से बाहर कर दिया गया कि एंबुलेंस में सिर्फ मरीज बैठने वाले हिस्से में एसी होना चाहिए, जबकि टाटा का डिजाइन पूरी गाड़ी में एसी देता था. अंत में सरकार ने फोर्स की एंबुलेंस खरीदी.”

उन्होंने आगे कहा, “सिर्फ तीन साल में इन एंबुलेंस की कीमत 19 लाख से बढ़कर 28,47,580 रुपये हो गई. बोली दस्तावेज़ में शर्त थी कि कंपनी के हर जिले में सर्विस सेंटर होने चाहिए, लेकिन फोर्स के पूरे बिहार में ऐसे सेंटर नहीं हैं. उनकी वेबसाइट पर एंबुलेंस की कीमत 21 लाख है, ओडिशा ने यही एंबुलेंस 18 लाख में खरीदीं और उत्तर प्रदेश ने 2,500 एंबुलेंस सिर्फ 12 लाख रुपये प्रति गाड़ी के हिसाब से खरीदीं. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार में ये दाम क्यों बढ़ाए गए, जिससे फायदा सिर्फ मंगल पांडे को हुआ.”

किशोर का आरोप है कि “मंगल पांडे ने दिलीप जायसवाल से द्वारका में फ्लैट खरीदने के लिए आरटीजीएस से 25 लाख रुपये रिश्वत ली. स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए उन्होंने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को किसांगनी में एक मेडिकल कॉलेज देकर उसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाया.”

किशोर ने बिहार के नए मुख्य सचिव प्रत्य अमृत पर भी सवाल उठाए, जो पहले स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव थे. उन्होंने उनसे पूछा कि 12 लाख रुपये वाली एंबुलेंस 27 लाख में कैसे खरीदी गईं और इसके बारे में पूरी जानकारी दें.

किशोर बोले, “बिहार में माना जाता है कि लालू भ्रष्ट हैं, लेकिन बीजेपी तो आरजेडी से भी बड़ी चोर है. ये लोग परदे के पीछे चोरी करते हैं, ये गोविंदाचार्य और कैलाशपति मिश्रा वाली बीजेपी नहीं है, ये गुंडों और भ्रष्टाचारियों की बीजेपी है.”

जुलाई में किशोर ने आरोप लगाया कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व राजस्व मंत्री ने धोखे से एक मेडिकल कॉलेज हड़प लिया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “दिलीप जायसवाल ने सिख अल्पसंख्यक कॉलेज ‘माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज’ पर 25–30 साल से कब्ज़ा जमाए रखा है. उन्होंने संस्थापक के पूरे परिवार को बाहर कर खुद को डायरेक्टर बना लिया, जबकि करियर उन्होंने एक क्लर्क से शुरू किया था.”

किशोर ने बताया कि जायसवाल का क्लर्क से डायरेक्टर बनने का यह धोखाधड़ी वाला सफर 25 साल का है. उन्होंने यह भी कहा कि राबड़ी देवी और जायसवाल रिश्तेदार हैं और उनके परिवार के लोग जायसवाल के मेडिकल कॉलेज में पढ़ चुके हैं, इसलिए आरजेडी ने कभी इस पर सवाल नहीं उठाया.

जुलाई में ही किशोर ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर आरोप लगाया कि उन्होंने झूठा हलफनामा दिया था, जिसकी वजह से उनकी उम्र में गड़बड़ी के कारण उनका चुनाव रद्द हुआ.

प्रशांत किशोर ने कहा, “मेरे पास सम्राट चौधरी से जुड़े सारे दस्तावेज़ हैं. वे सातवीं कक्षा में फेल हुए थे. उनका असली नाम राकेश कुमार है. कोर्ट ने उनका विधायक पद झूठा हलफनामा देने के कारण रद्द कर दिया था. हैरानी की बात है कि वही व्यक्ति बाद में नए नाम ‘राकेश कुमार उर्फ सम्राट चौधरी’ से लौट आया. अब राकेश कुमार गायब हैं और सिर्फ सम्राट चौधरी हैं. उनके पिछले दो चुनावों के हलफनामों को देखेंगे तो पाएंगे कि 10 साल में उनकी उम्र 48 साल हो गई, जबकि सामान्य रूप से 10 साल में उम्र 10 साल बढ़ती है, उनकी उम्र 38 साल बढ़ी. सिर्फ एक दशक में वे सातवीं कक्षा से D.Litt. (PhD के बाद मिलने वाली डिग्री) तक पहुंच गए.”

इन आरोपों के बाद बीजेपी ने किशोर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, आरोप लगाते हुए कि उन्होंने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया. बिहार बीजेपी वर्किंग कमेटी के सदस्य कृष्णा सिंह कल्लू ने गांधी मैदान थाने में शिकायत दी, जिसमें कहा गया कि किशोर की भाषा आपत्तिजनक थी और उनका उद्देश्य बीजेपी और उसके नेताओं की छवि खराब करना था.

मामला यहीं नहीं रुका. बीजेपी ने किशोर पर “फ्रॉड” और “राजनीतिक चोर” होने का आरोप लगाया. पार्टी का कहना है कि उन्होंने 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान विचार और डेटा चुरा लिया. बीजेपी प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि कांग्रेस कार्यकर्ता शाश्वत गौतम ने 2020 में किशोर पर केस किया था, जिसमें आरोप था कि किशोर के सहयोगियों ने पटना के पटलिपुत्र ऑफिस से चुनाव प्रचार के आइडिया चुरा लिए.

शिकायत में ओसामा खुर्शीद नामक व्यक्ति का ज़िक्र है, जिसने पटना यूनिवर्सिटी चुनाव जेडीयू टिकट पर लड़ा था. उसने आरोप लगाया कि किशोर ने उसका लैपटॉप ले लिया जिसमें संवेदनशील डेटा था. लैपटॉप तो लौटा दिया गया, लेकिन डेटा गायब हो गया. एफआईआर के अनुसार किशोर ने 18 फरवरी 2020 को ‘बात बिहार की’ अभियान शुरू किया, जिसमें वही सामग्री इस्तेमाल की गई. हालांकि, किशोर के वकील का कहना है कि वह डेटा पहले से सार्वजनिक था और किसी भी समानता महज संयोग है. इस पर बीजेपी प्रवक्ता दानिश इकबाल ने कहा, “किशोर का असली चेहरा सामने आ गया है, वह नेता नहीं, बल्कि राजनीतिक चोर हैं.”

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने ‘दिप्रिंट’ से कहा, “किशोर बिना सबूत के आरोप लगा रहे हैं ताकि सुर्खियों में रहें. बिहार के लोग जानते हैं कि कौन-सी पार्टी उनके चुनावी इरादों को नुकसान पहुंचा सकती है. चुनाव महागठबंधन और एनडीए के बीच है, किशोर गंभीर दावेदार नहीं हैं; वे सिर्फ कुछ वोट काटना चाहते हैं, इसलिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं.”

अतीत में न तो सम्राट चौधरी और न ही जायसवाल ने किशोर पर सीधा पलटवार किया है, बल्कि, सम्राट चौधरी ने तो उन्हें ‘बड़े भाई’ भी कहा था.

8 अगस्त को मंगल पांडे ने खुद पर लगे आरोपों का बचाव करते हुए कहा कि एंबुलेंस टेंडर का मामला कोर्ट में है. उन्होंने कहा, “मैंने जांच की, संबंधित कंपनी को भुगतान नहीं हुआ है, जहां तक जायसवाल से लिया कर्ज है, वह मैं चुका चुका हूं.”

बिहार के एक बीजेपी नेता ने टिप्पणी की, “प्रशांत के बढ़ते हमले साफ दिखाते हैं कि वे बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहते हैं. उन्हें मालूम है कि लालू के मुस्लिम-यादव वोट बैंक में ज्यादा घुसपैठ नहीं कर पाएंगे. बीजेपी के पास बड़ा चुनावी तंत्र होने के बावजूद हम भी आरजेडी के वोट बैंक में ज्यादा घुस नहीं पाए. इसलिए किशोर के लिए यह आसान नहीं होगा. वे मिडल क्लास, ऊपरी जाति और ओबीसी के महत्वाकांक्षी वर्ग को टारगेट कर रहे हैं, जो बेहतर भविष्य चाहते हैं. अपने भाषणों में वे इन्हीं वर्गों पर फोकस कर रहे हैं, जो बीजेपी के लिए चुनौती हो सकता है. यही वजह है कि वे बिहार में बीजेपी के बड़े नेताओं—सम्राट चौधरी, डिप्टी सीएम कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष जायसवाल और ब्राह्मण नेता मंगल पांडे पर हमले कर रहे हैं, ताकि हमारे वोट बैंक में घुस सकें.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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