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Thursday, 21 November, 2024
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आखिर मिल ही गए चन्नी! पंजाब के पूर्व सीएम अमेरिका में रहकर कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर लिख रहे हैं थीसिस

पूर्व मुख्यमंत्री को आखिरी बार ईद पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में देखा गया था और तब से वह सियासी तस्वीर से गायब हैं. उनके भाई का कहना है कि चन्नी का अगले महीने भारत लौटने आने का विचार है.

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नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, जो पिछले कई महीनों से राजनीति से गायब हैं, फिलहाल विदेश में रह रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस पर ‘अपनी पीएचडी थीसिस लिखने के लिए, खासतौर पर अध्ययन को समय देने’ का फैसला किया है. पार्टी का नेतृत्व करते हुए उन्होंने इस साल की शुरुआत में शर्मनाक चुनावी हार का सामना करना पड़ा था.

पंजाब के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले दलित नेता चन्नी ने 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के लगभग दो महीने बाद भारत छोड़ दिया था. आने वाले समय में उनकी क्या योजनाएं हैं, पार्टी के सहयोगियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि वह लंबे समय से पंजाब विश्वविद्यालय से ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस केंद्रीय संगठन और 2004 से चुनावी रणनीति’ विषय पर पीएचडी कर रहे हैं.

चन्नी के छोटे भाई मनोहर सिंह ने मंगलवार को फोन पर दिप्रिंट को बताया, ‘पंजाब में वह हमेशा राजनीति में व्यस्त रहे और उन्हें पढ़ाई के लिए समय नहीं मिल पाया. वह इस समय अमेरिका में हैं और उन्होंने अपनी पीएचडी थीसिस के लिए पढ़ाई को समय देने का फैसला किया है, जिसे वह जल्द ही पूरा करना चाहते है. लेकिन उनकी अगले महीने भारत लौटने की योजना भी है.’

सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री पद के लिए चन्नी के चयन को गांधी परिवार के मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा गया था. कहा गया कि इससे कांग्रेस को पूरे भारत में दलितों के बीच अपना खोया आधार वापस पाने में मदद मिलेगी. लेकिन यह दांव विफल हो गया, पार्टी चुनाव हार गई और चन्नी खुद उन दोनों सीटों पर हार गए, जिनसे उन्होंने चुनाव लड़ा था.

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि चुनावों में पार्टी की हार के बाद एक महीने तक चली कांग्रेस की पहली कुछ बैठकों में वह शामिल हुए थे.

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, 3 मई (ईद) को चन्नी को आखिरी बार पंजाब में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होते देखा गया था. बताया जाता है कि उसके करीब एक हफ्ते बाद वह अपनी पत्नी कमलजीत कौर के साथ भारत छोड़कर चले गए.

तब से वह पंजाब की राजनीति से गायब रहे. उन्होंने अपना ज्यादातर समय अमेरिका और कनाडा के बीच अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ रहकर बिताया.

कांग्रेस के कम से कम दो वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि चन्नी एक तरह से ‘राजनीतिक निर्वासन’ में चले गए हैं. उन्होंने इसके कई कारण बताए- राज्य के चुनावों में उनकी हार से लेकर, कथित अवैध खनन से संबंधित जांच में घसीटे जाने और पार्टी की पंजाब इकाई में कोई आधिकारिक पद नहीं दिए जाने तक.

मौजूदा समय में कांग्रेस 150-दिवसीय राजनीतिक अभियान भारत जोड़ो यात्रा पर है, जो 7 सितंबर को तमिलनाडु से शुरू हुई और केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू से होते हुए उत्तर की ओर बढ़ेगी.

चन्नी के शासनकाल में पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम रहे सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, ‘यात्रा के अंतिम चरण में पंजाब में 13 दिनों की योजनाबद्ध कवरेज है. हमें नहीं पता कि चन्नी वहां होंगे या नहीं. मुझे तो ये भी नहीं पता कि वह फिलहाल क्या कर रहे हैं.’

बुधवार को दिप्रिंट ने मैसेज के जरिए चन्नी से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.


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राजनीति के साथ अकादमिक गतिविधियां

एक राजनेता के रूप में चन्नी अकादमिक गतिविधियों के लिए नए नहीं हैं. चुनाव आयोग को दिए उनके हलफनामे के अनुसार, चन्नी ने पहले कला में स्नातक किया और उसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी किया. 2007 और 2009 के बीच, जब वह चमकौर साहिब से निर्दलीय विधायक थे, चन्नी ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से ह्यूमन रिसोर्सेज में एमबीए किया.

2012 में वह कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उसी सीट से विधायक के रूप में चुने गए थे. अगले साल उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री के लिए दाखिला लिया.

चन्नी के करीबी रहे एक कांग्रेसी नेता ने कहा, ‘जब वह एमए की पढ़ाई कर रहे थे, तो उनकी परीक्षा और दिल्ली में राहुल गांधी की एक बैठक, एक ही दिन थी. श्री गांधी उनके दृढ़ संकल्प से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें परीक्षा में बैठने और उसी दिन वापस लौटने के लिए अपना हेलीकॉप्टर देने की पेशकश की थी.’

चन्नी ने पंजाब में शीर्ष पद पर अमरिंदर सिंह की जगह ली और उसी साल के राज्य चुनाव से हफ्तों पहले राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस का सीएम उम्मीदवार घोषित किया था. यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह बंद दरवाजे का मामला नहीं रह गई थी. चन्नी को नवजोत सिंह सिद्धू के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा, क्योंकि वह भी पार्टी के सीएम उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल थे.

10 मार्च को आम आदमी पार्टी ने ‘बदलाव’ की लहर पर सवार होकर पंजाब चुनाव जीता और 117 विधानसभा सीटों में से 92 पर जीत हासिल की. कांग्रेस को सिर्फ18, शिरोमणि अकाली दल को तीन और भाजपा को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा था.

चन्नी ने चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव लड़ा था. वह भदौर में आप उम्मीदवारों से 37,558 मतों के अंतर से और अपने गृह क्षेत्र चमकौर साहिब से 7,942 मतों से हार गए थे.

पिछले महीने चन्नी ने अपने ‘राजनीतिक निर्वासन’ के बारे में फैली ‘अफवाहों’ और अटकलों को खारिज कर दिया था. कांग्रेस नेता ने कहा था कि वह एक ‘निजी यात्रा’ पर अमेरिका में हैं. उन्होंने बताया कि वह ‘इलाज’ के लिए वहां हैं और जल्द ही लौट आएंगे. लेकिन उन्होंने उनके वापसी की कोई तारीख नहीं बताई थी. उन्होंने द ट्रिब्यून से फोन पर कहा. ‘मेरे खिलाफ कोई एफआईआर या सम्मन नहीं है. मैं अपने इलाज के लिए विदेश में हूं और जल्द ही वापस आऊंगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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