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Saturday, 5 October, 2024
होमराजनीतिसीएम कुर्सी गंवाने के बाद से ‘अमेरिका और कनाडा के बीच चक्कर लगा रहे’ चन्नी ने पंजाब कांग्रेस को असमंजस में डाला

सीएम कुर्सी गंवाने के बाद से ‘अमेरिका और कनाडा के बीच चक्कर लगा रहे’ चन्नी ने पंजाब कांग्रेस को असमंजस में डाला

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी राज्य चुनावों में कांग्रेस की हार के आठ हफ्ते बाद मई के शुरू में ही देश से बाहर चले गए थे. पार्टी के पंजाब प्रमुख वारिंग का कहना है कि इस समय उनका यहां मौजूद न रहना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है.

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नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, जिन्हें कुर्सी पर बैठाने को कांग्रेस ने दलित आउटरीच पर अपने मास्टरस्ट्रोक के तौर पर पेश किया गया था, तीन महीने से अधिक समय से विदेश में बने हुए हैं. और इसने उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पार्टी को सिर्फ अटकलें ही लगाने की स्थिति में ला दिया है.

जानकारी के मुताबिक वह राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के करीब आठ हफ्ते बाद मई के शुरू में ही भारत से चले गए थे. गौरतलब है कि चन्नी खुद भी उन दोनों सीटों पर हार गए थे, जहां से उन्होंने चुनाव लड़ा था.

दिप्रिंट को पता चला है कि चन्नी पिछले तीन महीने से अमेरिका और कनाडा के बीच चक्कर काट रहे हैं और अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ रह रहे हैं.

कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि इस समय पूर्व सीएम का यहां मौजूद न होना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है.

वारिंग ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने न तो देश से जाते समय पार्टी इकाई को सूचित किया, न ही हमें उनकी वापसी की योजना के बारे में कुछ पता है. पंजाब में ऐसे महत्वपूर्ण समय पर उनकी अनुपस्थिति और पार्टी की गतिविधियां बाधित होना दुर्भाग्यपूर्ण हैं.’

हालांकि, चन्नी के पास इस समय कांग्रेस की पंजाब इकाई में कोई आधिकारिक पद नहीं है.

चुनाव में हार, खनन जांच के बीच गैर-हाजिर

कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि चन्नी एक तरह से ‘राजनीतिक निर्वासन’ में चले गए हैं, इसके कई कारण बताए गए हैं, मसलन राज्य के चुनावों में उनकी हार, कथित अवैध खनन से संबंधित जांच में खींचा जाना, और पार्टी की पंजाब इकाई में कोई आधिकारिक पद नहीं दिया जाना.

पंजाब के पूर्व सीएम के डिप्टी रहे सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी चन्नी की योजनाओं के बारे में अनिश्चितता जताई.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में, वह भारत से बाहर रह रहे हैं. मैंने केवल दो बार उनसे फोन पर बात की है. मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता कि वह विदेश क्यों गए, और उनकी वापसी की क्या योजना है. लेकिन जहां तक पार्टी में आधिकारिक पद दिए जाने या न दिए जाने का सवाल है, तो इस समय मेरे पास भी कोई पद नहीं है. लेकिन यह सब किसी भी राजनेता के जीवन का हिस्सा होता है.’

चन्नी के छोटे भाई मनोहर सिंह के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री विदेश में हैं क्योंकि उन्हें ‘कई महत्वपूर्ण आयोजनों’ में शामिल होना था.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘वह मई की शुरुआत से देश से बाहर हैं, ज्यादातर यूएसए और कनाडा की यात्रा कर रहे हैं. उनकी पत्नी (कमलजीत कौर) उनके साथ हैं. उन्हें उन देशों में कई महत्वपूर्ण समारोहों में शामिल होना था जहां उनके दोस्त और रिश्तेदार हैं.’

हालांकि, उन्होंने कहा कि चन्नी पार्टी कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहते हैं और उनके जल्द भारत लौटने की उम्मीद है. कांग्रेस का टिकट न मिलने पर खुद एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने वाले मनोहर सिंह ने यह भी कहा, ‘मैं आपको कोई सटीक तारीख नहीं बता सकता.’

वहीं. वॉरिंग ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि वह (चन्नी) पार्टी में जिन नेताओं के संपर्क में रहते हैं, वो कौन हैं. मैं उन लोगों में से नहीं हूं.’

चन्नी ने 5 अगस्त को द ट्रिब्यून से बातचीत में अपने ‘राजनीतिक निर्वासन’ को लेकर ‘अटकलों’ को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि वह ‘निजी यात्रा’ पर अमेरिका में हैं, साथ ही यह भी बताया था कि वह ‘इलाज’ के सिलसिले में वहां हैं. उन्होंने किसी विशिष्ट तिथि का उल्लेख किए बिना कहा था कि जल्द ही वापस लौटेंगे.

उन्होंने ट्रिब्यून को फोन पर बताया था, ‘मेरे खिलाफ कोई एफआईआर या सम्मन नहीं है. मैं अपने इलाज के लिए विदेश में हूं और जल्द ही लौट आऊंगा.’

ये घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया जब राज्य में कथित रेत खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 14 अप्रैल को चन्नी से छह घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी. आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के तहत आने वाली पंजाब पुलिस द्वारा की जा रही एक अन्य अवैध खनन मामले की जांच में भी उन्हें पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है.


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हर जगह से छा जाने से लेकर एकदम लापता होने तक

पंजाब के एक प्रमुख दलित नेता चन्नी ने सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी.

तब इसे न केवल पंजाब में बल्कि अन्य राज्यों में भी दलितों के प्रति अपनी रणनीतिक को लेकर कांग्रेस के एक राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देखा गया.

इस साल हुए विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्तों पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चन्नी को सीएम का चेहरा बनाया था. ये घोषणा ऐसे समय हुई जब पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई थी. चन्नी को नवजोत सिंह सिद्धू के कड़े प्रतिरोध का सामना भी करना पड़ रहा, जो कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार की दौड़ में थे.

विधानसभा चुनावों से पहले, चन्नी ने आम आदमी पार्टी (आप) से मुकाबले के लिए खुद को एक आम इंसान के तौर पर पेश करने की कोशिश की. उन्होंने ग्रामीणों के साथ भोजन किया, खाई में गिरी एक गाय को बचाने में मदद की, नवविवाहितों को बधाई देने के लिए अपनी कार रोकी और ऑटोरिक्शा चालकों के साथ चाय पी.

10 मार्च को, आप ने 117 में से 92 सीटों हासिल कर बहुमत के साथ पंजाब चुनाव जीता, बदलाव की इस प्रचंड लहर के बीच कांग्रेस के खाते में सिर्फ 18 सीटें आई और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) को तीन और भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ दो सीटें मिलीं.

चन्नी ने दो विधानसभा सीटों चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव लड़ा था. वह दोनों ही सीटों पर आप प्रत्याशियों से हार गए, भदौर में 37,558 मतों के अंतर से और अपने गृह क्षेत्र चमकौर साहिब में 7,942 मतों से हारे.

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य चुनावों में पार्टी की हार के बाद एक महीने तक चली कांग्रेस की कुछ शुरुआती बैठकों में चन्नी शामिल हुए थे.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, 3 मई (ईद) को चन्नी को आखिरी बार पंजाब में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होते देखा गया था. बताया जाता है कि उसके एक हफ्ते के भीतर ही वह पंजाब से चले गए थे.

मई के मध्य से पूर्व सीएम ज्यादातर केवल ट्विटर पर ही सक्रिय दिखाई दिए.

गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उन्होंने ट्विटर पर अपनी संवेदनाएं जताई थीं, जिसके बारे में माना जाता है कि इसने कांग्रेस के भीतर भी कई लोगों को चौंका दिया था. क्योंकि वे चन्नी के भारत में नहीं होने के बारे में नहीं जानते थे और अंतिम संस्कार में उनके शामिल होने की प्रतीक्षा कर रहे थे. वो चन्नी ही थे जिन्होंने राज्य चुनावों से पहले इस लोकप्रिय कलाकार को पार्टी में शामिल किया था.

वह संगरूर लोकसभा उपचुनाव से पूर्व कांग्रेस के प्रचार अभियान से भी नदारत दिखे थे, लेकिन 26 जून को इस सीट पर जीत हासिल करने वाले शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान को बधाई दी थी.

इसके बाद से वह ट्विटर पर भी सक्रिय नहीं रहे हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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