चंडीगढ़: जैसे-जैसे पंजाब में संसदीय चुनावों के लिए प्रचार अभियान तेज़ हो रहा है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों को राज्य के ग्रामीण इलाकों में किसान संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) से जुड़े कई किसान संगठनों ने भाजपा उम्मीदवारों को निशाना बनाने का फैसला किया है, जिससे उन्हें अपने सवालों का जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कई गांवों ने भाजपा उम्मीदवारों को प्रचार करने की अनुमति नहीं देने का भी फैसला किया है.
उदाहरण के लिए सोमवार को भाजपा के फरीदकोट उम्मीदवार और गायक से नेता बने हंस राज हंस को गिद्दड़बाहा के एक गांव में प्रचार करने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि गुस्साए किसानों ने उनका विरोध किया था. हंस के साथ धक्का-मुक्की की गई और कहा गया कि उन्हें आगे तभी बढ़ने दिया जाएगा जब वे उनके सवालों का संतोषजनक जवाब देंगे.
उसी दिन, भाजपा के गुरदासपुर के उम्मीदवार दिनेश कुमार बब्बू के फतेहगढ़ चुरियन में उनके अभियान को भारतीय किसान यूनियन के विरोध करने वाले सदस्यों के एक समूह ने बाधित कर दिया था.
बब्बू को यह बताने में परेशानी हो रही थी कि वर्तमान में लागू आदर्श आचार संहिता के कारण किसानों से संबंधित कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है.
इस बीच, भाजपा नेता अरविंद खन्ना को बरनाला में किसानों के गुस्से का सामना करने के बाद, प्रदर्शनकारियों पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के सदस्य होने का आरोप लगाया.
किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा “सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को जवाबदेह ठहराने” के ठोस प्रयास के रूप में किसानों के लिए एक प्रश्नावली जारी करने के एक 15 दिन बाद यह विरोध प्रदर्शन हुआ. इसी तरह का विरोध प्रदर्शन हरियाणा में भी हुआ.
यह पंजाब के किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी प्रावधान की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन का दूसरा दौर शुरू करने के दो महीने बाद आया है — एक सरकारी बाज़ार हस्तक्षेप जो यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम मूल्य मिले.
अपनी ओर से किसान संगठनों ने कहा कि उन्होंने भाजपा नेताओं को चंडीगढ़ में खुली चर्चा के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन कोई नहीं आया.
किसान यूनियन के नेताओं ने बैठक स्थल पर कुर्सियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत भाजपा नेताओं की तस्वीरें लगाईं.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मीडिया से कहा, “इससे पता चलता है कि उनके पास हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं है.”
पंजाब में सात चरण के संसदीय चुनाव के आखिरी चरण में एक जून को मतदान होगा.
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‘छिपी साजिश’
नरेंद्र मोदी सरकार के विवादास्पद और अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 में किसानों के विरोध का नेतृत्व करने वाले संगठन एसकेएम ने अपनी प्रश्नावली में कई सवाल पूछे थे. इसमें ऐसे सवाल शामिल थे कि केंद्र की भाजपा सरकार अब तक एमएसपी की गारंटी वाला कानून क्यों नहीं लेकर आई; भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जिनके बेटे पर अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों को कुचलने का आरोप लगा है और विरोध के पहले दौर के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मामले अभी तक वापस क्यों नहीं लिए गए.
यह इस साल की शुरुआत में नए सिरे से किसानों के विरोध प्रदर्शन से निपटने के हरियाणा पुलिस के तरीके पर भी सवाल उठाता है. पंजाब के एक किसान शुभकरण सिंह की कथित तौर पर पुलिस कार्रवाई में मौत हो गई.
जब प्रदर्शनकारी किसान सोमवार को हंस राज हंस से जवाब मांग रहे थे, तो भाजपा नेता ने कहा कि वे किसानों के विरोध प्रदर्शन के पहले दौर के दौरान “अभी-अभी सांसद बने हैं” और उन्होंने उनकी “मदद करने की पूरी कोशिश” की है.
विरोध प्रदर्शन के दौरान हंस दिल्ली के उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा सांसद थे.
उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा, “मैं बहुत कुछ नहीं जानता था, न ही मेरे पास कुछ भी करने की शक्ति या अधिकार की कोई स्थिति थी. मैंने किसान नेताओं और प्रधानमंत्री के बीच एक बैठक आयोजित करने की पेशकश की थी और उस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिया था, लेकिन किसानों ने उनसे नहीं मिलने का फैसला किया.”
राज्य में कई बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. 6 अप्रैल को, पूर्व राजनयिक और भाजपा के अमृतसर से उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू के रोड शो को प्रदर्शनकारी किसानों ने रोक दिया और उन पर पथराव भी किया. इस घटना के कारण पूर्व अमेरिकी दूत को केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) से Y+ सुरक्षा कवर प्रदान किया गया.
12 अप्रैल को, जब हंस एक अभियान स्थल से बाहर निकल रहे थे तो उन्हें घेर लिया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. 17 अप्रैल को पूर्व नौकरशाह और भाजपा की बठिंडा उम्मीदवार परमपाल कौर के खिलाफ एक और आंदोलन के कारण प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई.
इस महीने की शुरुआत में प्रचार के दौरान उनके काफिले को काले झंडे दिखाए जाने के बाद, चार बार की पटियाला सांसद और सीट से भाजपा की उम्मीदवार परनीत कौर ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी कौर ने दिप्रिंट को बताया, “ऐसे लोग हैं जो मेरा विरोध करेंगे और फिर ऐसे लोग हैं जो मेरा समर्थन करेंगे. अंतिम फैसला इस पर निर्भर करेगा कि मतदान के दिन क्या होता है.”
भाजपा के पंजाब प्रमुख सुनील जाखड़ ने पिछले महीने दावा किया था कि नए सिरे से किसानों के विरोध प्रदर्शन के पीछे एक “छिपी हुई साजिश” थी. उन्होंने कहा, “विरोध का नेतृत्व करने वाले किसान वही हैं जो गेहूं और धान के अलावा कुछ भी उगाने का प्रयोग नहीं करने जा रहे हैं, तो दूसरों को मूर्ख क्यों बनाया जाए? इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे एक छिपी हुई साजिश है.”
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