चंडीगढ़: फरीदकोट में किसान संघ के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन ने आम आदमी पार्टी (आप) के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी हैं, जो पंजाब के अपने शासन मॉडल और उपलब्धियों को आधार बनाकर गुजरात के मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश में जुटी है, जहां अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) नाम एक संघ का नेतृत्व करते हैं, जो गैर-राजनीतिक किसान संगठनों का एक समूह है. वह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के उस बयान के खिलाफ 19 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं, जिसमें उन्होंने कुछ किसानों के प्रदर्शन को ‘पेड’ करार दिया था.
मान ने गत 18 नवंबर को एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए किसान संगठनों पर निशाना साधा और आरोप लगाया था कि उन्हें धरना देने और उससे पैसे कमाने की आदत होती जा रही है. उन्होंने यह भी कहा था कि धरने इस तरह हो रहे हैं कि जैसे इनके लिए तारीखें पहले से तय कर ली गई हों.
मान ने कहा था, ‘कुछ किसान संघ अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए नियमित रूप से धरने का सहारा लेते रहते हैं. वे ऐसा इसलिए भी करते हैं क्योंकि उन्हें खर्च दिखाना होता है और फिर फंड भी जुटाना होता है. वास्तव में एक के बाद एक धरने की योजना बनाई जाती है जैसे उन्होंने पहले से ही बुकिंग कर रखी हो.’
डल्लेवाल का आमरण अनशन गुरुवार को छठे दिन में प्रवेश करने के बीच फरीदकोट के टेहना में सैकड़ों की संख्या में समर्थकों का जुटना तेज हो गया है, जहां डल्लेवाल खुली सड़क पर डेरा डाले हैं.
फरीदकोट जिला प्रशासन की तरफ से डल्लेवाल का अनशन समाप्त कराने के लिए किए जा रहे तमाम प्रयास नाकाम हो चुके हैं.
कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बुधवार को डल्लेवाल से अपना अनशन तोड़ने का आग्रह किया था लेकिन किसान नेता नहीं माने. हालांकि, बाद में एक अन्य इंटरव्यू में मंत्री ने अपना रुख कड़ा कर लिया और कहा कि वह डल्लेवाल से तभी मिलेंगे जब इसकी जरूरत होगी.
पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने भी सोमवार को प्रदर्शन स्थल पहुंचकर डल्लेवाल से मुलाकात की थी और उनकी मांगों पर सरकार के साथ बातचीत करने के आश्वासन के साथ अनशन तोड़ने का आग्रह किया था. लेकिन वह उन्हें मना नहीं पाए.
इस बीच, डल्लेवाल के समर्थक मांग कर रहे हैं कि किसानों के ‘अपमान’ के लिए मान माफी मांगें और इसके साथ ही सरकार उनकी उन मांगों को अधिसूचित करे जिसके बारे में उनका दावा है कि सरकार ने सहमति जताई थी लेकिन इस पर कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई. इनमें रूरल कॉमन लैंड एक्ट 1961 में संशोधन को रद्द करना भी शामिल है.
शिरोमणि अकाली दल भी डल्लेवाल के समर्थन में आ गया है, पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बुधवार को ट्वीट किया कि उन्होंने किसान नेता के साथ बात की है और उन्हें अपनी पार्टी की तरफ से समर्थन का आश्वासन दिया है.
Spoke to BKU (Ekta-Sidhupur) president S Jagjit Singh Ji Dallewal who is on fast unto death for past 5 days.Inquired about his well being & assured complete support to him. @Akali_Dal_ is a party of farmers & is committed to safeguard the rights of farming community at all costs. pic.twitter.com/uCUuBrA2CR
— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) November 23, 2022
मान अपनी कैबिनेट के कई सहयोगियों के साथ गुजरात में आप के चुनाव अभियान के तहत आयोजित रोड शो में हिस्सा लेने के लिए वहां के दौरे पर हैं. उन्होंने बुधवार को मांडवी में अपने रोड शो की तस्वीरें साझा कीं.
ਇੱਕੋ ਗੱਲ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਹੈ ਗੁਜਰਾਤ…ਆਪ ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ#Mandvi ਵਾਲਿਓ ਬਹੁਤ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ… pic.twitter.com/1C8NNTYLw5
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) November 23, 2022
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‘सरकार ने मांगें नहीं मानी, इसलिए जारी है धरना’
डल्लेवाल मोदी सरकार की तरफ से 2020 में लाए गए और अब निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघू बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल शीर्ष नेताओं में से एक हैं. उनका संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) (सिद्धूपुर), एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का हिस्सा है. इस संगठन ने उस आंदोलन में एक निर्णायक भूमिका निभाई थी जिसकी वजह से नरेंद्र मोदी सरकार को पिछले साल तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था.
फरीदकोट के टेहना में डल्लेवाल के अनशन स्थल के अलावा एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के समर्थक पंजाब में पांच अन्य स्थानों पर पक्का धरना दे रहे हैं.
बीकेयू (सिद्धूपुर) की मुक्तसर इकाई के प्रमुख करण सिंह ने कहा, ‘हमने 16 नवंबर को पंजाब में छह स्थानों पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. यह विरोध पिछले छह महीनों में किसान निकायों और सरकार के बीच कई बैठकों के दौरान लिए गए उन फैसलों को अधिसूचित करने के लिए सरकार पर दबाव डालने के लिए था, जिसमें सरकार ने हमारी मांगों पर सहमति जताई थी.’
इन मांगों में पंजाब सरकार की तरफ से सितंबर में रूरल कॉमन लैंड एक्ट में किए गए एक संशोधन को रद्द करना शामिल है, जिससे गांवों में निजी लोगों के स्वामित्व वाली निजी भूमि को साझे इस्तेमाल के लिए ग्राम पंचायत को ट्रांसफर करने का प्रावधान किया गया है.
करण सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘चूंकि सरकार ने हमारी मांगों को पूरा करने का कोई संकेत नहीं दिखाया, इसलिए हमने छह स्थानों पर मुख्य सड़कों पर अपना धरना जारी रखा है.’
18 नवंबर की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मान ने अपनी सरकार की तरफ से किसानों के हित में लिए गए विभिन्न फैसलों को भी गिनाया था. पंजाब के सीएम ने कहा था कि उनकी सरकार किसानों से किए वादों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उन्हें कुछ समय देना चाहिए. मान ने आगे कहा था कि कई धरनों से लोगों को असुविधा हो रही है, खासकर उन लोगों को जिन्हें इलाज के अस्पताल या इंटरव्यू आदि के लिए इन जगहों से आना-जाना होता है.
मान की टिप्पणी के बाद डल्लेवाल ने सरकार को 19 नवंबर की दोपहर तक अपने कथित वादों को अधिसूचित करने का अल्टीमेटम दिया था और ऐसा न करने पर उन्होंने आमरण अनशन शुरू करने की घोषणा की थी.
हालांकि, एसकेएम से इस विरोध प्रदर्शन को अन्य किसान संघों का समर्थन हासिल नहीं है, जिनमें पिछले साल के किसान आंदोलन का हिस्सा रहे बलबीर सिंह राजेवाल और जोगिंदर सिंह उग्रहान जैसे किसान नेता शामिल हैं. बहरहाल, इन दोनों नेताओं ने मान के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है.
उग्रहान ने पंजाब के बरनाला जिले में बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था. आप खुद एक ऐसी पार्टी है जो धरना-प्रदर्शनों से ही उपजी है.
इस बीच, राजेवाल ने मान के बयान को ‘बकवास’ करार दिया है.
उन्होंने सोमवार को एक बयान में कहा था, ‘वह जिंदगी भर कॉमेडी करते रहे हैं और अब राजनीति कर रहे हैं. और इतने गंभीर मुद्दे पर उन्होंने जो बात बोली है यह बकवास है. उन्हें अपनी टिप्पणियों का खामियाजा भुगतना होगा.’
(संपादनः हिना फ़ातिमा)
(अनुवाद: रावी द्विवेदी)
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